ETV Bharat / state

लैब में ऐसे तैयार होते हैं उन्नत किस्म के बीज, किसानों के लिए फायदे की जानकारी - seed quality parameters news

चंडीगढ़ के वैज्ञानिक लैब के अंदर ऐसे बीजों का उत्पादन कर रहे हैं, जिनसे किसानों की आमदानी बढ़ाने वाले बीजों को तैयार कर रहा हैं. ये वैज्ञानिक कैसे किसी बीज में ऐसे बदलाव कर देते हैं कि उसकी फल पैदावार शक्ती बढ़ जाती है, इस बात का जवाब जानने के लिए ईटीवी भारत की टीम पहुंची चंडीगढ़ यूनिवर्सिटी का बायोटेक्नोलॉजी विभाग की लेबोरेटरी में.

crop-seed-genetically-changes
चंडीगढ़ यूनिवर्सिटी का बायोटेक्नोलॉजी विभाग में लैब में वैज्ञानिक तैयार करते हैं फसलों के बीज
author img

By

Published : Jul 6, 2021, 2:19 PM IST

चंडीगढ़: किसान पूरा सीजन खून पसीना एक कर फसल उगाता है. किसान की आमदनी उस फसल पर ही निर्भर होती है, लेकिन फसल की उपज कितनी होगी इस बात पर निर्भर करता है कि किसान ने किस गुणवत्ता के बीज इस्तेमाल किए हैं. ऐसे में जरूरी है कि किसानों को अच्छे से अच्छे किस्म के बीच उपलब्ध करवाए जाएं, ताकि किसान खुशहाल रहे.

चंडीगढ़ यूनिवर्सिटी का बायोटेक्नोलॉजी विभाग इसके लिए प्रयास रहता है कि किसानों को ऐसे बीज उपलब्ध हों जिससे उनके फसलों की पैदावार दोगुनी हो और फसलों की पोष्टिकता में भी कमी ना हो. चंडीगढ़ विश्वविद्यालय का बायोटेक्नोलॉजी विभाग फल, सब्जियों के बीजों में अनुवांशिक बदलाव (Genetic Changes In Seeds) कर उन्हें और अधिक उपजाऊ और पोष्टिक बनाने के लिए शोध करता है.

चंडीगढ़ यूनिवर्सिटी का बायोटेक्नोलॉजी विभाग के वैज्ञानिक प्रो. कश्मीर सिंह ने दी तकनीकी जानकारी, देखिए वीडियो

लंबी शोध प्रक्रिया के बाद तैयार होती है नई किस्म

ईटीवी भारत की टीम चंडीगढ़ विश्वविद्यालय में ये जानने के लिए पहुंची कि बायोटेक्नोलॉजी विभाग कैसे बीजों में अनुवांशिक बदलाव करता है. हमारी टीम ने विभाग के एचओडी और वैज्ञानिक प्रोफेसर कश्मीर सिंह से बातचीत की. इस दौरान प्रो. कश्मीर सिंह ने हमें लैब में भी जाकर दिखाया कि पौधों की नई किस्मों को तैयार करने के लिए किस तरह से अलग-अलग चरणों में काम किया जाता है.

ये पढ़ें- दक्षिण हरियाणा के किसानों ने धान की जगह इस फसल की खेती पर दिया जोर, बढ़ी कमाई

पौधों की पत्तियों में डाला जाता है नया जीन

प्रो. कश्मीर सिंह ने बताया कि सबसे पहले वो पौधे के पत्तों के छोटे-छोटे टुकड़े कर उन्हें मशीन में रखा जाता है. उन पत्तों में वैज्ञानिक उस तरह के जीन डालते हैं, जैसा पौधाव वो तैयार करना चाहते हैं. इसके बाद इन पत्तों को विशेष मशीन में रख दिया जाता है, कुछ समय बाद वो पौधे उस मशीन में पनपने शुरू हो जाते हैं.

crop-seed-genetically-changes
पौधों के पत्तों में जिनेटिक बदलाव की प्रक्रिया

उन्होंने बताया कि पौधों की पनपने की प्रक्रिया को एक अन्य मशीन में रखा जाता है जहां यह थोड़े और बड़े हो जाते हैं. इसके बाद ही ने गमलों में लगा दिया जाता है. फिर यह जांच जाता है कि पौधों के जींस में जो बदलाव किए थे वह हुए या नहीं. अगर प्रयोग सफल रहता है तो इन पौधों को बढ़ाकर इनसे बीज हासिल किए जाते हैं और उनसे और पौधे तैयार किए जाते हैं, ताकि ज्यादा बीजों को हासिल किया जा सके.

