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कृषि अध्यादेश पर बातचीत के लिए गठित कमेटी पर पूर्व सीएम हुड्डा ने उठाए सवाल

कृषि अध्यादेश पर बातचीत को लेकर गठित कमेटी पर नेता प्रतिपक्ष और पूर्व सीएम भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने कई सवाल खड़े किए हैं. उन्होंने कहा कि सरकार द्वारा गठित कमेटी सिर्फ और सिर्फ किसानों को गुमराह करने के लिए बनाई गई है.

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Published : Sep 13, 2020, 7:37 PM IST

Bhupendra Hooda raise question on agriculture ordinence Committee
Bhupendra Hooda raise question on agriculture ordinence Committee

चंडीगढ़: पूर्व मुख्यमंत्री और नेता प्रतिपक्ष भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने बीजेपी द्वारा आंदोलनरत किसानों से बातचीत के लिए बनाई गई 3 सांसदों वाली कमेटी पर सवाल उठाए हैं. उनका कहना है कि तीन अध्यादेश पर चर्चा के लिए बनाई गई कमेटी का मक़सद सिर्फ किसानों को गुमराह करना है.

कृषि अध्यादेश पर हुड्डा ने खड़े किए सवाल

इस कमेटी के पास ना कोई संवैधानिक शक्ति है और ना ही कोई राजनीतिक इच्छा शक्ति है. अगर इसके पास कोई शक्ति है तो उसे सबसे पहले किसानों पर लाठी चलाने और चलवाने वालों पर कार्रवाई करनी चाहिए. कमेटी को फोरन किसानों पर दर्ज मुकदमें वापस लेने चाहिए. एक तरफ सरकार किसानों को मुकदमों का डर दिखाकर दबाने में लगी है तो वहीं दूसरी तरफ बातचीत का ड्रामा कर रही है.

'कमेटी को खानापूर्ति करने के लिए बनाया है'

भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने पूछा कि जब सीएम या कृषि मंत्री इन तीन अध्यादेशों में किसी तरह का बदलाव करने को ही तैयार नहीं है तो बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष द्वारा बनाई गई कमेटी की सुनवाई कौन करेगा? क्या खानापूर्ति के लिए बनाई गई इस कमेटी की सिफारिश पर केंद्र सरकार अपना फैसला बदल लेगी? विधानसभा में कोरोना की आड़ लेकर सरकार बिल पर चर्चा से क्यों भाग गई?

एमएसपी पर पूछा सवाल

उन्होंने कहा कि आने वाले सत्र में कांग्रेस एमएसपी की गारंटी वाला प्राइवेट मेंबर बिल विधानसभा में लेकर आएगी तो क्या बीजेपी उसका समर्थन करेगी? अगर बीजेपी ऐसा नहीं करती है तो क्या पंजाब की तर्ज पर इन तीनों अध्यादेशों को खारिज किया जाएगा? हुड्डा ने कहा कि बीजेपी किसानों के साथ बातचीत को लेकर गंभीर होती तो वो 3 अध्यादेश लाने से पहले उनसे सलाह मशविरा करती.

ये भी पढ़ें- किसान क्यों कर रहे हैं कृषि अध्यादेशों का विरोध? सुनिए क्या कहा गुरनाम सिंह चढूनी ने

अगर सरकार किसानों की मांग मानने के लिए गंभीर होती तो वो अध्यादेशों को किसानों पर थोपने के बजाय इसमें एमएसपी की गारंटी का प्रावधान जरूर जोड़ती. बीजेपी को अपने वादे के मुताबिक अपने फैसलों में स्वामीनाथन आयोग के सी2 फार्मूले के तहत एमएसपी की गारंटी का प्रावधान जोड़ना चाहिए. इसके लिए अलग से अध्यादेश या कानून लाने की जरूरत पड़े तो उसको लाना चाहिए.

हरियाणा का किसान जाग चुका है

नेता प्रतिपक्ष ने कहा कि ये कमेटी असली मुद्दों से ध्यान भटकाकर किसानों की एकता को तोड़ने की कोशिश में लगी है. जो किसान संगठन इन अध्यादेशों के खिलाफ संघर्ष कर रहे हैं, उनकी बजाए कमेटी के नेता अपने चहेते संगठनों से मुलाकात करके बातचीत का नाटक कर रहे हैं. कमेटी की तरफ से किसानों को आधी अधूरी जानकारी देकर गुमराह किया जा रहा है. उन्होंने कहा कि हरियाणा का किसान अब जाग चुका है. ना उसे बांटा जा सकता और ना ही गुमराह किया जा सकता.

