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वायु प्रदूषण से बच्चों में बढ़ रहा फेफड़ों के कैंसर का खतरा, डॉक्टर से जानें कैसे रखें ध्यान - दिल्ली एनसीआर में प्रदूषण

चंडीगढ़, हरियाणा और दिल्ली एनसीआर में इन दिनों वायु प्रदूषण से हाहाकार मचा है. वायु प्रदूषण का सबसे ज्यादा असर बच्चों (Air pollution Effects On Children) पर पड़ रहा है. इसी मुद्दे पर ईटीवी भारत हरियाणा ने लंग स्पेशलिस्ट डॉक्टर विशाल शर्मा से बातचीत की.

Air pollution lung cancer increases
Air pollution lung cancer increases
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Published : Nov 17, 2021, 11:17 AM IST

Updated : Nov 17, 2021, 2:10 PM IST

चंडीगढ़: दिल्ली-एनसीआर, हरियाणा और चंडीगढ़ में प्रदूषण लगातार खतरे के निशान से ऊपर बना हुआ है. जहरीली होती हवा का असर लोगों के स्वास्थ्य पर पड़ रहा है. खासतौर पर बच्चे इससे प्रभावित (Air Pollution Effect On Children) हो रहे हैं. प्रदूषित हवा का असर बच्चों के फेफड़ों पर भी पड़ रहा है. इस बारे में ईटीवी भारत ने जाने-माने लंग स्पेशलिस्ट डॉक्टर विशाल शर्मा से बातचीत की. डॉक्टर विशाल शर्मा ने कहा कि प्रदूषण आज एक बड़ी समस्या बन चुका है. जिस वजह से लोग बड़ी संख्या में बीमार हो रहे हैं.

डॉक्टर विशाल के मुताबिक लोगों के फेफड़ों (Air pollution lung cancer increases) पर इसका बुरा असर पड़ रहा है. वायु प्रदूषण से अस्थमा और सांस संबंधी बीमारियों के मरीज भी बढ़ (Air Pollution Patients Increased) रहे हैं. बच्चों पर इसका सबसे ज्यादा बुरा असर पड़ रहा है. प्रदूषण की वजह से छोटे बच्चों के फेफड़ों पर स्थाई प्रभाव पड़ सकता है. उनके दूसरे अंग भी खराब हो सकते हैं. बच्चे स्थाई रूप से अपंग तक भी हो सकते हैं. इसीलिए प्रदूषण को कम करना बेहद जरूरी है. इसका बुरा असर हमारे पूरे समाज पर पड़ रहा है. डॉक्टर विशाल शर्मा ने कहा कि दिल्ली जैसे महानगरों में वाहनों और फैक्ट्रियों की वजह से प्रदूषण का स्तर खतरे के निशान से ऊपर पहुंच चुका है.

वायु प्रदूषण से बच्चों में बढ़ रहा फेफड़ों के कैंसर का खतरा, डॉक्टर से जानें कैसे रखें ध्यान

वहीं दूसरी ओर हरियाणा-पंजाब में पिछले कुछ दिनों में पराली के जलने की वजह से भी प्रदूषण में इजाफा दर्ज किया गया है. इसलिए सरकारों को प्रदूषण कम करने के लिए ठोस कदम उठाने की जरूरत है, ताकि लोगों को राहत की सांस मिल सके.

डॉक्टर विशाल शर्मा ने कहा कि प्रदूषण बढ़ने के साथ फेफड़ों संबंधी बीमारियों के मरीज भी बढ़ने लगे हैं. लोगों को अस्थमा के अटैक आने लगे हैं. जितनी बार फेफड़ों में इन्फेक्शन होगा, मरीज उतना ही कमजोर होता जाएंगा. प्रदूषण का असर शरीर के दूसरे अंगों पर भी पड़ सकता है. उन्होंने कहा कि इस समय प्रदूषण का स्तर इतना खतरनाक हो चुका है कि छोटे बच्चों के कपड़ों का रंग काला होने लगा है. आमतौर पर फेफड़ों का रंग गुलाबी होता है, लेकिन उन्होंने कई ऐसे ऑपरेशन किए हैं. जिनमें छोटे बच्चों के फेफड़ों और सांस की नली का रंग काला दिखाई दिया है. जो कि आमतौर पर धूम्रपान करने वाले लोगों का दिखाई देता है, लेकिन अब इस तरह के लक्षण छोटे बच्चों में भी पाए जाने लगे हैं. जो बेहद खतरनाक हैं.

ये भी पढ़ें- हरियाणा: भारी प्रदूषण के चलते बेहोश होकर गिर रहे पक्षी, ज्यादातर गंभीर इंफेक्शन के शिकार

उन्होंने कहा कि ऐसा लगता है कि हम धूल से भरे किसी चेंबर में सांस ले रहे हैं. जो हमारे लिए बिल्कुल भी सही नहीं है. कुछ लोग प्रदूषण से बचने के लिए मास्क का सहारा लेते हैं. जिसको लेकर डॉक्टर विशाल शर्मा ने कहा कि मास्क प्रदूषण से बचाने के लिए नाकाफी है. हम अपने घरों में धूम्रपान कर रहे हैं. जिसका असर हमारे साथ घर के अन्य सदस्यों पर भी पड़ रहा है. हम वाहनों का प्रयोग ज्यादा कर रहे हैं, जबकि हमें वाहनों का इस्तेमाल कम से कम करना चाहिए. हम खुद ही प्रदूषण को बढ़ा रहे हैं, तो प्रदूषण कम कैसे होगा. इसलिए हमें अपने आप से पहल करनी चाहिए और प्रदूषण को कम करने में सहयोग करना चाहिए.

