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Bhai Dooj 2023: भाई-बहन के स्नेह और प्रेम का त्योहार भाई दूज, यमुना ने यमराज से मांगा था वरदान, ये है पौराणिक कथा

Bhai Dooj 2023 Date कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि को भाई दूज या फिर यम द्वितीया के नाम से भी जाना जाता है. भाई दूज के दिन बहनें भाई के माथे पर तिलक लगाकर भाई की खुशहाली और लंबी उम्र के लिए कामना करती हैं. पौराणिक मान्यता है कि भाई दूज के दिन यमुना ने यमराज से एक विशेष वर मांगा था. आखिर भाई दूज को लेकर क्या है पौराणिक मान्यता जानने के लिए पढ़ें पूरी खबर.

Bhai Dooj 2023 Date yamuna and brother yamraj
भाई दूज पौराणिक कथा
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By ETV Bharat Haryana Team

Published : Nov 14, 2023, 11:07 AM IST

Updated : Nov 15, 2023, 6:38 AM IST

चंडीगढ़: हिंदू धर्म में व्रत एवं त्योहार का विशेष महत्व है. इसमें से अधिकांश व्रत और त्योहार मनाने के पीछे कोई न कोई मान्यता भी है. इन्हीं त्योहारों में से एक है भाई दूज का त्योहार. भाई दूज का त्योहार भाई और बहनों के स्नेह एवं प्रेम का प्रतीक है. मान्यता है कि बहने इस दिन भाइयों की लंबी उम्र और सुख-समृद्धि की कामना करती हैं. इस दिन बहनें अपने भाई के माथे पर तिलक लगाकर, कलावा बांधती हैं. कहीं-कहीं बहने इस दिन भाई को तिलक लगाकर हाथ भी पूजती हैं. वहीं, भाई इस दिन सामर्थ्य अनुसार बहनों को उपहार देते हैं. भाई-दूज को लेकर कई पौराणिक कथाएं भी प्रचलित हैं. आइए जानते हैं भाई दूज को लेकर क्या पौराणिक मान्यताएं हैं. मान्यता है कि भाई दूज का संबंध यमराज से है, इसलिए इसे यम द्वितीया के नाम से भी जाना जाता है.

भाई दूज का शुभ मुहूर्त: पंडित पवन शर्मा के अनुसार, हिंदू पंचांग के मुताबिक द्वितीया तिथि 14 नवंबर को दोपहर 2:36 बजे से शुरू होगा और इसका समापन 15 नवंबर को दोपहर 1:47 बजे होगा. दरअसल सनातन धर्म में प्रत्येक व्रत एवं त्योहार उदय तिथि के साथ मनाते हैं. ऐसे में इस साल भाई दूज का त्योहार बुधवार, 15 नवंबर को है.

भाई दूज की पौराणिक कथा: भाई दूज को लेकर जो पौराणिक कथाएं प्रचलित हैं उसके अनुसार, एक समय की बात है भगवान यम अपनी बहन यमुना से मिलने गए, तो बहन यमुना अपने भाई यम को एक आसन पर बिठाकर माथे पर तिलक लगाकर उनकी आरती उतारी. इसके बाद यमुना ने अपने भाई यम को तरह-तरह के पकवान बनाकर खिलाया. इससे यमराज प्रसन्न हो गए.

बहन यमुना ने यमराज से मांगा था ये वरदान: पौराणिक कथा के अनुसार, मृत्यु के देवता यमराज कार्तिक शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि को ही पहली बार अपनी बहन यमुना के घर आए थे. दरअसल यमुना ने यमराज से कहा था कि सभी भाई अपनी बहन के घर आते हैं और आप कभी नहीं आते. ऐसे में दिवाली के बाद द्वितीया तिथि को ही यमराज अपनी बहन यमुना के घर आए थे. इस दौरान यमुना ने अपने भाई यमराज का काफी सेवा सत्कार किया था. बहन की सेवा-भाव से यमराज काफी प्रसन्न हुए थे और उन्होंने बहन से वरदान मांगने के लिए कहा. इस पर यमुना ने कहा कि जो भी भाई कार्तिक माह में शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि को अपनी बहन के घर जाएगा उसे यम का भय ना हो. बहन की मांग पर यमराज ने वचन देते हुए कहा कि भाई दूज के दिन जो भी भाई अपनी बहन के घर जाएगा उसे मृत्यु का भय नहीं होगा.

