चंडीगढ़: डीएसपी रामगोपाल को एसपी पद पर पदोन्नति देने संबंधी कैद के फैसले को पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट में चुनौती दी गई है. याचिका पर प्राथमिक सुनवाई के बाद जस्टिस निर्मलजीत कौर और जस्टिस मीनाक्षी मेहता की खंडपीठ ने चंडीगढ़ प्रशासन और यूपीएससी को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है. हाईकोर्ट में मामले पर 3 मार्च के लिए अगली सुनवाई तय की है.
चंडीगढ़ पुलिस में डीएसपी जसविंदर सिंह और उदय पाल की तरफ से याचिका दायर कर कहा गया कि कैट के 13 जनवरी 2020 के फैसले को खारिज किया जाए जिसमें रामगोपाल को 2 महीने के भीतर पदोन्नति देने के आदेश दिए थे. याचिका में कहा कि रामगोपाल उनसे जूनियर है और एक आउट ऑफ टर्न प्रमोशन के आधार पर रामगोपाल को आगे तेजी से प्रमोशन लाभ मिला है.
एसपी पदोन्नति नहीं मिलने पर डीएसपी रामगोपाल ने कैट में चंडीगढ़ प्रशासन, प्रशासक के सलाहकार, केंद्रीय गृह मंत्रालय, गृह सचिव यूटी और डीजीपी के खिलाफ केस दायर किया था. 2017 में दायर याचिका में कहा था कि डीएसपी पद से एसपी पद पर 6 साल में पदोन्नति देने का प्रावधान है.
ये भी पढ़ें: हरियाणा में इंडस्ट्रियल प्लॉट अलॉटमेंट में NRI को दिए जा रहे आरक्षण मामले में हाई कोर्ट में सुनवाई
चंडीगढ़ पुलिस विभाग पंजाब के नियमों को फॉलो करता है ऐसे में पंजाब पुलिस सर्विस रूल्स (1959) के अनुसार किसी भी डीएसपी पद पर तैनात अधिकारी का अगर लगातार 6 साल कार्य का अनुभव हो तो वो एसपी रैंक पर प्रमोट किया जा सकता है. रामगोपाल एसपी पद पर जून 2009 से तैनात है, बावजूद इसके उन्हें अब तक एसपी की पदोन्नति नहीं दी गई.