भिवानी-महेंद्रगढ़: भिवानी महेंद्रगढ़ लोकसभा सीट भले ही नई हो लेकिन इसका इतिहास बहुत पुराना है और यही इतिहास इस सीट को हॉट बनाता है. 2008 के परिसीमन के बाद ये सीट वजूद में आई. उससे पहले भिवानी अलग सीट हुआ करती थी. परिसीमन के बाद यहां दो चुनाव हुए हैं. 2009 में यहां से बंसीलाल की पोती श्रुति चौधरी ने कांग्रेस के टिकट पर जीत दर्ज की थी. 2014 के लोकसभा चुनाव से ठीक पहले कांग्रेस छोड़कर बीजेपी में आये धर्मबीर सिंह ने 2014 में श्रुति चौधरी को हरा दिया. इस बार इस सीट पर मुकाबला रोचक होने की उम्मीद है क्योंकि धर्मबीर सिंह के सामने उनकी पुरानी प्रतिद्वंदी श्रुति चौधरी तो है हीं साथ ही जेजेपी ने भी विदेश से पढ़कर आई युवा महिला स्वाति यादव को मैदान में उतारा है. पिछली बार यहां से इनेलो के बहादुर सिंह दूसरे नंबर पर रहे थे. इस बार इनेलो ने बलवान फौजी को मैदन में उतारा है.
जिसने जीती ये सीट उसी की बनी सरकार
भिवानी-महेंद्रगढ़ जब भिवानी सीट हुआ करती थी तभी से यहां जिस पार्टी ने जीत दर्ज की उसी की राज्य में सरकार भी बनी. जब परिसीमन के बाद भिवानी-महेंद्रगढ़ बनी उसके बाद भी ये सिलसिला जारी रहा. 2009 में इस सीट पर कांग्रेस ने जीत दर्ज की तो राज्य में कांग्रेस की सरकार बनी. 2014 में इस सीट पर बीजेपी ने जीत दर्ज की तो राज्य में बीजेपी की सरकार बनी.
नीचे दी गई लिस्ट के जरिये जानिये इतिहास...
इसलिये ये सीट हमेशा बनी रही हॉट
- 1971 में राव बिरेंद्र ने अपनी विशाल हरियाणा पार्टी से चुनाव लड़कर कांग्रेस को मात दी थी.
- 1977 में भारतीय लोकदल की चंद्रावती ने कांग्रेसी दिग्गज चौ. बंसीलाल को भिवानी से हराया था.
- 1999 में इनेलो के अजय सिंह चौटाला ने बंसीलाल परिवार को झटका देकर जीत दर्ज की.
- 2004 के चुनावों में कुलदीप बिश्नोई ने भिवानी से कांग्रेस की टिकट पर चुनाव जीता.
- कर्नल राम सिंह ने बड़े कद के राव बिरेंद्र सिंह को 1991 और 1996 में दो बार मात दी.
भिवानी-महेंद्रगढ़ में जातिगत समीकरण
भिवानी जिले में पांच विधानसभाएं आती हैं. जिनमें लोहारू, बाढ़ड़ा, दादरी, भिवानी और तोषाम शामिल हैं. इन पांचो सीटों पर जाट मतदाताओं का बोलबाला है. जबकि महेंद्रगढ़ जिले में 4 विधानसभा सीटें आती हैं. जिनमें अटेली, महेंद्रगढ़, नारनैल और नांगल चौधरी शामिल हैं. इन चारों सीटों पर यादव वोटरों का दबदबा है. अगर पूरी लोकसभा सीट पर देखें तो लगभग 3 लाख 60 हजार जाट मतदाता हैं. जबकि लगभग 2 लाख 60 हजार यादव मतदाता हैं और लगभग 1 लाख 34 हजार ब्राह्मण मतदाता हैं.
2014 के नतीजे
मोदी लहर में यहां से बीजेपी के धर्मबीर सिंह ने जीत दर्ज की थी. वो चुनाव से कुछ दिन पहले ही कांग्रेस छोड़कर बीजेपी में शामिल हुए थे. धर्मबीर सिंह को 2014 में 4,04,542 वोट मिले थे. जो 39.26 फीसदी वोट शेयर था. 26.70 फीसदी वोट शेयर के साथ दूसरे नंबर पर इनेलो के बहादुर सिंह रहे थे. बहादुर सिंह को 2,75,148 वोट मिले थे. कांग्रेस की श्रुति चौधरी तीसरे नंबर पर रही थीं उन्हें 2,68,115 वोट मिले थे.
भिवानी-महेंद्रगढ़ के सांसद का रिपोर्ट कार्ड
धर्मबीर सिंह ने 16वीं लोकसभा में 10 डिबेट में हिस्सा लिया. इस दौरान उन्होंने एक प्राइवेट मेंबर बिल भी पेश किया. अपने कार्यकाल के दौरान धर्मबीर सिंह ने संसद में 70 सवाल पूछे.
इस बार किसका पलड़ा भारी
2014 के लोकसभा चुनाव में इनेलो यहां दूसरे नंबर पर रही थी. लेकिन क्योंकि अब पार्टी दो फाड़ हो चुकी है और जेजेपी ने यादव महिला को मैदान में उतारा है तो इनेलो के लिए रास्ता बेहद मुश्किल है. धर्मबीर सिंह चुनाव से ठीक पहले तक कहते रहे कि वि लोकसभा चुनाव नहीं लड़ना चाहते बल्कि विधानसभा चुनाव लड़ेंगे. ये उनके खिलाफ जा सकता है. हालांकि पीएम मोदी के नाम का फायदा उन्हें इस बार भी मिलने की उम्मीद है. श्रुति चौधरी को आस है कि वो अपने नाना के नाम पर इस बार मैदान मार जाएंगी. लेकिन उन्हें इस बार भी मोदी के नाम से पार पाना होगा. जो आसान बिल्कुल नहीं है.