चंडीगढ़: किसान पूरा सीजन खून पसीना एक कर फसल उगाता है. किसान की आमदनी उस फसल पर ही निर्भर होती है, लेकिन फसल की उपज कितनी होगी इस बात पर निर्भर करता है कि किसान ने किस गुणवत्ता के बीज इस्तेमाल किए हैं. ऐसे में जरूरी है कि किसानों को अच्छे से अच्छे किस्म के बीच उपलब्ध करवाए जाएं, ताकि किसान खुशहाल रहे.
चंडीगढ़ यूनिवर्सिटी का बायोटेक्नोलॉजी विभाग इसके लिए प्रयास रहता है कि किसानों को ऐसे बीज उपलब्ध हों जिससे उनके फसलों की पैदावार दोगुनी हो और फसलों की पोष्टिकता में भी कमी ना हो. चंडीगढ़ विश्वविद्यालय का बायोटेक्नोलॉजी विभाग फल, सब्जियों के बीजों में अनुवांशिक बदलाव (Genetic Changes In Seeds) कर उन्हें और अधिक उपजाऊ और पोष्टिक बनाने के लिए शोध करता है.
लंबी शोध प्रक्रिया के बाद तैयार होती है नई किस्म
ईटीवी भारत की टीम चंडीगढ़ विश्वविद्यालय में ये जानने के लिए पहुंची कि बायोटेक्नोलॉजी विभाग कैसे बीजों में अनुवांशिक बदलाव करता है. हमारी टीम ने विभाग के एचओडी और वैज्ञानिक प्रोफेसर कश्मीर सिंह से बातचीत की. इस दौरान प्रो. कश्मीर सिंह ने हमें लैब में भी जाकर दिखाया कि पौधों की नई किस्मों को तैयार करने के लिए किस तरह से अलग-अलग चरणों में काम किया जाता है.
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पौधों की पत्तियों में डाला जाता है नया जीन
प्रो. कश्मीर सिंह ने बताया कि सबसे पहले वो पौधे के पत्तों के छोटे-छोटे टुकड़े कर उन्हें मशीन में रखा जाता है. उन पत्तों में वैज्ञानिक उस तरह के जीन डालते हैं, जैसा पौधाव वो तैयार करना चाहते हैं. इसके बाद इन पत्तों को विशेष मशीन में रख दिया जाता है, कुछ समय बाद वो पौधे उस मशीन में पनपने शुरू हो जाते हैं.
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उन्होंने बताया कि पौधों की पनपने की प्रक्रिया को एक अन्य मशीन में रखा जाता है जहां यह थोड़े और बड़े हो जाते हैं. इसके बाद ही ने गमलों में लगा दिया जाता है. फिर यह जांच जाता है कि पौधों के जींस में जो बदलाव किए थे वह हुए या नहीं. अगर प्रयोग सफल रहता है तो इन पौधों को बढ़ाकर इनसे बीज हासिल किए जाते हैं और उनसे और पौधे तैयार किए जाते हैं, ताकि ज्यादा बीजों को हासिल किया जा सके.
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सरकार के भेजी जाती है रिपोर्ट
पौधों के बीज तैयार होने के बाद पूरे शोध की रिपोर्ट केंद्र सरकार को भेजी जाती है. जहां से संबंधित विभाग इन बीजों के परिणाम और पैदावार पर विचार विमर्श करता है. सब कुछ सही मिलने पर विभाग की तरफ से अनुमति दी जाती है कि इन बीजों को किसानों तक पहुंचाया जा सकता है.
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'सब्जियों-फलों की पोष्टिकता भी बढ़ाना संभव'
प्रो. कश्मीर सिंह ने जानकारी दी कि लेबोरेटरी में सब्जियों और फलों के पौधों में कई तरह के बदलाव किए जा सकते हैं. लैब में पौधों में अनुवांशिक बदलाव कर उनमें पोष्टिक तत्वों की मात्रा भी बढ़ाई जा सकती है, ताकि वह हमारे स्वास्थ्य के लिए भी ज्यादा बेहतर हों.
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किसी प्रयोग से पहले तंबाकू पर होता है शोध
प्रोफेसर कश्मीर सिंह ने बताया कि जिस तरह से मेडिकल साइंस में किसी भी नई खोज को सबसे पहले चूहों और बंदरों पर टेस्ट किया जाता है और बाद में उसे इंसानों पर टेस्ट किया जाता है. उसी तरह यहां भी सबसे पहले नई खोज को तंबाकू के पौधों (Tobacco Plants) पर टेस्ट किया जाता है. तंबाकू के पौधे मॉडल प्लांट के तौर पर इस्तेमाल किए जाते हैं. अगर वह प्रयोग तंबाकू के पौधे पर सफल रहता है तो फिर उसे संबंधित किस्म के पौधे पर इस्तेमाल किया जाता है.
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