ETV Bharat / state

'4 लाख में से मात्र 3 फीसदी लोगों को ही ट्रांसप्लांट के लिए मिल पाते हैं अंग'

चंडीगढ़ पीजीआई में ट्रांसप्लांट गेम्स में देशभर से आए खिलाड़ियों ने हिस्सा लिया. यहां वे सभी लोग पहुंचे जिन्होंने अंग ट्रांसप्लांट करवाया है. यहां डॉक्टर आशीष शर्मा ने बताया कि हर साल करीब 4 लाख लोगों को अंग की जरूरत पड़ती है लेकिन मात्र तीन फीसदी लोगों को ही अंग मिल पाते हैं.

body part transplant game in chandigarh pgi
body part transplant game in chandigarh pgi
author img

By

Published : Feb 26, 2020, 8:16 PM IST

चंडीगढ़: पीजीआई में ट्रांसप्लांट गेम्स का आयोजन किया गया. जिसमें उन लोगों ने भाग लिया जिन्होंने पीजीआई में अंग प्रत्यारोपण करवाया है. इन खेलों के आयोजन करने का मकसद लोगों को अंगदान के लिए जागरुक करना है. इन खेलों में पीजीआई से अंग प्रत्यारोपण करवा चुके लोगों ने हिस्सा लिया और खेल महोत्सव के अंत में विजेताओं को पुरस्कृत भी किया गया.

अंगदान से बदली दिग्विजय की जिंदगी

इन खेलों में जमशेदपुर से भाग लेने के लिए पहुंचे खिलाड़ी दिग्विजय गुजराल का कहना है कि साल 2011 में उनका किडनी ट्रांसप्लांट हुआ था उसके बाद उनकी जिंदगी बेहद बदल गई. उन्हें जीने का मतलब समझ में आ गया. उन्होंने खेलों की प्रैक्टिस शुरू की. वे अब तक देश की तरफ से वर्ल्ड ट्रांसप्लांट गेम में भी हिस्सा ले चुके हैं, जिसमें उन्होंने रजत पदक जीता था.

चंडीगढ़ पीजीआई में ट्रांसप्लांट गेम्स, देखें वीडियो

अंगदान से बदली सवीन की जिंदगी

इन खेलों में लुधियाना से आए सवीन कुमार का कहना है कि कुछ समय पहले जब उन्हें पता चला कि उनकी दोनों किडनी खराब हो चुकी हैं. तब उनका परिवार पूरी तरह से टूट चुका था, लेकिन उनकी पत्नी ने उन्हें किडनी दान की. इससे उनकी जिंदगी पूरी तरह से बदल गई. उनकी पत्नी की वजह से उन्हें नया जीवन दान मिला. उनका ट्रांसप्लांट 10 महीने पहले हुआ था, लेकिन अब वे बिल्कुल सामान्य जिंदगी जी रहे हैं. रोजमर्रा के सभी काम कर रहे हैं.

ये भी पढ़िए: दिल्ली में हुई हिंसा के बाद रोहतक में अलर्ट जारी, सभी आला अफसरों की छुट्टियां रद्द

इस बारे में बात करते हुए चंडीगढ़ पीजीआई के किडनी ट्रांसप्लांट विभाग के अध्यक्ष डॉ. आशीष शर्मा ने कहा कि वे लगातार लोगों को अंगदान के लिए प्रेरित कर रहे हैं. हर साल लाखों मरीजों को अंगदान की जरूरत होती है, लेकिन अंग ना मिलने की वजह से वे अपनी जान गंवा देते हैं. शरीर को जलाने से बेहतर है कि अंगों को दान किया जाए ताकि किसी को नई जिंदगी दी जा सके.

देश में हर साल 4 लोगों को होती है प्रत्यारोपण की जरूरत

देश में हर साल करीब 4 लाख मरीजों को अंग प्रत्यारोपण की जरूरत पड़ती है. इनमें से केवल 3 फीसदी ही अंग लोगों को मिल पाते हैं. बाकी लोगों की अंग ना मिलने की वजह से मौत हो जाती है. चंडीगढ़ पीजीआई में इस तरह की कई कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं. जिससे लोगों को अंगदान के लिए प्रेरित किया जा सके और और लोगों की जान बचाई जा सके.

चंडीगढ़: पीजीआई में ट्रांसप्लांट गेम्स का आयोजन किया गया. जिसमें उन लोगों ने भाग लिया जिन्होंने पीजीआई में अंग प्रत्यारोपण करवाया है. इन खेलों के आयोजन करने का मकसद लोगों को अंगदान के लिए जागरुक करना है. इन खेलों में पीजीआई से अंग प्रत्यारोपण करवा चुके लोगों ने हिस्सा लिया और खेल महोत्सव के अंत में विजेताओं को पुरस्कृत भी किया गया.

अंगदान से बदली दिग्विजय की जिंदगी

इन खेलों में जमशेदपुर से भाग लेने के लिए पहुंचे खिलाड़ी दिग्विजय गुजराल का कहना है कि साल 2011 में उनका किडनी ट्रांसप्लांट हुआ था उसके बाद उनकी जिंदगी बेहद बदल गई. उन्हें जीने का मतलब समझ में आ गया. उन्होंने खेलों की प्रैक्टिस शुरू की. वे अब तक देश की तरफ से वर्ल्ड ट्रांसप्लांट गेम में भी हिस्सा ले चुके हैं, जिसमें उन्होंने रजत पदक जीता था.

चंडीगढ़ पीजीआई में ट्रांसप्लांट गेम्स, देखें वीडियो

अंगदान से बदली सवीन की जिंदगी

इन खेलों में लुधियाना से आए सवीन कुमार का कहना है कि कुछ समय पहले जब उन्हें पता चला कि उनकी दोनों किडनी खराब हो चुकी हैं. तब उनका परिवार पूरी तरह से टूट चुका था, लेकिन उनकी पत्नी ने उन्हें किडनी दान की. इससे उनकी जिंदगी पूरी तरह से बदल गई. उनकी पत्नी की वजह से उन्हें नया जीवन दान मिला. उनका ट्रांसप्लांट 10 महीने पहले हुआ था, लेकिन अब वे बिल्कुल सामान्य जिंदगी जी रहे हैं. रोजमर्रा के सभी काम कर रहे हैं.

ये भी पढ़िए: दिल्ली में हुई हिंसा के बाद रोहतक में अलर्ट जारी, सभी आला अफसरों की छुट्टियां रद्द

इस बारे में बात करते हुए चंडीगढ़ पीजीआई के किडनी ट्रांसप्लांट विभाग के अध्यक्ष डॉ. आशीष शर्मा ने कहा कि वे लगातार लोगों को अंगदान के लिए प्रेरित कर रहे हैं. हर साल लाखों मरीजों को अंगदान की जरूरत होती है, लेकिन अंग ना मिलने की वजह से वे अपनी जान गंवा देते हैं. शरीर को जलाने से बेहतर है कि अंगों को दान किया जाए ताकि किसी को नई जिंदगी दी जा सके.

देश में हर साल 4 लोगों को होती है प्रत्यारोपण की जरूरत

देश में हर साल करीब 4 लाख मरीजों को अंग प्रत्यारोपण की जरूरत पड़ती है. इनमें से केवल 3 फीसदी ही अंग लोगों को मिल पाते हैं. बाकी लोगों की अंग ना मिलने की वजह से मौत हो जाती है. चंडीगढ़ पीजीआई में इस तरह की कई कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं. जिससे लोगों को अंगदान के लिए प्रेरित किया जा सके और और लोगों की जान बचाई जा सके.

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.