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1985 की गलती को अब सरकार ने किया दुरुस्त! दादूपुर नलवी नहर के लिए अधिग्रहित जमीन डि-नोटिफाई

दरअसल, 27 सितंबर 2017 को हरियाणा सरकार की कैबिनेट की मीटिंग हुई थी. सरकार ने पहले इस जमीन को 2013 एक्ट के सेक्शन 101 के तहत डिनोटिफाई करने का फैसला लिया था, लेकिन बाद में महसूस किया गया कि इस सेक्शन के तहत  डिनोटिफाई नहीं हो सकता.

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Published : Jun 25, 2019, 10:10 PM IST

चंडीगढ़: मंगलवार को हरियाणा मंत्रिमंडल की बैठक के दौरान 30 साल पहले अधिग्रहीत किए गए दादूपुर नलवी नहर के लिए जमीन को डि-नोटिफाई करने का फैसला कर लिया है. इस फैसले के बाद अब किसान 9 प्रतिशत ब्याज के साथ अपनी जमीन वापस ले सकते हैं. इस फैसले में करीब 820 एकड़ जमीन को वापस किया जाना है.

डी-नोटिफिकेशन के लिए सरकार को लगे कई साल
दरअसल, 27 सितंबर 2017 को हरियाणा सरकार की कैबिनेट की मीटिंग हुई थी. सरकार ने पहले इस जमीन को 2013 एक्ट के सेक्शन 101 के तहत डिनोटिफाई करने का फैसला लिया था, लेकिन बाद में महसूस किया गया कि इस सेक्शन के तहत डिनोटिफाई नहीं हो सकता. सिर्फ सेक्शन 101ए में संशोधन करके ही किया जा सकता है. इस पर सरकार ने इस संशोधन के लिए प्रक्रिया शुरू की. बता दें कि कैबिनेट की मंजूरी के बाद 90 दिन के भीतर नोटिफिकेशन जारी करना जरूरी होता है, लेकिन एक्ट में संशोधन में मंजूरी में देरी के चलते इस काम में देरी हो गई थी.

क्या है दादूपुर नलवी नहर परियोजना
दादूपुर नलवी योजना 1985 में शुरू की गई थी. इस नहर परियोजना को यमुनानगर,अम्बाला और कुरूक्षेत्र जिलों के 225 गांवों की जमीन की सिंचाई और भूमिगत जलस्तर बढ़ाने के दोहरे उद्येश्य से लागू की गई थी. परियोजना के जरिए करीब एक लाख हैक्टेयर जमीन की सिंचाई का लक्ष्य रखा गया था. परियोजना के तहत नहरों और सड़कों का निर्माण किया जा चुका है. सरकार ने परियोजना को सिंचाई की जरूरत पूरी करने में नाकामयाब मानते हुए इसे समाप्त करने और अधिग्रहण की गई जमीन वापस लौटाने का फैसला किया था. इस योजना के लिए 1987-90 के दौरान 190.67 एकड़ जमीन एक्वायर हुई थी, लेकिन इस योजना को आगे नहीं बढ़ाया जा सका.

करोड़ों रुपये खर्च कर की गई थी जमीन एक्वायर
कुरुक्षेत्र, यमुनानगर और अंबाला जिलों में सिंचाई और भू-जल की रिचार्जिंग के लिए 13 करोड़ रुपये की लागत के साथ इस परियोजना को सरकार ने मंजूरी दी थी. इस योजना के लिए 1987-90 के दौरान 190.67 एकड़ जमीन एक्वायर हुई थी, लेकिन इस योजना को आगे नहीं बढ़ाया जा सका. साल 2005, अक्टूबर में सरकार ने इस परियोजना को 267.27 करोड़ रुपये के साथ फिर से मंजूरी दी गई. शाहबाद फीडर, शाहबाद डिस्ट्रीब्यूटरी और नलवी डिस्ट्रीब्यूटरी के साथ-साथ 590 क्यूसिक डिस्चार्ज के उपयोग के लिए 23 नम्बर ऑफटेकिंग चैनलों का निर्माण किया जाना था.

