चंडीगढ़: मेयर पद के चुनाव के लिए चंडीगढ़ में तैयारियां लगभग पूरी हो चुकी है. चंडीगढ़ मेयर पद का चुनाव इस बार पिछली बार की तरह ही दिलचस्प हो गया है. पिछली बार भी आंकड़ों की बाजीगरी में बीजेपी ने मेयर डिप्टी मेयर ऑफ सीनियर मेयर पद का चुनाव जीता था. इस बार आम आदमी पार्टी और बीजेपी दोनों दलों ने अपने उम्मीदवार मैदान में उतारे हुए हैं. वहीं, आंकड़ों को देखें तो दोनों पार्टियों के पास इस बार 14-14 वोट हैं. कांग्रेस के छह पार्षद हैं, जबकि कांग्रेस ने अपना कोई भी प्रत्याशी चुनाव मैदान में नहीं उतारा है. वहीं, 17 जनवरी को होने वाले चुनावों में कौन सी पार्टी आगे रहने वाली है यह देखना दिलचस्प होगा. क्योंकि इस समय तीनों बड़ी पार्टियां अपने-अपने पार्षदों को बचाने के लिए हिमाचल और पंजाब के भ्रमण पर निकली हुई हैं.
इस बार के चुनाव में सबसे ज्यादा पार्टी के टूटने का जिसका डर है वह है कांग्रेस पार्टी. क्योंकि कांग्रेस पार्टी ने किसी भी प्रत्याशी को मैदान में नहीं उतारा है, ऐसे में बीजेपी हो या फिर आम आदमी पार्टी दोनों की नजर कांग्रेस पार्टी के पार्षदों पर है. पिछली बार भी एक पार्षद कांग्रेस का बीजेपी के पाले में चला गया था, जिससे बीजेपी को मेयर डिप्टी मेयर और सीनियर मेयर के चुनाव जीतने में आसानी हुई थी. वहीं, इस बार कांग्रेस इसी टूट के डर से पहले ही संभल कर चल रही है. चंडीगढ़ कांग्रेस ने अपने सभी पार्षदों को डर की वजह से अपनी सरकार वाले राज्य हिमाचल की वादियों में पहुंचाया हुआ है. यह सभी पार्षद चंडीगढ़ कांग्रेस के अध्यक्ष एचएस लक्की के साथ इस वक्त हिमाचल में हैं.
पंजाब के रोपड़ में आम आदमी पार्टी के पार्षद: पार्टी पार्षदों के टूटने का डर सिर्फ कांग्रेस को ही नहीं है, बल्कि 14 पार्षदों वाली आम आदमी पार्टी को भी जो डर सता रहा है. इसी वजह से आम आदमी पार्टी ने भी अपनी पार्टी वाली पंजाब सरकार के यहां शरण ली है. आम आदमी पार्टी चंडीगढ़ के 14 पार्षद इस समय पंजाब के रूपनगर में ठहरे हुए हैं. पिछली बार आम आदमी पार्टी के एक पार्षद का वोट कैंसिल हो गया था तो वहीं एक का खारिज भी हुआ था, जिसकी वजह से बीजेपी की जीत आसान हो गई थी. वहीं, इस बार कोई पार्षद पार्टी लाइन से बाहर न जाए और बीजेपी के साथ खड़ा न हो. इसी डर से पार्टी ने अपने पार्षदों को रूपनगर भेज दिया है.
वहीं, पिछले सात सालों से बीजेपी का ही मेयर बनता आ रहा है. इसके बावजूद कांग्रेस और आम आदमी पार्टी ही नहीं, चंडीगढ़ नगर निगम में अभी सत्ता संभाल रही बीजेपी भी इसी डर का शिकार बनी हुई है. यही वजह है कि पार्टी अपने सभी पार्षदों को हिमाचल की वादियों की सैर करवा रही है. बीजेपी को खास तौर पर इसलिए सारा है, क्योंकि उन्होंने जिस प्रत्याशी को मेयर पद के लिए उम्मीदवार बनाया है, उससे सीनियर कई और पार्षद हैं. ऐसे में पार्टी को डर है कि कोई पार्षद आम आदमी पार्टी के पाले में वोट न डाले. इससे पहले वह अपने आप को सुरक्षित रखने के लिए हिमाचल की सैर पर निकले हैं. इस समय बीजेपी पार्षद सोलन में जिले में ठहराए गए हैं. वहीं, बीजेपी चंडीगढ़ अध्यक्ष अरुण सूद ने बताया कि वे वापस चंडीगढ़ आ चुके हैं, जबकि 13 पार्षद अभी भी सोलन में ही है. वे सुबह ही चंडीगढ़ आएंगे.
17 जनवरी दिन मंगलवार सुबह 11 बजे चंडीगढ़ नगर निगम में मेयर के चुनावों कराए जाएंगे. ऐसे में जहां बीजेपी, आम आदमी पार्टी और कांग्रेस अपने अपने पार्षदों को लेकर शहर से बाहर पहुंच हुई है. उससे लगता है तीनों पार्टी डर में हैं. जहां सबसे मजबूत पार्टी मानी जाती बीजेपी अपने पार्षदों को लेकर हिमाचल के सोलन पहुंची हुई हैं. उससे तो लगता है बीजेपी में कहीं न कहीं अंदरूनी संकट चल रहा है. क्योंकि मेयर के उम्मीदवारों के नामों को लेकर पार्षदों में अलग अलग सोच है. बीजेपी पार्षदों में कुछ अधिक तजुर्बे वाले हैं. ऐसे में युवा चेहरे को मेयर के लिए चुना कहीं न कहीं पार्टी के अंदर बेचैनी तो पैदा करता है.
वहीं, अपनी पार्षदों को समझाने और जीत सुनिश्चित करने के लिए पार्टी सोलन पहुंच गई है, जहां पहले से ही कांग्रेस मौजूद है. ऐसे में एक अंदाजा लगाया जा सकता है कि शायद बीजेपी ने हिमाचल की ओर इस लिए भी रुख किया है ताकि वे कांग्रेस के पार्षदों को तोड़ा जा सके. क्योंकि पिछली बार भी कांग्रेस का पार्षद बीजेपी में चला गया था. अगर बात की जाए आम आदमी पार्टी की तो उन्हें पिछली बार एक दो वोट से भारी नुकसान हुआ था. ऐसे में इस बारे ऐसा नुकसान न हो वे अपने पार्षदों को साथ साथ जोड़े हुए है. ऐसे में वे भी मंगलवार सुबह ही चंडीगढ़ लौटेंगे.
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