चंडीगढ़: हरियाणा विधानसभा का शीतकालीन सत्र (Haryana Assembly winter session) शुक्रवार से प्रारंभ हो गया है. इस दौरान विपक्षी पार्टियों ने सरकार को कई मुद्दों पर घेरा. विधानसभा में प्रश्नकाल के दौरान इनेलो विधायक अभय सिंह चौटाला (Abhay Chautala) ने कहा कि उन्होंने जनहित से जुड़े 15 ध्यानाकर्षण प्रस्ताव दिए थे. जिन्हें बिना कोई कारण बताए नामंजूर कर दिया गया है. अभय चौटाला ने कहा कि नरमे और कपास की फसल गुलाबी सुंडी के कारण बर्बाद हो गई. अगर उस पर चर्चा नहीं होगी तो किसान कहां जाएगा.
इसके साथ ही अभय चौटाला ने कहा कि केंद्र और प्रदेश की सरकार ने किसानों को एक साल तक हरियाणा-दिल्ली के बार्डर पर बैठा कर रखा और कहा था कि किसी भी कीमत पर कृषि कानून रद्द नहीं होंगे. जब कृषि कानून बने थे तब हम चाहते थे कि सदन में इन कानूनों पर चर्चा हो. मुख्यमंत्री स्वयं दो लाइन का एक प्रस्ताव लेकर आए थे और कहा था कि जो इसके पक्ष में हैं वो हां कहें और जो खिलाफ होगा वो चर्चा कर लेगा.
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अभय चौटाला ने कहा कि कांग्रेस तो उस समय सदन से वॉकआउट कर भाग गई थी और सदन में सिर्फ सत्ता पक्ष था, जो कृषि कानूनों के पक्ष में था. उस समय मुख्यमंत्री ने सदन में ठोक कर कहा था कि ये कानून रद्द नहीं होंगे. चौटाला ने कहा कि किसानों ने एक साल बॉर्डर पर आंदोलन कर केंद्र की सरकार को कानून रद्द करने पर मजबूर किया. केंद्र सरकार ने किसानों के सामने सरेंडर किया और प्रधानमंत्री को किसानों से माफी मांगनी पड़ी और यह माना कि उनसे गलती हुई.
अभय चौटाला ने कहा कि मैं मुख्यमंत्री से पूछना चाहता हूं कि अब कृषि कानून रद्द हो गए हैं तो मुख्यमंत्री जो दो लाइन का प्रस्ताव लाए थे, जिसमें कहा था कि कानून ज्यों के त्यों रहेंगे. क्या उस प्रस्ताव को वापस लेंगे? या ज्यों का त्यों रखेंगे. अभय चौटाला ने कहा कि जैसे केंद्र सरकार ने किसान आंदोलन के सामने सरेंडर किया, वैसे ही उस प्रस्ताव को भी वापस ले. उन्होंने कहा कि वो एक प्रस्ताव लेकर आते हैं कि कृषि कानून के पक्ष में सरकार जो प्रस्ताव लेकर आई थी, वो वापस लें और मुख्यमंत्री सदन से माफी मांगे कि वो गलत प्रस्ताव लेकर आए थे.
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