चंडीगढ़: पूर्व मुख्यमंत्री और नेता प्रतिपक्ष भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने बीजेपी द्वारा आंदोलनरत किसानों से बातचीत के लिए बनाई गई 3 सांसदों वाली कमेटी पर सवाल उठाए हैं. उनका कहना है कि तीन अध्यादेश पर चर्चा के लिए बनाई गई कमेटी का मक़सद सिर्फ किसानों को गुमराह करना है.

कृषि अध्यादेश पर हुड्डा ने खड़े किए सवाल

इस कमेटी के पास ना कोई संवैधानिक शक्ति है और ना ही कोई राजनीतिक इच्छा शक्ति है. अगर इसके पास कोई शक्ति है तो उसे सबसे पहले किसानों पर लाठी चलाने और चलवाने वालों पर कार्रवाई करनी चाहिए. कमेटी को फोरन किसानों पर दर्ज मुकदमें वापस लेने चाहिए. एक तरफ सरकार किसानों को मुकदमों का डर दिखाकर दबाने में लगी है तो वहीं दूसरी तरफ बातचीत का ड्रामा कर रही है.

'कमेटी को खानापूर्ति करने के लिए बनाया है'

भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने पूछा कि जब सीएम या कृषि मंत्री इन तीन अध्यादेशों में किसी तरह का बदलाव करने को ही तैयार नहीं है तो बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष द्वारा बनाई गई कमेटी की सुनवाई कौन करेगा? क्या खानापूर्ति के लिए बनाई गई इस कमेटी की सिफारिश पर केंद्र सरकार अपना फैसला बदल लेगी? विधानसभा में कोरोना की आड़ लेकर सरकार बिल पर चर्चा से क्यों भाग गई?

एमएसपी पर पूछा सवाल

उन्होंने कहा कि आने वाले सत्र में कांग्रेस एमएसपी की गारंटी वाला प्राइवेट मेंबर बिल विधानसभा में लेकर आएगी तो क्या बीजेपी उसका समर्थन करेगी? अगर बीजेपी ऐसा नहीं करती है तो क्या पंजाब की तर्ज पर इन तीनों अध्यादेशों को खारिज किया जाएगा? हुड्डा ने कहा कि बीजेपी किसानों के साथ बातचीत को लेकर गंभीर होती तो वो 3 अध्यादेश लाने से पहले उनसे सलाह मशविरा करती.

ये भी पढ़ें- किसान क्यों कर रहे हैं कृषि अध्यादेशों का विरोध? सुनिए क्या कहा गुरनाम सिंह चढूनी ने

अगर सरकार किसानों की मांग मानने के लिए गंभीर होती तो वो अध्यादेशों को किसानों पर थोपने के बजाय इसमें एमएसपी की गारंटी का प्रावधान जरूर जोड़ती. बीजेपी को अपने वादे के मुताबिक अपने फैसलों में स्वामीनाथन आयोग के सी2 फार्मूले के तहत एमएसपी की गारंटी का प्रावधान जोड़ना चाहिए. इसके लिए अलग से अध्यादेश या कानून लाने की जरूरत पड़े तो उसको लाना चाहिए.

हरियाणा का किसान जाग चुका है

नेता प्रतिपक्ष ने कहा कि ये कमेटी असली मुद्दों से ध्यान भटकाकर किसानों की एकता को तोड़ने की कोशिश में लगी है. जो किसान संगठन इन अध्यादेशों के खिलाफ संघर्ष कर रहे हैं, उनकी बजाए कमेटी के नेता अपने चहेते संगठनों से मुलाकात करके बातचीत का नाटक कर रहे हैं. कमेटी की तरफ से किसानों को आधी अधूरी जानकारी देकर गुमराह किया जा रहा है. उन्होंने कहा कि हरियाणा का किसान अब जाग चुका है. ना उसे बांटा जा सकता और ना ही गुमराह किया जा सकता.

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