चंडीगढ़: पीजीआई में हुई कोरोना पीड़ित बुजुर्ग की मौत से हड़कंप मच गया है. पीजीआई में भर्ती होने से पहले मरीज का सेक्टर-16 अस्पताल में ट्रीटमेंट किया जा रहा था. वहां के भी करीब 5 स्वास्थ्य कर्मियों को आइसोलेट किया गया है. इस सबके बीच अब पीजीआई प्रशासन की ओर भी उठने लगी है कर्मचारियों में इसको लेकर काफी डर बैठा हुआ है.
पीजीआई में भी व्यवस्था दुरुस्त नहीं
सूत्रों की माने तो पीजीआई के अंदर इस बीमारी से लड़ने के लिए चाक-चौबंद व्यवस्था नहीं है. स्वास्थ्य कर्मचारी पीपीई किट और मास्क के अभाव का सामना कर रहे हैं. इस बात की पुष्टि नर्सिंग स्टाफ द्वारा पीजीआई प्रशासन को लिखी गई चिट्ठी कर रही है. जिसमें उन्होंने पर्याप्त मात्रा में पीपीई किट और मास्क उपलब्ध न होने की बात कही है. जिसकी वजह से नर्सिंग स्टाफ और डॉक्टरों में असंतोष दिखाई दे रहा है.
आपको बता दें कि मंगलवार को जिस बुजुर्ग की मौत हुई उसका इलाज स्वाइन फ्लू वायरस को लेकर हो रहा था, लेकिन सोमवार को इसकी रिपोर्ट कोरोना से पीड़ित होने की आई. जिसके बाद इसका इलाज पीजीआई में चल रहा था, लेकिन मंगलवार को ही बुजुर्ग की मौत हो गई. इसके संपर्क में आने से पीजीआई के 40 से अधिक स्वास्थ्य कर्मचारियों को आइसोलेट किया गया है.
इतना ही नहीं पीजीआई के जिस वार्ड में शुरुआत में मृतक को रखा गया था. वहां पर पीजीआई का जो स्टाफ काम कर रहा था उनमें से मात्र पांच के पास ही पीपीई किट होने की जानकारी भी पीजीआई के कागजों से साफ हो जाती है.
इसका अर्थ यह हुआ कि पीजीआई इस संक्रमण से लड़ने के लिए पूरी तरह तैयार नहीं दिखाई दे ररहा है. जिसका असर सीधे स्वास्थ्य कर्मियों पर पड़ सकता है देखना होगा कि आप नर्सिंग स्टाफ द्वारा लिखी गई चिट्ठी पीजीआई प्रशासन को कितना सचेत करती है. ताकि वह इस बीमारी से लड़ने के लिए जरूरी सामान उनको उपलब्ध हो सके.
अलग से आइसोलेशन वार्ड भी नहीं है
सूत्र बताते हैं कि पीजीआई में कोरोना वायरस से लड़ने के लिए अलग से भी आइसोलेशन वार्ड की व्यवस्था अभी दिखाई नहीं पड़ रही है. जिस वार्ड में मृतक को शुरुआत में रखा गया था उस वार्ड के बाकी मरीजों को भी पीजीआई ने शिफ्ट कर दिया है.
लेकिन सूत्र बताते हैं कि जहां पर उन्हें रखा गया है वहां भी उचित व्यवस्था नहीं है. जिससे सभी डरे हुए हैं और सूत्र यह भी मानते हैं कि अगर इन मरीजों में से कोई संक्रमित हुआ तो वह अन्य मरीजों के लिए भी खतरा बन सकता है.
सवाल यह है कि जब इतने लंबे समय से इस बीमारी से देश लड़ रहा है तो ऐसे में आखिर पीजीआई प्रशासन इस तरह की लापरवाही कैसे कर सकता है. और स्वास्थ्य कर्मचारियों की अनदेखी कैसे कर सकता है.
अब देखना होगा कि आने वाले दिनों में क्या पीजीआई प्रशासन अपने कर्मचारियों के लिए इस बीमारी से लड़ने के लिए उचित उपकरण उपलब्ध करवा पाता है या नहीं या फिर प्रशासन कर्मचारियों को भगवान भरोसे ही छोड़ता है.
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