तीन चैनल बनाए जाने थे
परियोजना के निर्माण के लिए 2246.53 एकड़ जमीन को एक्वायर कर इस्तेमाल में लाया जाना था. विभाग ने मेन चैनल शाहबाद फीडर, शाहबाद डिस्ट्रीब्यूटरी और नलवी डिस्ट्रीब्यूटरी को बनाने के लिए इसमें से कुल 1019.2994 एकड़ जमीन एक्वायर की थी. इस भूमि के अधिग्रहण पर 75.98 करोड़ रुपये खर्च हुए. इसके अतिरिक्त, अदालत के आदेश के अनुसार एन्हांसमेंट के रूप में 116.35 करोड़ रुपये का भुगतान किया गया. इस प्रकार अब तक भूमि मालिकों को 1019.2994 एकड़ भूमि के लिए 192.33 करोड़ रुपये का भुगतान किया गया है. विभाग ने इन तीनों चैनलों के निष्पादन पर 111.167 करोड़ रुपये का व्यय भी किया है.

चंडीगढ़: मंगलवार को हरियाणा मंत्रिमंडल की बैठक के दौरान 30 साल पहले अधिग्रहीत किए गए दादूपुर नलवी नहर के लिए जमीन को डि-नोटिफाई करने का फैसला कर लिया है. इस फैसले के बाद अब किसान 9 प्रतिशत ब्याज के साथ अपनी जमीन वापस ले सकते हैं. इस फैसले में करीब 820 एकड़ जमीन को वापस किया जाना है.

डी-नोटिफिकेशन के लिए सरकार को लगे कई साल
दरअसल, 27 सितंबर 2017 को हरियाणा सरकार की कैबिनेट की मीटिंग हुई थी. सरकार ने पहले इस जमीन को 2013 एक्ट के सेक्शन 101 के तहत डिनोटिफाई करने का फैसला लिया था, लेकिन बाद में महसूस किया गया कि इस सेक्शन के तहत डिनोटिफाई नहीं हो सकता. सिर्फ सेक्शन 101ए में संशोधन करके ही किया जा सकता है. इस पर सरकार ने इस संशोधन के लिए प्रक्रिया शुरू की. बता दें कि कैबिनेट की मंजूरी के बाद 90 दिन के भीतर नोटिफिकेशन जारी करना जरूरी होता है, लेकिन एक्ट में संशोधन में मंजूरी में देरी के चलते इस काम में देरी हो गई थी.

क्या है दादूपुर नलवी नहर परियोजना
दादूपुर नलवी योजना 1985 में शुरू की गई थी. इस नहर परियोजना को यमुनानगर,अम्बाला और कुरूक्षेत्र जिलों के 225 गांवों की जमीन की सिंचाई और भूमिगत जलस्तर बढ़ाने के दोहरे उद्येश्य से लागू की गई थी. परियोजना के जरिए करीब एक लाख हैक्टेयर जमीन की सिंचाई का लक्ष्य रखा गया था. परियोजना के तहत नहरों और सड़कों का निर्माण किया जा चुका है. सरकार ने परियोजना को सिंचाई की जरूरत पूरी करने में नाकामयाब मानते हुए इसे समाप्त करने और अधिग्रहण की गई जमीन वापस लौटाने का फैसला किया था. इस योजना के लिए 1987-90 के दौरान 190.67 एकड़ जमीन एक्वायर हुई थी, लेकिन इस योजना को आगे नहीं बढ़ाया जा सका.

करोड़ों रुपये खर्च कर की गई थी जमीन एक्वायर
कुरुक्षेत्र, यमुनानगर और अंबाला जिलों में सिंचाई और भू-जल की रिचार्जिंग के लिए 13 करोड़ रुपये की लागत के साथ इस परियोजना को सरकार ने मंजूरी दी थी. इस योजना के लिए 1987-90 के दौरान 190.67 एकड़ जमीन एक्वायर हुई थी, लेकिन इस योजना को आगे नहीं बढ़ाया जा सका. साल 2005, अक्टूबर में सरकार ने इस परियोजना को 267.27 करोड़ रुपये के साथ फिर से मंजूरी दी गई. शाहबाद फीडर, शाहबाद डिस्ट्रीब्यूटरी और नलवी डिस्ट्रीब्यूटरी के साथ-साथ 590 क्यूसिक डिस्चार्ज के उपयोग के लिए 23 नम्बर ऑफटेकिंग चैनलों का निर्माण किया जाना था.

