चंडीगढ़: एक समय था जब लोग कोई भी चीज खरीदने से पहले परिवार में सोच विचार करते थे और सामान खरीदते थे. आज हर कोई एक क्लिक से सामान अपने घर तक मंगवा लेता है. ऐसे में खरीदारी के समय लोगों के साथ हो रही धोखाधड़ी के मामले भी दिन प्रतिदिन बढ़ते जा रहे हैं. चंडीगढ़ कंज्यूमर कोर्ट में रोजाना 10 शिकायत दर्ज होती हैं. बीते 6 महीने में चंडीगढ़ कंज्यूमर कोर्ट में 1201 शिकायतें दर्ज की गई है. मौजूदा समय में प्रॉपर्टी से लेकर ऑनलाइन शॉपिंग की शिकायत अधिक दर्ज हो रही हैं. आइए जानते हैं इन शिकायतों को किस तरह और कितने समय में हल किया जाता है.
1986 में कंज्यूमर फोरम की स्थापना: बता दें कि भारत में कंज्यूमर फोरम की स्थापना 1986 में कंज्यूमर प्रोटेक्शन एक्ट के तहत देश भर में लागू की गई थी. इस एक्ट के आने से लोगों को जहां उनके साथ हो रही धोखाधड़ी से राहत मिली थी. वहीं, सर्विस सेक्टर में भी एक तरह का बदलाव देखा गया था. 1992 में चंडीगढ़ में पहला कंज्यूमर कोर्ट का स्थापित किया गया था. चंडीगढ़ एक ऐसा केंद्र शासित राज्य है जिसके यहां 2 डिस्ट्रिक्ट कमीशन है जो ग्राहकों को न्याय दिलाने में सहायता करते हैं. सबसे पहले कंज्यूमर कोर्ट सेक्टर- 17 में स्थापित किया गया था. लेकिन, आज के समय में सेक्टर- 19 ए में कंज्यूमर कोर्ट की अपनी एक अलग से इमारत है. जहां दोनों डिस्ट्रिक्ट कमीशन ग्राहकों की शिकायतों का निवारण करते हैं. मौजूदा समय में तीन रिटायर्ड जजों द्वारा इस कमीशन को चलाया जा रहा है. 2019 में नया कंज्यूमर प्रोटेक्शन एक्ट लागू होने से उपभोक्ताओं को नए अधिकार भी दिए गए थे.
2019 के बाद चंडीगढ़ कंज्यूमर कोर्ट में आए बदलाव: नए कंज्यूमर प्रोटेक्शन एक्ट 2019 लागू होने के बाद उपभोक्ताओं को कई नए तरह के अधिकार दिए गए. इन नए नियमों में ऑनलाइन शिकायतों से संबंधित सख्त कानून बनाए गए हैं. जहां आज से 4 साल पहले एक ग्राहक को ऑनलाइन शिकायत दर्ज करवाने के लिए कई तरह के कागजात जमा कराने होते थे. वहीं, अब उपभोक्ता जिसके साथ किसी तरह की धोखाधड़ी हो रही है, वह ई दाखिल पोर्टल पर जाकर अपनी शिकायत दर्ज करवा सकता है. चंडीगढ़ के लोग भरपूर उठा रहे हैं, लेकिन आज भी बहुत से लोगों को ई पोर्टल के बारे में जानकारी नहीं है. आज भी लोग लिखित तौर पर अपनी शिकायतें दर्ज करवाते हैं.
चंडीगढ़ में कंज्यूमर कोर्ट की 2 कमीशन: चंडीगढ़ कंज्यूमर कोर्ट देश के अन्य राज्यों के मुकाबले समय रहते मामलों का निपटारा करने में आगे हैं. आए दिन चंडीगढ़ कंज्यूमर कोर्ट में 9 से 10 शिकायत दर्ज की जाती हैं. चंडीगढ़ में पढ़े लिखे लोगों की संख्या अधिक होने के चलते लोगों को अपने अधिकारों का पता है. चंडीगढ़ देश में एकमात्र ऐसा डिस्टिक कोर्ट है जहां 2 कंज्यूमर फोरम अपनी सेवाएं दे रही हैं. कंज्यूमर कोर्ट में तीन कोर्ट हॉल है.
किस तरह की रहती है शिकायत: आज के दिन सबसे अधिक डिजिटल ट्रांजेक्शन से संबंधित शिकायत कंज्यूमर कोर्ट में दर्ज होती हैं. वहीं, दूसरे नंबर पर प्रॉपर्टी से संबंधित, तीसरे स्थान पर इंश्योरेंस कंपनियों द्वारा लोगों को लिए जाते झूठे क्लेम और धोखाधड़ी के मामले भी आए दिन चंडीगढ़ की सुर्खियों में रहते हैं. वहीं, चौथे नंबर पर हाउसिंग बोर्ड और पांचवें नंबर पर ट्रैवल कंपनी द्वारा दिए जाते भारी झूठे डिस्काउंट की शिकायत चंडीगढ़ कंज्यूमर कोर्ट में दर्ज होती है.