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चंडीगढ़: दिल्ली-एनसीआर, हरियाणा और चंडीगढ़ में प्रदूषण लगातार खतरे के निशान से ऊपर बना हुआ है. जहरीली होती हवा का असर लोगों के स्वास्थ्य पर पड़ रहा है. खासतौर पर बच्चे इससे प्रभावित (Air Pollution Effect On Children) हो रहे हैं. प्रदूषित हवा का असर बच्चों के फेफड़ों पर भी पड़ रहा है. इस बारे में ईटीवी भारत ने जाने-माने लंग स्पेशलिस्ट डॉक्टर विशाल शर्मा से बातचीत की. डॉक्टर विशाल शर्मा ने कहा कि प्रदूषण आज एक बड़ी समस्या बन चुका है. जिस वजह से लोग बड़ी संख्या में बीमार हो रहे हैं.

डॉक्टर विशाल के मुताबिक लोगों के फेफड़ों (Air pollution lung cancer increases) पर इसका बुरा असर पड़ रहा है. वायु प्रदूषण से अस्थमा और सांस संबंधी बीमारियों के मरीज भी बढ़ (Air Pollution Patients Increased) रहे हैं. बच्चों पर इसका सबसे ज्यादा बुरा असर पड़ रहा है. प्रदूषण की वजह से छोटे बच्चों के फेफड़ों पर स्थाई प्रभाव पड़ सकता है. उनके दूसरे अंग भी खराब हो सकते हैं. बच्चे स्थाई रूप से अपंग तक भी हो सकते हैं. इसीलिए प्रदूषण को कम करना बेहद जरूरी है. इसका बुरा असर हमारे पूरे समाज पर पड़ रहा है. डॉक्टर विशाल शर्मा ने कहा कि दिल्ली जैसे महानगरों में वाहनों और फैक्ट्रियों की वजह से प्रदूषण का स्तर खतरे के निशान से ऊपर पहुंच चुका है.

वायु प्रदूषण से बच्चों में बढ़ रहा फेफड़ों के कैंसर का खतरा, डॉक्टर से जानें कैसे रखें ध्यान

वहीं दूसरी ओर हरियाणा-पंजाब में पिछले कुछ दिनों में पराली के जलने की वजह से भी प्रदूषण में इजाफा दर्ज किया गया है. इसलिए सरकारों को प्रदूषण कम करने के लिए ठोस कदम उठाने की जरूरत है, ताकि लोगों को राहत की सांस मिल सके.

डॉक्टर विशाल शर्मा ने कहा कि प्रदूषण बढ़ने के साथ फेफड़ों संबंधी बीमारियों के मरीज भी बढ़ने लगे हैं. लोगों को अस्थमा के अटैक आने लगे हैं. जितनी बार फेफड़ों में इन्फेक्शन होगा, मरीज उतना ही कमजोर होता जाएंगा. प्रदूषण का असर शरीर के दूसरे अंगों पर भी पड़ सकता है. उन्होंने कहा कि इस समय प्रदूषण का स्तर इतना खतरनाक हो चुका है कि छोटे बच्चों के कपड़ों का रंग काला होने लगा है. आमतौर पर फेफड़ों का रंग गुलाबी होता है, लेकिन उन्होंने कई ऐसे ऑपरेशन किए हैं. जिनमें छोटे बच्चों के फेफड़ों और सांस की नली का रंग काला दिखाई दिया है. जो कि आमतौर पर धूम्रपान करने वाले लोगों का दिखाई देता है, लेकिन अब इस तरह के लक्षण छोटे बच्चों में भी पाए जाने लगे हैं. जो बेहद खतरनाक हैं.

ये भी पढ़ें- हरियाणा: भारी प्रदूषण के चलते बेहोश होकर गिर रहे पक्षी, ज्यादातर गंभीर इंफेक्शन के शिकार

उन्होंने कहा कि ऐसा लगता है कि हम धूल से भरे किसी चेंबर में सांस ले रहे हैं. जो हमारे लिए बिल्कुल भी सही नहीं है. कुछ लोग प्रदूषण से बचने के लिए मास्क का सहारा लेते हैं. जिसको लेकर डॉक्टर विशाल शर्मा ने कहा कि मास्क प्रदूषण से बचाने के लिए नाकाफी है. हम अपने घरों में धूम्रपान कर रहे हैं. जिसका असर हमारे साथ घर के अन्य सदस्यों पर भी पड़ रहा है. हम वाहनों का प्रयोग ज्यादा कर रहे हैं, जबकि हमें वाहनों का इस्तेमाल कम से कम करना चाहिए. हम खुद ही प्रदूषण को बढ़ा रहे हैं, तो प्रदूषण कम कैसे होगा. इसलिए हमें अपने आप से पहल करनी चाहिए और प्रदूषण को कम करने में सहयोग करना चाहिए.

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Last Updated : Nov 17, 2021, 2:10 PM IST
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