चंडीगढ़: यूं तो दिवाली को रौशनी का त्यौहार कहा जाता है और पटाखों के बिना दिवाली का जश्न बड़ा ही मुश्किल है. बच्चे, युवा और बुजुर्ग हर वर्ग के लोग दिवाली पर पटाखे जलाना पसंद करते हैं, लेकिन दिवाली की रात फोड़े गए पटाखे पूरे देश में वायु प्रदूषण बढ़ा देते हैं. यही वजह है कि वायु प्रदूषण बढ़ने की आशंका को देखते हुए नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल ने खराब AQI वाले शहरों में 30 नवंबर तक पटाखों की बिक्री पर रोक लगा दी है.
एनजीटी ने अपने आदेश में कहा कि जिन शहरों में एम्बिएंट एयर क्वालिटी मॉडरेट है, वहां सिर्फ ग्रीन पटाखे ही बेचे जा सकते हैं. एनजीटी के इस आदेश के साथ ही गुरुग्राम, नोएडा, गाजियाबाद, फरीदाबाद में भी पटाखों की बिक्री पर प्रतिबंध लागू हो गया है.
ये दिवाली बिन पटाखों वाली!
वैसे एनजीटी से पहले चंडीगढ़ प्रशासन पटाखों की बिक्री और इस्तेमाल पर बैन लगा चुका था. जिस वजह से चंडीगढ़ पटाखा व्यापारियों में काफी गुस्सा है. उनका कहना है कि वो पटाखों का ऑर्डर दे चुके हैं. अगर वो कैंसिल करते हैं तो उन्हें लाखों का नुकसान होगा.
आदेश से नाखुश पटाखा व्यापारी
पटाखा व्यवसाय से जुड़ी ममता राणा का कहना है कि ये तुगलकी फरमान है. ज्यादातर व्यापारी माल मंगवाने के लिए एडवांस दे चुके हैं, लेकिन अब ना तो वो माल मंगवा सकते हैं और ना ही उन्हें दिया गया एडवांस वापस मिल पाएगा. मैंने खुद कोरोना काल में बड़े जुगाड़ से दो लाख रुपये के पटाखों के लिए एडवांस दिए थे.
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इस मौके पर ईटीवी भारत ने चंडीगढ़ के स्थानीय लोगों से भी बात की वो भी एनजीटी और चंडीगढ़ प्रशासन के इस फैसले से नाराज नजर आए. उन्होंने कहा कि ये पूरा साल कोविड और लॉकडाउन की भेंट चढ़ गया. लोग तनाव का शिकार हो रहे हैं.
ऐसे वक्त में छोटी-छोटी खुशियां ही लोगों को तनाव से बाहर निकालने का काम कर सकती है. इस साल लोगों ने कोई भी त्यौहार नहीं मनाया, लेकिन उन्हें उम्मीद थी कि आने वाली दिवाली को वो खुशी और उत्साह के साथ मनाएंगे.