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हरियाणा के सियासी इतिहास में जब पहली बार भिड़े तीनों 'लालों' के 'लाल'

हरियाणा की राजनीति बंसीलाल, देवीलाल और भजनलाल के इर्द गिर्द घूमी है. लेकिन कभी इन तीनों ने एक दूसरे के खिलाफ चुनाव नहीं लड़ा. लेकिन एक वक्त ऐसा भी आया जब हरियाणा के तीन सबसे बड़े सियासी घरानों के 3 लाल आपस में टकराए थे.

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Published : Apr 24, 2019, 1:11 PM IST

Updated : Apr 24, 2019, 3:15 PM IST

हरियाणा के तीन सबसे बड़े सियासी घराने

जब-जब हरियाणा के इतिहास की बात की जाती है तब-तब तीन लाल ऐसे है जिनका जिक्र होता है. भजनलाल, देवीलाल और बंसीलाल. ये वो तीन नाम हैं या यूं कहें ये वो तीन सबसे बड़े सियासी घराने हैं, जिन्होंने सबसे ज्यादा बार हरियाणा की सत्ता का स्वाद चखा है. करीब 36 साल तक ये तीन लाल हरियाणा के मुख्यमंत्री रह चुके हैं.

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हरियाणा के तीन सबसे बड़े सियासी घराने

53 साल पुरानी राजनीति और तीन लाल
बंसीलाल, देवीलाल और भजनलाल ये वो तीन नाम है जो हरियाणा की राजनीति में सबसे ज्यादा बार मुख्यमंत्री रह चुके हैं. प्रदेश की राजनीति में लाल घरानों यानी की बंसीलाल, देवीलाल और भजनलाल का अहम रोल रहा. साल 2000 तक तो हरियाणा की राजनीति इन्हीं के इर्द गिर्द घूमती रही. राजनीति में प्रतिद्वंदता के बावजूद इन्होंने कभी भी एक-दूसरे के खिलाफ चुनावी मैदान में उतरने का साहस नहीं दिखाया, लेकिन 2004 में तीनों के बेटे एक दूसरे के सामने आकर खड़े हो गए.

जब पहली बार टकराए थे लालों के लाल

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2004 में अजय चौटाला और कुलदी बिश्नोई ने सुरेंद्र सिंह को उन्ही के गढ़ में ललकारा था
2004 में हुए भिवानी उपचुनाव में तीनों के बेटे एक-दूसरे के खिलाफ चुनावी दंगल में उतरे. भिवानी को बंसीलाल का गढ़ माना जाता है. उस वक्त बंसीलाल हरियाणा विकास पार्टी में थे. 2004 के चुनाव में साहस दिखाने का काम किया देवीलाल के पोते अजय सिंह चौटाला और भजनलाल के बेटे कुलदीप बिश्नोई ने, जिन्होंने भिवानी में आकर सुरेंद्र सिंह को उसके ही घर में ललकारा. इस उपचुनाव में कुलदीप का गृह क्षेत्र आदमपुर भिवानी संसदीय क्षेत्र का ही हिस्सा था और आदमपुर से मिली लीड की वजह से वो ये उपचुनाव जीत गए. इस उपचुनाव में अजय चौटाला दूसरे और सुरेंद्र सिंह तीसरे नंबर पर रहे थे.
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इस बार मैदान में है 3 लाल परिवारों के 5 दिग्गज

इस बार 3 नहीं 5 लाल हैं मैदान में
एक बार फिर तीनों घरानों के युवा अलग-अलग लोकसभा क्षेत्रों से चुनावी मैदान में हैं. अगर बात चौ. देवीलाल चौटाला के परिवार की करें तो देवीलाल के तीन परपौत्र अलग-अलग लोकसभा सीटों से मैदान में हैं. अजय चौटाला के दोनों बेटे दुष्यंत और दिग्विजय चौटाला हिसार और सोनीपत से चुनाव लड़ रहे हैं तो वहीं दूसरी अभय चौटाला के बेटे अर्जुन चौटाला कुरुक्षेत्र से चुनावी मैदान में हैं.

