चंडीगढ़: सुखना कैचमेंट एरिया में अवैध निर्माण गिराने के अपने ही फैसले पर पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट ने अगले आदेशों तक रोक जारी रखी है. बता दें कि हाईकोर्ट की डबल बेंच ने सिंगल बेंच के आदेश पर रोक लगा दी है.
जस्टिस जसवंत सिंह और जस्टिस हरिंदर सिंह सिद्धू की खंडपीठ ने हाईकोर्ट के उस निर्देश पर भी रोक लगा दी है. जिसमें पंजाब और हरियाणा सरकार को सौ-सौ करोड़ रुपए मुआवजा कैचमेंट एरिया को उसके वास्तविक मूल स्वरूप में लौटाने के लिए हर्जाने के तौर पर अदा करने के लिए कहा गया था.
खंडपीठ ने मामले पर 26 मई के लिए सुनवाई तय करते हुए एनआईएच रुड़की को मामले में प्रतिवादी बनाया है.सुनवाई के दौरान पंजाब सरकार के एडवोकेट जनरल ने एक पत्र पेश किया जिसमें कहा कि सर्वे ऑफ इंडिया का नक्शा टोपोग्राफिक नहीं है.
बता दें कि 2 मार्च 2020 को हाईकोर्ट ने आदेश दिया था कि सर्वे ऑफ इंडिया के 21 दिसंबर 2004 के नक्शे के मुताबिक कैचमेंट एरिया में अवैध निर्माण 3 महीने के भीतर गिराया जाए.
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याचिकाकर्ता ने कोर्ट में कहा कि जब सर्वे ऑफ इंडिया का नक्शा सवालों के घेरे में है तो उसके आधार पर कोई कार्यवाही नहीं की जानी चाहिए. बता दें कि हाईकोर्ट में 2 मार्च के फैसले पर पुनर्विचार के लिए 4 याचिकाएं दायर की गई थीं.
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याचिका में कहा गया कि सुखना के कैचमेंट एरिया को लेकर विवाद की स्थिति है ऐसे में स्थिति को स्पष्ट किए बिना निर्माण कार्य गिराने का फैसला सही नहीं है. कोर्ट ने याचिकाकर्ता की मांग पर विचार करते हुए अपने ही फैसले पर अगले आदेश तक रोक लगा दी है.