तीन चैनल बनाए जाने थे
परियोजना के निर्माण के लिए 2246.53 एकड़ जमीन को एक्वायर कर इस्तेमाल में लाया जाना था. विभाग ने मेन चैनल शाहबाद फीडर, शाहबाद डिस्ट्रीब्यूटरी और नलवी डिस्ट्रीब्यूटरी को बनाने के लिए इसमें से कुल 1019.2994 एकड़ जमीन एक्वायर की थी. इस भूमि के अधिग्रहण पर 75.98 करोड़ रुपये खर्च हुए. इसके अतिरिक्त, अदालत के आदेश के अनुसार एन्हांसमेंट के रूप में 116.35 करोड़ रुपये का भुगतान किया गया. इस प्रकार अब तक भूमि मालिकों को 1019.2994 एकड़ भूमि के लिए 192.33 करोड़ रुपये का भुगतान किया गया है. विभाग ने इन तीनों चैनलों के निष्पादन पर 111.167 करोड़ रुपये का व्यय भी किया है.

Intro:एंकर -
हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल की अध्यक्षता में हुई हरियाणा मंत्रिमंडल की बैठक में कई अहम फैसले लिए गए। मंत्रिमंडल की करीब 3 घंटे लंबी चली बैठक में कुल 28 एजेंडों में से 27 एजेंडों को मंत्रिमंडल ने स्वीकृति प्रदान गई । मंत्रिमंडल की बैठक के बाद हरियाणा के राज्य मंत्री कृष्ण बेदी ने बताया कि वहीं गौ सरक्षण , गौ संवर्धन अधिनियम को अधिक सख्त एवं अधिक व्यावहारिक बनाने की दिशा में सरकार की तरफ से अधिनियम में संशोधन किया गया है । ट्यूशन बेदी ने कहा कि पहले इस अधिनियम में गाय शब्द इस्तेमाल किया गया था मगर बहुत से लोग बीफ को भी सप्लाई करते हैं । कृष्ण बेदी ने कहा कि इसमें एक प्रावधान किया गया है जिसके तहत गोवंश या गौ मांस की तस्करी में लगा हुआ कोई वाहन मिलता है तो वाहन की जब्ती के बाद उसे छुड़वाने के लिए उतनी ही राशि जमा करवानी होगी जितने का वाहन होगा । बेदी ने कहा कि पहले वाहन को जब्त करने का प्रावधान नहीं था सपुर्ददारी वाहन छोड़ दिया जाता था । वहीं इसमें संशोधन किया गया है कि पहले एसडीएम स्तर का अधिकारी ही बहन को जप्त करता था अब सब इस्पेक्टर लेवल का अधिकारी भी जब्ती कर सकता है । हालांकि वाहन को जब्त करने का आदेश देने से पहले तो वाहन के मालिक को सुनवाई का उचित अवसर दिया जाएगा ।
दादूपुर नलवी सिंचाई योजना के निर्माण के लिए अधिग्रहित की गई भूमि की अधिसूचना रद्द करने के प्रस्ताव को स्वीकृति प्रदान की गई है । दरअसल राज्य सरकार ने 27 सितंबर 2017 को मंत्रिमंडल द्वारा स्वीकृति के बाद 3 अगस्त 2018 की अधिसूचना के तहत 484. 71 एकड़ भूमि की अधिसूचना रद्द कर दी थी । हरियाणा सरकार ने किसानों के करीब 820 एकड़ जमीन कोटड़ी नोटिफाई कर दिया है 30 अगस्त तक अपनी जमीन वापस लेने के लिए किसान अब आवेदन कर सकेंगे 424 एकड़ जमीन सरकार छोड़ने के लिए तैयार है 9% सिंपल इंटरेस्ट के साथ जमीन वापस मिल जाएगी । राज्य मंत्री कृष्ण बेदी ने कहा कि पहले 9 से लेकर 15% तक चक्रवर्ती ब्याज की जो बात थी उसे सरकार ने समाप्त कर दिया है अब जो लोग अपनी जमीन वापस लेना चाहते हैं उन्हें 9% ब्याज के साथ जमीन वापिस मिल जाएगी । कृष्ण बेदी ने कहा कि जो किसान कहता है कि जमीन पर खुदाई कर दी है और ठीक करने के लिए मुआवजा चाहिए उससे इंटरेस्ट लिया जाएगा जबकि जो किसान मुआवजे की मांग नहीं कर रहा है उससे कोई इंट्रेस्ट नहीं लिया जाएगा । कृष्ण बेदी ने कहा कि 1020 एकड़ जमीन एक्वायर की गई थी जिसमें से 824 एकड़ जमीन डिनोटिफाई कर दी है । कृष्ण बेदी ने कहा कि साडे 5 एकड़ जमीन जिस पर पुलिया या कोई कंस्ट्रक्शन की गई है वह वापस नहीं दी जाएगी और जो जमीन पहले एक्वायर की गई थी उस पर अभी फैसला आना बाकी है कि उस जमीन को मौजूदा मार्केट रेट के हिसाब से वापिस दिया जाए या पुराने रेट के हिसाब से , क्योंकि इसमें कई पर अभी कोर्ट केस चल रहे है । कृष्ण बेदी ने कहा कि इसमें किसान एससी इरीगेशन हथिनी कुंड बैराज सर्कल जगाधरी या लैंड एक्विजिशन अधिकारी अंबाला से सम्पर्क कर अपनी एप्लिकेशन दे सकते है। बेदी ने कहा कि इस में अपनी जमीन वापिस लेने के लिए अप्लाई करने की पहले तारीख 15 जून तक थी जिसे कैबिनेट ने 31 अगस्त तक आगे बढ़ा दिया है ।
वहीं मंत्रिमंडल ने 5 जातियों जोगी जंगम जोगी नाथ मनिया भाट रेबारी और मदारी को घुमंतू और अर्ध घुमंतू जनजातियों की सूची में शामिल करने का निर्णय लिया है वहीं विमुक्त घुमंतू और अर्ध घुमंतू जनजातियों की सूची में कुछ जातियों के मूल नामों के साथ पर्यायवाची शब्द जोड़ने का निर्णय लिया गया है ताकि इन जातियों के व्यक्तियों को सरकार द्वारा परिचालित स्कीमों का लाभ दिया जा सके । इन जातियों को विमुक्त घुमंतू और अर्ध घुमंतू जनजातियों की सूची में शामिल करने की पुरानी मांग थी जिसे आज कैबिनेट ने मंजूरी दे दी है अब से पहले राज्य की विमुक्त घुमंतू और अर्ध घुमंतू जनजातियों की सूची में 24 जातियां थी जो कि अब 29 हो गई है यह सभी जातियां पिछड़े वर्ग ( क)में हैं ।