हिसार से दुष्यंत चौटाला के खिलाफ भव्य बिश्नोई मैदान में हैं. बता दें कि भव्य बिश्नोई कुदपीप बिश्नोई के बेटे और भजनलाल के पोते हैं. दूसरी तरफ बंसीलाल की पोती श्रुति चौधरी भिवानी-महेंद्रगढ़ से ताल ठोक रही हैं.

जब-जब हरियाणा के इतिहास की बात की जाती है तब-तब तीन लाल ऐसे है जिनका जिक्र होता है. भजनलाल, देवीलाल और बंसीलाल. ये वो तीन नाम हैं या यूं कहें ये वो तीन सबसे बड़े सियासी घराने हैं, जिन्होंने सबसे ज्यादा बार हरियाणा की सत्ता का स्वाद चखा है. करीब 36 साल तक ये तीन लाल हरियाणा के मुख्यमंत्री रह चुके हैं.

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हरियाणा के तीन सबसे बड़े सियासी घराने

53 साल पुरानी राजनीति और तीन लाल
बंसीलाल, देवीलाल और भजनलाल ये वो तीन नाम है जो हरियाणा की राजनीति में सबसे ज्यादा बार मुख्यमंत्री रह चुके हैं. प्रदेश की राजनीति में लाल घरानों यानी की बंसीलाल, देवीलाल और भजनलाल का अहम रोल रहा. साल 2000 तक तो हरियाणा की राजनीति इन्हीं के इर्द गिर्द घूमती रही. राजनीति में प्रतिद्वंदता के बावजूद इन्होंने कभी भी एक-दूसरे के खिलाफ चुनावी मैदान में उतरने का साहस नहीं दिखाया, लेकिन 2004 में तीनों के बेटे एक दूसरे के सामने आकर खड़े हो गए.

जब पहली बार टकराए थे लालों के लाल

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2004 में अजय चौटाला और कुलदी बिश्नोई ने सुरेंद्र सिंह को उन्ही के गढ़ में ललकारा था
2004 में हुए भिवानी उपचुनाव में तीनों के बेटे एक-दूसरे के खिलाफ चुनावी दंगल में उतरे. भिवानी को बंसीलाल का गढ़ माना जाता है. उस वक्त बंसीलाल हरियाणा विकास पार्टी में थे. 2004 के चुनाव में साहस दिखाने का काम किया देवीलाल के पोते अजय सिंह चौटाला और भजनलाल के बेटे कुलदीप बिश्नोई ने, जिन्होंने भिवानी में आकर सुरेंद्र सिंह को उसके ही घर में ललकारा. इस उपचुनाव में कुलदीप का गृह क्षेत्र आदमपुर भिवानी संसदीय क्षेत्र का ही हिस्सा था और आदमपुर से मिली लीड की वजह से वो ये उपचुनाव जीत गए. इस उपचुनाव में अजय चौटाला दूसरे और सुरेंद्र सिंह तीसरे नंबर पर रहे थे.
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इस बार मैदान में है 3 लाल परिवारों के 5 दिग्गज

इस बार 3 नहीं 5 लाल हैं मैदान में
एक बार फिर तीनों घरानों के युवा अलग-अलग लोकसभा क्षेत्रों से चुनावी मैदान में हैं. अगर बात चौ. देवीलाल चौटाला के परिवार की करें तो देवीलाल के तीन परपौत्र अलग-अलग लोकसभा सीटों से मैदान में हैं. अजय चौटाला के दोनों बेटे दुष्यंत और दिग्विजय चौटाला हिसार और सोनीपत से चुनाव लड़ रहे हैं तो वहीं दूसरी अभय चौटाला के बेटे अर्जुन चौटाला कुरुक्षेत्र से चुनावी मैदान में हैं.

हिसार से दुष्यंत चौटाला के खिलाफ भव्य बिश्नोई मैदान में हैं. बता दें कि भव्य बिश्नोई कुदपीप बिश्नोई के बेटे और भजनलाल के पोते हैं. दूसरी तरफ बंसीलाल की पोती श्रुति चौधरी भिवानी-महेंद्रगढ़ से ताल ठोक रही हैं.

