चंडीगढ़/नई दिल्ली: पंजाब विधानसभा में बीते शुक्रवार को चंडीगढ़ को तुरंत पंजाब को देने का प्रस्ताव (proposal to give chandigarh to punjab) पास किया गया. इसको लेकर हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री और नेता विपक्ष भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने (Bhupinder Singh Hooda on Chandigarh issue) ने सोमवार को दिल्ली में हरियाणा कांग्रेस विधायक दल की बैठक ली. इसमें चंडीगढ़ मुद्दे के अलावा एसवाईएल पर चर्चा की गई. ये बैठक करीब 2 घंटे तक चली.
बैठक में पंजाब सरकार द्वारा विधानसभा में चंडीगढ़ को लेकर पास किए गए प्रस्ताव पर कड़ी आपत्ति जाहिर की गई. विधायक दल ने एकमत से कहा कि चंडीगढ़ हरियाणा की राजधानी थी, है और रहेगी. प्रदेश के अधिकारों का संरक्षण करने के लिए राज्यपाल से लेकर राष्ट्रपति तक से मुलाकात की जाएगी. साथ ही एक बार फिर प्रधानमंत्री से मिलने का समय भी मांगा जाएगा. बैठक के बाद भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने बताया कि पंजाब के साथ हरियाणा के तीन मसलों को लेकर विवाद है. पहला एसवाईएल का पानी, दूसरा हिंदी भाषी क्षेत्र और तीसरा राजधानी. हमारी प्राथमिकता है कि सबसे पहले सुप्रीम कोर्ट के फैसले के मुताबिक हरियाणा को एसवाईएल का पानी मिले. उसके बाद बाकी मसलों पर भी बातचीत हो.
हुड्डा ने कहा कि विधायक दल की बैठक में (Haryana Legislature Party meeting in Delhi) भाखड़ा ब्यास मैनेजमेंट बोर्ड (बीबीएमबी) में हरियाणा और पंजाब की स्थाई सदस्यता खत्म किए जाने का भी विरोध किया गया. भाखड़ा ब्यास मैनेजमेंट बोर्ड में पहले सदस्य (पावर) पंजाब से और सदस्य (सिंचाई) हरियाणा से होते थे, लेकिन संशोधित नियम में यह अनिवार्यता खत्म कर दी गई है. संशोधित नियमों के मुताबिक अब सदस्य किसी भी राज्य से हो सकते हैं. अगर ऐसा हुआ तो बोर्ड में हरियाणा के हित सुरक्षित नहीं रह पाएंगे.
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नेता प्रतिपक्ष ने कहा कि हरियाणा विधानसभा के विशेष सत्र में प्रदेशहित में जो भी प्रस्ताव लाया जाएगा, कांग्रेस उसका पुरजोर तरीके से समर्थन करेगी, लेकिन अगर कहीं भी हरियाणा का अहित दिखाई दिया तो उसपर विरोध भी दर्ज करवाया जाएगा. क्योंकि पंजाब सरकार ने विधानसभा में जो प्रस्ताव पास किया है, वह हरियाणा के अधिकारों के विरुद्ध है और पूर्णतः असंवैधानिक है. हुड्डा ने इसे राजनीतिक जुमला करार दिया है. उनका कहना है कि प्रदेशहित में अगर कोई भी कुर्बानी देनी पड़ी तो वो उसके लिए तैयार हैं. सिर्फ राजनीतिक दल ही नहीं बल्कि हर हरियाणवी इस मसले पर एकजुट है.
नेता विपक्ष भूपेंद्र सिंह हुड्डा की अध्यक्षता में हुई इस विधायक दल की इस बैठक में विधायक गीता भुक्कल, शकुंतला खटक, आफताब अहमद, बीबी बत्रा, नीरज शर्मा, वरुण चौधरी, मोहम्मद इलियास, अमित सिहाग, राजेंद्र जून, धर्म सिंह छोकर, सुरेंद्र पवार, मामन खान, जगबीर मलिक, इंदु राज नरवाल, कुलदीप वत्स, राव दान सिंह, डॉ. रघुवीर कादियान, जयवीर वाल्मीकि, सुभाष गांगुली, चिरंजीव राव समेत राज्यसभा सांसद दीपेंद्र हुड्डा भी शामिल हुए.
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क्या है मामला- दरअसल, आम आदमी पार्टी ने 8 अप्रैल को पंजाब विधानसभा में चंडीगढ़ को तुरंत पंजाब को देने का प्रस्ताव (proposal to give chandigarh to punjab) पास किया था. इस प्रस्ताव का पंजाब कांग्रेस, अकाली दल और बसपा ने समर्थन किया. वहीं, बीजेपी ने इसका विरोध किया और मुख्यमंत्री भगवंत मान सरकार की मंशा पर सवाल खड़े किए. पंजाब विधानसभा में प्रस्ताव पास होने के बाद CM भगवंत मान ने कहा कि पंजाब को बचाने के लिए वो संसद के अंदर-बाहर और सड़कों पर लड़ाई लड़ने के लिए तैयार हैं. इस बारे में वो जल्द ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह से मुलाकात करेंगे.
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