Body: वहीं हरियाणा सरकार ने कैबिनेट की मीटिंग में हरियाणा सचिवालय , मिनिस्ट्रियल स्टाफ , राज भवन और विधानसभा के ड्राइवरों को बड़ा तोहफा दिया है । पहले जहां ड्राइवरों से पूरे साल 24 घंटे भी काम लिया जाता था मगर उसके एवज में कोई अतिरिक्त वेतन या लाभ नहीं दिया जाता था । बेदी ने बताया कि अब फैसला लिया गया है कि इन ड्राइवर्स को 13 महीने का वेतन दिया जाएगा सरकार की तरफ से 1 महीने का अतिरिक्त वेतन देने का फैसला ड्राइवरो को किया गया है ।
1 कैबिनेट की बैठक में फैसला लिया गया है कि दो अलग-अलग निकायों 12 सीमावर्ती गांवों को मिलाकर नगर निगम अंबाला शहर तथा नगर निगम अंबाला से सदर जॉन को निकालकर नगर परिषद अंबाला सदर के गठन को के प्रस्ताव को स्वीकृति प्रदान की गई है । जिन 12 गांव को नगर निगम अंबाला शहर की सीमाओं में शामिल किया गया है उनमें डांग देहरी , मानकपुर , लोहागढ़ , दादियाना , देवी नगर , निजामपुर , घेलकला , घेल खुर्द , कंवाला , कंवाली , कालू माजरा और लिहारसा शामिल है ।
इसी तरह अंबाला सदर जॉन के क्षेत्र को मौजूदा नगर निगम अंबाला की सीमाओं से निकाला गया है और ऐसे क्षेत्र को अलग नगर परिषद अर्थात अंबाला सदर घोषित किया जाएगा अंबाला सदर अंबाला शहर के मुख्य नगर निगम कार्यालय से लगभग 10 से 12 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है ।




Conclusion:वहीं बैठक में हरियाणा शहरी क्षेत्र विकास एवं विनियमन अधिनियम 1975 के तहत प्रदान किए गए लाइसेंसों के क्षेत्र मानदंडों में संशोधन करने और दीन दयाल जन आवास योजना के विस्तार को स्वीकृति प्रदान की गई है ।
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