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2004 के उपचुनाव में जब एक ही सीट पर टकराए थे तीन सियासी घरानों के युवा



भिवानी/हिसार. प्रदेश की राजनीति 1968 से 2004 तक बंसीलाल, देवीलाल और भजनलाल के इर्द गिर्द घूमती रही। विधानसभा हाे या लाेकसभा तीनाें लाल कभी आमने-सामने नहीं हुए, लेकिन तीनाें के लाल 2004 में आमने-सामने हुए। राजनीतिक अखाड़े का गवाह बना था भिवानी संसदीय क्षेत्र। अाज की बात करें ताे लालाें के लाल के लाल अब चुनावी रण में ताल ठाेक रहे हैं। 



ओमप्रकाश चाैटाला के तीन पाेते अलग-अलग हलकाें से चुनाव मैदान में अा गए हैं। बड़े बेटे अजय चाैटाला के बड़े बेटे दुष्यंत और छाेटे बेटे दिग्विजय जेजेपी से क्रमश: हिसार व साेनीपत से चुनाव लड़ रहे हैं। अाेपी चाैटाला के छाेटे बेटे अभय के पुत्र अर्जुन कुरुक्षेत्र से मैदान में हैं। हिसार से दुष्यंत के खिलाफ ताल ठाेक रहे भव्य बिश्नाेई पूर्व मुख्यमंत्री भजनलाल के छाेटे बेटे कुलदीप बिश्नाेई के बड़े बेटे हैं। इसी तरह पूर्व मुख्यमंत्री चाै. बंसीलाल की पाेती श्रुति दूसरी बार किस्मत आजमाने कांग्रेस की ओर से भिवानी लाेकसभा सीट पर उतरी हैं। 





तीन लालाें का अहम राेल



प्रदेश की राजनीति में लाल परिवाराें यानी बंसीलाल, देवीलाल व भजनलाल का अहम राेल रहा। 1967 से लेकर 2000 तक की राजनीति ताे पूरी तरह से इनके ही इर्द गिर्द घूमती रही। राजनीति में प्रतिद्वंदता के बावजूद इन्होंने एक दूसरे के विरूद्ध चुनावी मैदान में उतरने का साहस नहीं दिखाया, लेकिन उनके लाल 2004 में भिवानी में एक-दूसरे के खिलाफ चुनावी दंगल में उतरे। हालांकि भिवानी बंसीलाल का गढ़ रहा लेकिन उस समय बंसीलाल हविपा में थे। 2004 के चुनाव में साहस दिखाने का काम किया देवीलाल के पाैत्र अजय सिंह चाैटाला व भजनलाल के सुपुत्र कुलदीप बिश्नाेई ने, जिन्हाेंने भिवानी में आकर सुरेंद्र सिंह काे उसके ही घर में ललकारा था।



हालांकि, कुलदीप का गृह क्षेत्र आदमपुर भिवानी संसदीय क्षेत्र का ही हिस्सा था व अादमपुर की लीड ही चुनाव में जीत का कारण बनी थी। अकेले आदमपुर से कुलदीप की सुरेंद्र पर 46 हजार व अजय सिंह पर 36 हजार से अधिक की लीड ली थी। इस चुनाव में कांग्रेस के कुलदीप बिश्नाेई ने लगभग दाे लाख 91 हजार मत प्राप्त कर विजयश्री हाासिल की थी। हविपा के सुरेंद्र सिंह लगभग दाे लाख 67 हजार वाेटाें के साथ दूसरे व अजय चाैटाला लगभग दाे लाख 42 हजार वाेटाें के साथ तीसरे नंबर पर रहे थे।

 



36 साल सीएम पद रहा लालों के परिवार के पास 



53 साल के हरियाणा में 36 साल तक मुख्यमंत्री की कुर्सी बंसीलाल, भजनलाल, देवीलाल व देवीलाल के सुपुत्र ओमप्रकाश चाैटाला के पास रही। इनमें सबसे अधिक समय बंसीलाल 12 साल 253 दिन प्रदेश के सीएम रहे। दूसरे नंबर पर भजनलाल लगभग साढ़े दस साल, देवीलाल लगभग साढ़े पांच साल व देवीलाल के सुपुत्र अाेमप्रकाश चाैटाला लगभग छह साल तक प्रदेश के सीएम रहे। अब तीनाें लाल इस दुनिया में नहीं हैं, लेकिन उनके पुत्र या अन्य परिजन राजनीतिक मैदान में जरूर हैं।


Conclusion:
Last Updated : Apr 24, 2019, 3:15 PM IST
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