चंडीगढ़: कोरोना की दूसरी लहर में मरीजों को ऑक्सीजन की कमी के चलते अपनी जान से हाथ धोना पड़ा था. सबसे ज्यादा मौतों की वजह ऑक्सीजन की कमी रही. सभी राज्यों में जमकर सियासत हुई. इस दौरान दिल्ली सरकार ने केंद्र पर आरोप लगाए थे कि उन्हें केंद्र से जरूरत से कम ऑक्सीजन दी जा रही है, लेकिन अब केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने सुप्रीम कोर्ट में एक हलफनामा दायर किया है, जिसमें कोर्ट द्वारा गठित पैनल की प्रारंभिक रिपोर्ट का हवाला दिया गया है. कोरोना के दौरान दिल्ली में हुए ऑक्सीजन संकट और तुरंत बढ़ी डिमांड को लेकर कई कमियां उजागर की गई हैं.
इस रिपोर्ट के बाद सियासी पारा चढ़ना भी तय था और हुआ भी ऐसा ही. बता दें कि हरियाणा के गृह मंत्री अनिल विज ने ट्वीट कर दिल्ली सरकार पर निशान साधा है. उन्होंने कहा कि दिल्ली में ऑक्सीजन संकट पर केजरीवाल ने जो कमियां बरतीं उसकी जांच के लिए एक उच्चस्तरीय समिति का गठन किया जाए.
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अनिल विज (Anil Vij) ने कहा कि कोरोना काल में दिल्ली सरकार ने आवश्यकता से अधिक ऑक्सीजन हासिल की और उस ऑक्सीजन का केजरीवाल ने क्या किया. यह भी पता लगाना चाहिए कि कहीं उसको बेच कर मुनाफा तो नहीं कमाया गया.
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विज ने कहा कि झूठे आंकड़े प्रस्तुत कर दिल्ली की केजरीवाल सरकार द्वारा कोरोना काल में आवश्यकता से अधिक ऑक्सीजन हासिल की गई. जिसका अन्य राज्यों पर विपरीत असर पड़ा और वहां पर ऑक्सीजन की कमी से जिन रोगियों की मृत्यु हुई है उसके लिये केजरीवाल और उसके सहयोगियों पर हत्या का मामला दर्ज किया जाना चाहिए.
ये है पूरा मामला
रिपोर्ट में दिल्ली में ऑक्सीजन टैंकर सप्लाई और ऑक्सीजन के ट्रांसपोर्ट, अपलोडिंग और स्टोरेज को लेकर भी गंभीर सवाल उठाए गए हैं. टास्क फोर्स के अनुसार 13 मई को दिल्ली में 290-400 एमटी ऑक्सीजन की जरूरत थी, जिसमें 100 एमटी इमरजेंसी के लिए रिजर्व था. रिपोर्ट में दिल्ली सरकार की कार्यप्रणाली पर भी प्रश्न चिह्न लगाया गया है.