रोहतक: दशकों से हुड्डा परिवार का गढ़ रही रोहतक लोकसभा सीट पर इस बार मुकाबला रोचक होने की उम्मीद है. क्योंकि बीजेपी ने कभी कांग्रेसी रहे अरविंद शर्मा को दीपेंद्र हुड्डा के सामने मैदान में उतारा है. जेजेपी ने युवा प्रदीप देसवाल पर भरोसा जताया है जबकि इनेलो ने धर्मबीर फौजी को उम्मीदवार बनाया है. बीजेपी ने यहां हुड्डा का किला भेदने के लिए अपनी पूरी सेना लगा दी है. प्रदेश के हर बड़े नेता को रोहतक भेजे जाने का प्लान है. क्योंकि बीजेपी किसी भी हाल में कांग्रेस की सबसे मजबूत दीवार गिराना चाहती है. अगर बीजेपी ऐसा करने में कामयाब रही तो उसके कांग्रेस मुक्त भारत वाले सपने को बल मिलेगा.
दीपेंद्र का किला दरकना आसान नहीं
दीपेंद्र हुड्डा को रोहतक में हराना आसान काम नहीं है. 2014 में जब पूरे देश में नरेंद्र मोदी की आंधी चली थी प्रदेश में सभी कांग्रेस उम्मीदवार हार गये थे लेकिन हुड्डा तब भी जीते थे. जब दीपेंद्र हुड्डा के पिता भूपेंद्र सिंह हुड्डा राज्य के मुख्यमंत्री थे तब विपक्ष हमेशा उन पर रोहतक का ज्यादा विकास करने का आरोप लगाता था. अरविंद शर्मा पर दीपेंद्र हुड्डा लगातार बाहरी होने का आरोप भी लगा रहे हैं. ऐसे में अरविंद शर्मा के लिए दीपेंद्र को हराना आसान नहीं होगा.
हुड्डा परिवार का गढ़ रही है रोहतक सीट
1952 से 1957 तक दीपेंद्र के दादा रणबीर हुड्डा इस सीट से सांसद रहे. उसके बाद 1991 से 2004 तक दीपेंद्र हुड्डा के पिता भूपेंद्र सिंह हुड्डा यहां से सांसद रहे. उसके बाद से दीपेंद्र हुड्डा लगातार रोहतक से जीतते आ रहे हैं.
बीजेपी की तैयारी
- पंजाबी विधायक मनीष ग्रोवर, कैप्टन अभिमन्यु, ओपी धनखड़ समेत बड़े जाट चेहरे लंबे समय से सक्रिय हैं.
- मनीष ग्रोवर 2 महीने में 60 गांवों में दौरे कर चुके हैं.
- कैप्टन के घर होली पर कार्यकर्ता मिलन समारोह हुआ था.
- ओपी धनखड़ झज्जर में 50 से ज्यादा दौरे कर चुके हैं.
- 25 फरवरी को जब अमित शाह आये थे तो उनसे रोहतक और हिसार पर ज्यादा फोकस करने को कहा गया था.
- 2 महीने में सीएम मनोहर लाल और बीजेपी नेता 25 से ज्यादा मीटिंग 4 जन संवाद और रैली कर चुके हैं.
कांग्रेस की तैयारी
- दीपेंद्र संसदीय क्षेत्र के सभी गांवों में राउंड लगा चुके हैं.
- दीपेंद्र हुड्डा 150 से ज्यादा जनसभाएं कर चुके हैं.
- आशा हुड्डा कॉलोनियों और घरों में 200 से ज्यादा मीटिंग कर चुकी हैं.
- कोसली हलके में अपने फंड का बड़ा हिस्सा दिया था क्योंकि पिछली बार वहां से ओपी धनखड़ को लीड मिली थी.
कांग्रेस की चिंता
जाट आरक्षम आंदोलन के दौरान हुए दंगो की वजह से वोटरों के ध्रुवीकरण की चिंता है. अब तक दीपेंद्र हुड्डा सांसद तब बने जब उनके पिता मुख्यमंत्री थे पहली बार वो पूर्व मुख्यमंत्री के बेटे के तौर पर मैदान में हैं. इसके अलावा अकेली बीजेपी से ज्यादा कांग्रेस को बाकी पार्टियों के अंडर टेबल समझौते से डर है.
बीजेपी की चिंता
रोहतक में हुड्डा परिवार की ताकत बीजेपी के लिए सबसे बड़ी चिंता है. क्योंकि बीजेपी पहले हुड्डा पर रोहतक का ज्यादा विकास करने का आरोप लगाती रही है. ऐसे में बीजेपी के लिए विकास न होने का आरोप लगाना मुश्किल होगा. इसके अलावा जाट आरक्षण आंदोलन में हुई हिंसा भी बीजेपी के लिए चिंता का विषय है.
2014 के नतीजे
2014 के लोकसभा चुनाव में मोदी लहर के बावजूद हरियाणा के रोहतक लोकसभा सीट से कांग्रेस उम्मीदवार दीपेंद्र हुड्डा ने बीजेपी उम्मीदवार को 1,70,436 वोटों से हराया था. दीपेंद्र हुड्डा को 46.86 फीसद वोट के साथ कुल 4,90,063 वोट मिल थे. बीजेपी उम्मीदवार ओम प्रकाश धनकड़ को 30.55 फीसदी वोट शेयर के साथ कुल 3,19,436 वोट पड़े थे. तीसरे नंबर पर इनेलो के शमशेर सिंह खरकड़ा रहे थे. जिन्हें 1,51,120 वोट मिले थे. आम आदमी पार्टी के उम्मीदवार नवीन जयहिंद को 46,759 वोट मिले थे. इसके अलावा 4,932 मतदाताओं ने नोटा का इस्तेमाल किया था.
रोहतक का इतिहास
इतिहास कहता है कि पहले रोहतक को रोहतासगढ़ यानि रोहतास का दुर्ग कहा जाता था. जिसकी स्थापना एक पंवार राजपूत राजा रोहतास ने की थी. यहां केखोकरा कोट टीले की खुदाई में बौद्ध मूर्तियों के अवशेष मिले थे. रोहतक में 1140 में बनी दीनी मस्जिद भी है.