चंडीगढ़: हरियाणा सरकार की ‘मेरा पानी मेरी विरासत’ योजना उन योजनाओं में से एक है जिसपर काफी सियासत हुई है. इस योजना पर विपक्ष काफी हमलावर रहा है. सरकार पर आरोप लगते आए हैं कि इस योजना के आने से धान की खेती करने वाले किसानों को भारी नुकसान झेलना पड़ सकता है, लेकिन इन सभी के बीच सरकार की ओर से जो आंकड़े पेश किए गए हैं उसे देखकर तो यहीं लग रहा है कि प्रदेश के किसानों का रुझान इस योजना की तरफ बढ़ता जा रहा है.
33,183 किसानों ने लिया धान की फसल छोड़ने का फैसला
हरियाणा में फसलों के विविधिकरण के तहत धान की फसल की जगह पर दूसरी फसल अपनाने के लिए लागू की गई योजना ‘मेरा पानी मेरी विरासत’ के प्रति किसानों का दिन-प्रतिदिन रूझान बढ़ता जा रहा है. सरकार की तरफ से जारी आंकड़ों के मुताबिक अब तक इस योजना के तहत 33,183 किसानों ने 37,109.23 हैक्टेयर (92,773.075 एकड़) भूमि में धान की जगह दूसरी फसल लगाने के लिए ‘मेरा पानी मेरी विरासत पोर्टल’ पर पंजीकरण किया है.
जींद में सबसे ज्यादा 3846 किसानों का पंजीकरण
बता दें कि हरियाणा में धान की जगह दूसरी फसल लगाने के लिए ‘मेरा पानी मेरी विरासत पोर्टल’ पर पंजीकरण करना होता है. अभी तक धान की जगह 6951 किसानों ने 5965.88 हैक्टेयर में मक्का , 5803 किसानों ने 5407.48 हैक्टेयर में बाजरा, 16520 किसानों ने 22581.06 हैक्टेयर में कपास , 861 किसानों ने 653.75 हैक्टेयर में दलहन और 3048 किसानों ने 2501.04 हैक्टेयर में बागवानी फसलें उगाने का निर्णय लिया है. जींद जिले के सबसे ज्यादा 3846 किसानों ने इस योजना में पंजीकरण किया है.
ये भी पढ़िए: पंजाब-हरियाणा बार काउंसिल की मांग, जल्द खोले जाएं कोर्ट
क्या है मेरा पानी मेरी विरासत योजना?
- जिन क्षेत्रों में पानी की गहराई ज्यादा है वहां किसान धान ना बोएं
- धान छोड़ने वाले किसानों को 7 हजार रुपये प्रति एकड़ राशि दी जाएगी
- धान की जगह मक्का, दालें भी बोई जा सकती हैं
- कई इलाकों में कपास और सब्जियों समेत तिल की खेती हो सकती है
- मक्का और दालों की खरीद न्यूनतम समर्थन मूल्य पर की जाएगी
- मक्का बिजाई में इस्तेमाल होने वाली मशीने सरकार उपलब्ध करवाएगी
- सरकार मक्का ड्रायर की व्यवस्था मंडियों में करवाएगी
- धान की वैकल्पिक फसले उगाने, ड्रिप सिंचाई पर 85 प्रतिशत की सब्सिडी
- 35 मीटर तक गहराई वाले स्थानों पर किसान धान की अनुमति ले सकते हैं
- अच्छे जल स्तर वाले इलाके के किसान धान की फसल छोड़ने पर ले सकेंगे अनुदान
क्यों शुरू की गई योजना?
किसानों को धान की जगह वैकल्पिक खेती को लेकर इसलिए प्रोत्साहित किया जा रहा है क्योंकि सूबे में तेजी से गिरता जलस्तर गंभीर समस्या बन गया है. प्रदेश में भू-जल स्तर औसतन 21 मीटर तक नीचे जा चुका है. जून 1974 में प्रदेश का भू-जल स्तर 10.44 मीटर था, जो पिछले 24 साल में 1995 से 2019 तक 8.97 मीटर तक नीचे गया है. प्रदेश में 36 ब्लॉक ऐसे हैं, जहां 12 सालों में भू-जल स्तर में पानी की गिरावट दोगुनी हुई है. 40 मीटर से ज्यादा गहराई वाले प्रदेश में 19 ब्लॉक हैं. ऐसे में गिरते जलस्तर को कम करने के लिए सरकार ने 'मेरा पानी मेरी विरासत' योजना शुरू की है.
गौरतलब है कि इस योजना के तहत जारी आदेशो पर विपक्ष और सत्ता पक्ष आमने सामने है. 8 डार्क जोन में सरकार की तरफ से पट्टे पर जमीन लेकर बुआई करने वाले किसानों को दूसरी फसलों की बुआई का आदेश जारी किया गया है, हालांकि विपक्ष पट्टे पर जमीन को लेकर भी छूट की मांग कर रहा है.