ये भी पढ़ें- पलवल की ये खास मूंग 60 दिन में बना देती है लखपति, दिल्ली एनसीआर की पहली पसंद

सरकार के भेजी जाती है रिपोर्ट

पौधों के बीज तैयार होने के बाद पूरे शोध की रिपोर्ट केंद्र सरकार को भेजी जाती है. जहां से संबंधित विभाग इन बीजों के परिणाम और पैदावार पर विचार विमर्श करता है. सब कुछ सही मिलने पर विभाग की तरफ से अनुमति दी जाती है कि इन बीजों को किसानों तक पहुंचाया जा सकता है.

crop-seed-genetically-changes
अनुवांशिक बदलाव होने के बाद पत्ते से पौधा पनपाने की प्रक्रिया

'सब्जियों-फलों की पोष्टिकता भी बढ़ाना संभव'

प्रो. कश्मीर सिंह ने जानकारी दी कि लेबोरेटरी में सब्जियों और फलों के पौधों में कई तरह के बदलाव किए जा सकते हैं. लैब में पौधों में अनुवांशिक बदलाव कर उनमें पोष्टिक तत्वों की मात्रा भी बढ़ाई जा सकती है, ताकि वह हमारे स्वास्थ्य के लिए भी ज्यादा बेहतर हों.

crop-seed-genetically-changes
बीज प्राप्त करने के लिए गमलों में लगाए गए पौधे.

ये पढे़ं- जल बचाना इनसे सीखे: हरियाणा के पिछड़े जिले ने अपनाई आधुनिक तकनीक, दूसरे जिलों के लिए पेश की मिसाल

किसी प्रयोग से पहले तंबाकू पर होता है शोध

प्रोफेसर कश्मीर सिंह ने बताया कि जिस तरह से मेडिकल साइंस में किसी भी नई खोज को सबसे पहले चूहों और बंदरों पर टेस्ट किया जाता है और बाद में उसे इंसानों पर टेस्ट किया जाता है. उसी तरह यहां भी सबसे पहले नई खोज को तंबाकू के पौधों (Tobacco Plants) पर टेस्ट किया जाता है. तंबाकू के पौधे मॉडल प्लांट के तौर पर इस्तेमाल किए जाते हैं. अगर वह प्रयोग तंबाकू के पौधे पर सफल रहता है तो फिर उसे संबंधित किस्म के पौधे पर इस्तेमाल किया जाता है.

ये पढ़ें- नूंह में मधुमक्खी पालन कर रहे यूपी के युवा, स्थानीय युवाओं के लिए बने मिसाल

चंडीगढ़: किसान पूरा सीजन खून पसीना एक कर फसल उगाता है. किसान की आमदनी उस फसल पर ही निर्भर होती है, लेकिन फसल की उपज कितनी होगी इस बात पर निर्भर करता है कि किसान ने किस गुणवत्ता के बीज इस्तेमाल किए हैं. ऐसे में जरूरी है कि किसानों को अच्छे से अच्छे किस्म के बीच उपलब्ध करवाए जाएं, ताकि किसान खुशहाल रहे.

चंडीगढ़ यूनिवर्सिटी का बायोटेक्नोलॉजी विभाग इसके लिए प्रयास रहता है कि किसानों को ऐसे बीज उपलब्ध हों जिससे उनके फसलों की पैदावार दोगुनी हो और फसलों की पोष्टिकता में भी कमी ना हो. चंडीगढ़ विश्वविद्यालय का बायोटेक्नोलॉजी विभाग फल, सब्जियों के बीजों में अनुवांशिक बदलाव (Genetic Changes In Seeds) कर उन्हें और अधिक उपजाऊ और पोष्टिक बनाने के लिए शोध करता है.

चंडीगढ़ यूनिवर्सिटी का बायोटेक्नोलॉजी विभाग के वैज्ञानिक प्रो. कश्मीर सिंह ने दी तकनीकी जानकारी, देखिए वीडियो

लंबी शोध प्रक्रिया के बाद तैयार होती है नई किस्म

ईटीवी भारत की टीम चंडीगढ़ विश्वविद्यालय में ये जानने के लिए पहुंची कि बायोटेक्नोलॉजी विभाग कैसे बीजों में अनुवांशिक बदलाव करता है. हमारी टीम ने विभाग के एचओडी और वैज्ञानिक प्रोफेसर कश्मीर सिंह से बातचीत की. इस दौरान प्रो. कश्मीर सिंह ने हमें लैब में भी जाकर दिखाया कि पौधों की नई किस्मों को तैयार करने के लिए किस तरह से अलग-अलग चरणों में काम किया जाता है.