ये भी पढ़ें: जानिए कब मनाया जाएगा भाई दूज का त्योहार, क्या है शुभ मुहूर्त, इसका महत्व और तिलक करने की विधि?

ये भी पढ़ें: Vinayak Chaturthi 2023: जानिए कब है विनायक चतुर्थी, ऐसे करेंगे पूजा तो सभी संकट और दुख दूर करेंगे विघ्नहर्ता श्री गणेश

चंडीगढ़: हिंदू धर्म में व्रत एवं त्योहार का विशेष महत्व है. इसमें से अधिकांश व्रत और त्योहार मनाने के पीछे कोई न कोई मान्यता भी है. इन्हीं त्योहारों में से एक है भाई दूज का त्योहार. भाई दूज का त्योहार भाई और बहनों के स्नेह एवं प्रेम का प्रतीक है. मान्यता है कि बहने इस दिन भाइयों की लंबी उम्र और सुख-समृद्धि की कामना करती हैं. इस दिन बहनें अपने भाई के माथे पर तिलक लगाकर, कलावा बांधती हैं. कहीं-कहीं बहने इस दिन भाई को तिलक लगाकर हाथ भी पूजती हैं. वहीं, भाई इस दिन सामर्थ्य अनुसार बहनों को उपहार देते हैं. भाई-दूज को लेकर कई पौराणिक कथाएं भी प्रचलित हैं. आइए जानते हैं भाई दूज को लेकर क्या पौराणिक मान्यताएं हैं. मान्यता है कि भाई दूज का संबंध यमराज से है, इसलिए इसे यम द्वितीया के नाम से भी जाना जाता है.

भाई दूज का शुभ मुहूर्त: पंडित पवन शर्मा के अनुसार, हिंदू पंचांग के मुताबिक द्वितीया तिथि 14 नवंबर को दोपहर 2:36 बजे से शुरू होगा और इसका समापन 15 नवंबर को दोपहर 1:47 बजे होगा. दरअसल सनातन धर्म में प्रत्येक व्रत एवं त्योहार उदय तिथि के साथ मनाते हैं. ऐसे में इस साल भाई दूज का त्योहार बुधवार, 15 नवंबर को है.

भाई दूज की पौराणिक कथा: भाई दूज को लेकर जो पौराणिक कथाएं प्रचलित हैं उसके अनुसार, एक समय की बात है भगवान यम अपनी बहन यमुना से मिलने गए, तो बहन यमुना अपने भाई यम को एक आसन पर बिठाकर माथे पर तिलक लगाकर उनकी आरती उतारी. इसके बाद यमुना ने अपने भाई यम को तरह-तरह के पकवान बनाकर खिलाया. इससे यमराज प्रसन्न हो गए.

बहन यमुना ने यमराज से मांगा था ये वरदान: पौराणिक कथा के अनुसार, मृत्यु के देवता यमराज कार्तिक शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि को ही पहली बार अपनी बहन यमुना के घर आए थे. दरअसल यमुना ने यमराज से कहा था कि सभी भाई अपनी बहन के घर आते हैं और आप कभी नहीं आते. ऐसे में दिवाली के बाद द्वितीया तिथि को ही यमराज अपनी बहन यमुना के घर आए थे. इस दौरान यमुना ने अपने भाई यमराज का काफी सेवा सत्कार किया था. बहन की सेवा-भाव से यमराज काफी प्रसन्न हुए थे और उन्होंने बहन से वरदान मांगने के लिए कहा. इस पर यमुना ने कहा कि जो भी भाई कार्तिक माह में शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि को अपनी बहन के घर जाएगा उसे यम का भय ना हो. बहन की मांग पर यमराज ने वचन देते हुए कहा कि भाई दूज के दिन जो भी भाई अपनी बहन के घर जाएगा उसे मृत्यु का भय नहीं होगा.

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Last Updated : Nov 15, 2023, 6:38 AM IST
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