चंडीगढ़: दीपावली के पावन पर्व के लिए हर शख्स कुछ ना कुछ अलग करने का प्रयास कर रहा है. ये प्रयास ना सिर्फ दीपावली को एक नए अंदाज में मनाने के लिए लोगों को प्रेरित करने के लिए हैं, बल्कि प्रदूषण से लोगों को निजात दिलाने के लिए अहम हैं. कुछ ऐसा ही प्रयास चंडीगढ़ की एक गौशाला भी कर रही है. जो लोगों को इस दीपावली के मौके पर गोबर के बने खास दीये जलाने के लिए उपलब्ध (cow dung lamps) करवा रही है.
गोबर के दीये में क्या है खास?
बाजार में वैसे तो दीपावली के मौके पर कई तरह के दीये उपलब्ध होते हैं. इनमें खास मिट्टी के दीये सबसे ज्यादा बिकते हैं, लेकिन चंडीगढ़ की गौशाला गौरीशंकर सेवादल इस बार लोगों के लिए कुछ खास तरह के दीये बना रही है. यह दीये बन रहे हैं गाय के गोबर से. जिसमें इत्र के साथ-साथ देसी घी, अजवाइन, लेमन ग्रास और कई अन्य जड़ी बूटियां इस्तेमाल की जा रही हैं. जिससे इस दीपावली ना सिर्फ आपका घर आंगन महकेगा बल्कि प्रदूषण से भी काफी हद तक निजात मिलेगी.
वैसे तो गोबर के दीये बनाने के काम में गौशाला गौरीशंकर सेवादल काफी सालों से प्रयासरत है, लेकिन इस दीपावली इनका जो प्रयास है वह काफी बड़े पैमाने का है. उनका प्रयास है कि यह लोगों को इस बार दीपावली पर 75 हजार दीये मुफ्त में उपलब्ध करवाए. जिसये ना सिर्फ लोगों के घर दीये जलने के बाद महकेंगे बल्कि लोगों के सहयोग से वायु प्रदूषण से भी राहत मिलेगी. गौशाला से जुड़ा ट्रस्ट गौरीशंकर सेवादल घर-घर जाकर गोबर के दीये लोगों को बांटेगा.
गोबर के दीये ही नहीं अन्य उत्पाद भी बनाती है गौशाला
गोबर के दीये बनाने के साथ-साथ यहां पर गाय के गोबर और उसके मूत्र से अन्य उत्पाद भी बनाए जाते हैं. वह चाहे फिर हवन के लिए गोबर से बनी लकड़ी हो या फिर गोमूत्र से बना अमृत अर्क हो. गौ सेवा से जुड़े ट्रस्ट की ओर से यह सभी उत्पाद लोगों को मुफ्त में दिए जाते हैं. इस गौशाला में करीब 1100 गोवंश हैं. जिनकी देखरेख के लिए करीब 50 लोग हमेशा मौजूद रहते हैं. वहीं लोग भी गौशाला का सहयोग करते हैं. लोगों के सहयोग से ही यहां पर रहने वाले गोवंश की देखरेख होती है. इसी वजह से इस गौशाला से जुड़ा ट्रस्ट यहां बनने वाले उत्पादों को लोगों में मुफ्त में वितरित करता है. क्योंकि उन्हीं के सहयोग से ही ये गौशाला चलती है.
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गौरीशंकर सेवादल के चेयरमैन सुनील शर्मा कहते हैं कि हर साल कुछ ना कुछ नए प्रयास करते रहते हैं. इस बार उनका प्रयास है कि लोगों को गोबर के दीये बांटे जाएं. वे कहते हैं कि लोगों का भी इसको लेकर अच्छा रिस्पांस है. लगातार गौशाला से लोग जुड़ रहे हैं. वे लगातार इन दीयों के लिए डिमांड भी कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि हमने शुरुआत 5 हजार दीये बांटने से की थी. इस बार हम 75 हजार बांट रहे हैं.
उन्होंने कहा कि वे लगातार इस तरीके के प्रयास करते रहते हैं. लोगों को गाय के दूध और गोमूत्र के महत्व की जानकारी तो थी, लेकिन वे गाय के गोबर से दीये बनाकर उसके महत्व को भी लोगों को समझाने का प्रयास कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि आने वाले दिनों में उनका लक्ष्य वैदिक पेंट बनाने का है. गौशाला में उत्पादों को खरीदने के लिए आई महिलाओं का कहना है कि इन दीयों के जलने से घर में हवन जैसा असर होता है, और हवा में मौजूद कीटाणु भी खत्म होते हैं. गोबर से बने दीये जलाने से ना सिर्फ घर में वातावरण शुद्ध होता है बल्कि इससे आसपास की नेगेटिव एनर्जी भी समाप्त हो जाती है.
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