किस तरह करवा सकते हैं शिकायत दर्ज: पहले के समय में जहां कई तरह के कागजात कंज्यूमर कोर्ट में जमा करवाने पड़ते थे, वहीं अब ऐसा नहीं होता है. ग्राहक यानी उपभोक्ता को कंज्यूमर शिकायत दर्ज करवाने के लिए सिंगल विंडो सर्विस में जाकर एक सादे कागज पर लिखी हुई शिकायत के जरिए अपनी समस्या बता सकता है. जहां हर तरह की इंक्वायरी और शिकायत दर्ज की जाती है. वहीं, कंज्यूमर कोर्ट में एक डिजिटल कॉन्फ्रेंस हॉल भी है. शिकायत दर्ज करवाने के लिए एक आम व्यक्ति को अपनी भाषा के मुताबिक शिकायत लिखकर और उसके साथ सेल्फ अटेस्टेड एफिडेविट और संबंधित कागजात की कॉपी लगाने के बाद अपनी शिकायत सिंगल विंडो में दर्ज करवा सकता है. बिना किसी वकील की सहायता के अपनी शिकायत को लेकर खुद ही केस की पैरवी कर सकता है. ऐसे में ग्राहकों को कंज्यूमर कोर्ट के मेंबरों द्वारा भी पूर्ण सहयोग किया जाता है.
न्यू कंज्यूमर एक्ट से उपभोक्ताओं को राहत: वहीं, डिस्ट्रिक्ट कमीशन की मेंबर रिटायर्ड जज पदमा पांडे ने बताया '2019 से पहले कंज्यूमर कोर्ट में लोगों को कई तरह की दिक्क्तों का सामना करना पड़ता था. 2019 न्यू कंज्यूमर एक्ट के चलते लोगों में अपने हकों को लेकर जानकारी में बढ़ोतरी हुई है. आज सरकार द्वारा भी जागो ग्राहक जागो मुहिम के जरिए स्कूल, कॉलेज और सार्वजनिक स्थानों पर ग्राहकों को सहायता मुहैया करवाने के बोर्ड लगे हुए हैं.'
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शून्य से लेकर हुआ 50 लाख तक जुर्माना: डिस्टिक कंज्यूमर कोर्ट में शून्य से लेकर 50 लाख तक से संबंधित शिकायत दर्ज की जाती है. वहीं, स्टेट कमिशन में 50 लाख से लेकर 2 करोड़ से अधिक उपभोक्ताओं के साथ होने वाली धोखाधड़ी से संबंधित शिकायतों का निवारण किया जाता है. इन शिकायतों में महंगे कपड़ों से लेकर, घर खरीदने तक की शिकायतों को दर्ज की जाती है. वहीं, कोई भी गुड्स और सर्विसेज से संबंधित शिकायतें एक सिंगल विंडो के जरिए दर्ज करवाया जा सकता है. हाल ही में ट्रैवल कंपनी द्वारा लोगों को लालच देते हुए धोखाधड़ी की जा रही है. इस तरह की शिकायतें रोजाना कंज्यूमर कोर्ट में दर्ज होती हैं.
कंज्यूमर कोर्ट में 30-45 दिनों के बीच फैसला: आज भी कई लोगों के साथ ठगी हर कदम पर हो रही है. नए एक्ट के जरिए जिन लोगों द्वारा कोर्ट के निर्देश 30 से 45 दिनों के बीच नहीं माने जाते, उन्हें कोर्ट के आदेश पर हिरासत में लेते हुए जेल के अंदर भेजने का प्रावधान है. वहीं, जिस व्यक्ति को डिस्ट्रिक्ट कमिश्नर के न्याय से संतुष्ट नहीं है वह स्टेट कमीशन की मदद ले सकता है, लेकिन अगर वह स्टेट कमीशन कि फैसले से भी खुश नहीं है तो वह नेशनल कमीशन में अपनी अपील कर सकता है. आखिर में वह सुप्रीम कोर्ट की भी मदद ले सकता है.
चंडीगढ़ कंज्यूमर कोर्ट में कई मामले: एडवोकेट पंकज चांदगोठिया ने बताया कि '1992 में चंडीगढ़ कंज्यूमर कोर्ट सेक्टर- 17 की एक बिल्डिंग में लगाई जाती थी. उस दौरान सेक्टर- 17 के पास छोटी-छोटी दुकान होती थी. जहां एक कोल्ड ड्रिंक की बोतल को लेकर दुकानदार द्वारा धोखाधड़ी की जा रही थी. उन्होंने 1992 में जब वहां की एक दुकान से कोल्ड ड्रिंक खरीदी तो दुकानदार ने मुझसे कोल्ड ड्रिंक की कीमत से 50 पैसे अधिक लेते हुए 10 रुपये का बिल बनाकर दिया. जब उससे 50 पैसे वापस मांगे तो उसने दुकान खर्च और कोल्ड ड्रिंक ठंडी होने का हवाला देते हुए मुझे पूरे ₹10 का बिल थमा दिया. अगले दिन मामला कोर्ट में दर्ज करवाया. जिसके बाद सुनवाई में दुकानदार ने कंज्यूमर कोर्ट का आदेश मानते हुए मुझे ₹500 वापस दिए गए.'