ये पढ़ें- दक्षिण हरियाणा के किसानों ने धान की जगह इस फसल की खेती पर दिया जोर, बढ़ी कमाई

पौधों की पत्तियों में डाला जाता है नया जीन

प्रो. कश्मीर सिंह ने बताया कि सबसे पहले वो पौधे के पत्तों के छोटे-छोटे टुकड़े कर उन्हें मशीन में रखा जाता है. उन पत्तों में वैज्ञानिक उस तरह के जीन डालते हैं, जैसा पौधाव वो तैयार करना चाहते हैं. इसके बाद इन पत्तों को विशेष मशीन में रख दिया जाता है, कुछ समय बाद वो पौधे उस मशीन में पनपने शुरू हो जाते हैं.

crop-seed-genetically-changes
पौधों के पत्तों में जिनेटिक बदलाव की प्रक्रिया

उन्होंने बताया कि पौधों की पनपने की प्रक्रिया को एक अन्य मशीन में रखा जाता है जहां यह थोड़े और बड़े हो जाते हैं. इसके बाद ही ने गमलों में लगा दिया जाता है. फिर यह जांच जाता है कि पौधों के जींस में जो बदलाव किए थे वह हुए या नहीं. अगर प्रयोग सफल रहता है तो इन पौधों को बढ़ाकर इनसे बीज हासिल किए जाते हैं और उनसे और पौधे तैयार किए जाते हैं, ताकि ज्यादा बीजों को हासिल किया जा सके.

ये भी पढ़ें- पलवल की ये खास मूंग 60 दिन में बना देती है लखपति, दिल्ली एनसीआर की पहली पसंद

सरकार के भेजी जाती है रिपोर्ट

पौधों के बीज तैयार होने के बाद पूरे शोध की रिपोर्ट केंद्र सरकार को भेजी जाती है. जहां से संबंधित विभाग इन बीजों के परिणाम और पैदावार पर विचार विमर्श करता है. सब कुछ सही मिलने पर विभाग की तरफ से अनुमति दी जाती है कि इन बीजों को किसानों तक पहुंचाया जा सकता है.

crop-seed-genetically-changes
अनुवांशिक बदलाव होने के बाद पत्ते से पौधा पनपाने की प्रक्रिया

'सब्जियों-फलों की पोष्टिकता भी बढ़ाना संभव'

प्रो. कश्मीर सिंह ने जानकारी दी कि लेबोरेटरी में सब्जियों और फलों के पौधों में कई तरह के बदलाव किए जा सकते हैं. लैब में पौधों में अनुवांशिक बदलाव कर उनमें पोष्टिक तत्वों की मात्रा भी बढ़ाई जा सकती है, ताकि वह हमारे स्वास्थ्य के लिए भी ज्यादा बेहतर हों.

crop-seed-genetically-changes
बीज प्राप्त करने के लिए गमलों में लगाए गए पौधे.

ये पढे़ं- जल बचाना इनसे सीखे: हरियाणा के पिछड़े जिले ने अपनाई आधुनिक तकनीक, दूसरे जिलों के लिए पेश की मिसाल

किसी प्रयोग से पहले तंबाकू पर होता है शोध

प्रोफेसर कश्मीर सिंह ने बताया कि जिस तरह से मेडिकल साइंस में किसी भी नई खोज को सबसे पहले चूहों और बंदरों पर टेस्ट किया जाता है और बाद में उसे इंसानों पर टेस्ट किया जाता है. उसी तरह यहां भी सबसे पहले नई खोज को तंबाकू के पौधों (Tobacco Plants) पर टेस्ट किया जाता है. तंबाकू के पौधे मॉडल प्लांट के तौर पर इस्तेमाल किए जाते हैं. अगर वह प्रयोग तंबाकू के पौधे पर सफल रहता है तो फिर उसे संबंधित किस्म के पौधे पर इस्तेमाल किया जाता है.

ये पढ़ें- नूंह में मधुमक्खी पालन कर रहे यूपी के युवा, स्थानीय युवाओं के लिए बने मिसाल

ETV Bharat Logo

Copyright © 2025 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.