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पति-पत्नी के विवाद पर हाईकोर्ट का अनोखा फैसला - hindi taja samachar

पति-पत्नी के विवाद मामले में पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट ने अनोखा फैसला दिया है. कोर्ट ने पति की अजीबो गरीब शर्त स्वीकार करते हुए ये फैसला सुनाया है.

हाईकोर्ट
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Published : Jul 19, 2019, 12:09 PM IST

चंडीगढ़: पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट में पति-पत्नी के विवाद का ऐसा मामला सामने आया, जिसमें पति ने पत्नी को गुजारा भत्ता देने के बदले अजीबो गरीब शर्त रखी. वहीं जज ने भी अनोखा फैसला सुनाकर केस को रोचक बना दिया. दरअसल, पति ने बेरोजगार होने की दलील देते हुए गुजारा भत्ता देने में असमर्थता जताते हुए पत्नी को हर माह दाल, चावल और घी देने की पेशकश कर दी. मामला तब और भी रोचक हो गया, जब जज ने इस शर्त को स्वीकार करते हुए तीन दिन के भीतर पूरा राशन पत्नी को मुहैया कराने के आदेश जारी कर दिए.

ये भी पढ़ें- हिसारः बिजली निगम ने उपभोक्ताओं को दिया झटका, चुपके से बढ़ा दिए चार्ज

मामला भिवानी जिले का है, जहां वैवाहिक विवाद के चलते निचली अदालत ने पति को हर माह पत्नी को तय राशि का भुगतान करने के आदेश दिए थे. इस आदेश के खिलाफ पति ने हाईकोर्ट में याचिका दाखिल कर दी. याचिका पर सुनवाई के दौरान पति ने कहा कि वो कोर्ट की ओर से तय रकम देने में सक्षम नहीं है. वो जिस कंपनी में काम करता था, वो कंपनी अब बंद हो चुकी है, ऐसे में वो पैसों में भुगतान नहीं कर सकता.

पति, पत्नी को क्या-क्या देगा ?

याचिकाकर्ता अमित मेहरा ने कहा कि पैसा देने की जगह वो पत्नी को उसके गुजारे के लिए घर का राशन दे सकता है. वो पत्नी को प्रति माह 20 किलो चावल, 5 किलो चीनी, 5 किलो दाल, 15 किलो दूसरे अनाज, 5 किलो देसी घी के अलावा रोजाना दो किलो दूध दे सकता है. हाईकोर्ट में शायद ये ऐसा पहला ही मामला होगा, जहां पैसे के स्थान पर राशन को गुजारा भत्ता के तौर पर देने की पेशकश की गई.

ये भी पढ़ें- विधानसभा चुनाव में मेरी और खट्टर की सीधी लड़ाई: राजकुमार सैनी


हाईकोर्ट ने पति की इस शर्त को स्वीकार भी कर लिया. हाईकोर्ट ने आदेश दिया कि पति तीन दिन के भीतर पूरा राशन अपनी पत्नी को दे और गुजारा भत्ते का पिछला भुगतान करे. अगली सुनवाई पर इस बाबत कोर्ट में हलफनामा देकर जानकारी भी दे कि उसने ये सब भुगतान कर दिया है.

चंडीगढ़: पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट में पति-पत्नी के विवाद का ऐसा मामला सामने आया, जिसमें पति ने पत्नी को गुजारा भत्ता देने के बदले अजीबो गरीब शर्त रखी. वहीं जज ने भी अनोखा फैसला सुनाकर केस को रोचक बना दिया. दरअसल, पति ने बेरोजगार होने की दलील देते हुए गुजारा भत्ता देने में असमर्थता जताते हुए पत्नी को हर माह दाल, चावल और घी देने की पेशकश कर दी. मामला तब और भी रोचक हो गया, जब जज ने इस शर्त को स्वीकार करते हुए तीन दिन के भीतर पूरा राशन पत्नी को मुहैया कराने के आदेश जारी कर दिए.

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मामला भिवानी जिले का है, जहां वैवाहिक विवाद के चलते निचली अदालत ने पति को हर माह पत्नी को तय राशि का भुगतान करने के आदेश दिए थे. इस आदेश के खिलाफ पति ने हाईकोर्ट में याचिका दाखिल कर दी. याचिका पर सुनवाई के दौरान पति ने कहा कि वो कोर्ट की ओर से तय रकम देने में सक्षम नहीं है. वो जिस कंपनी में काम करता था, वो कंपनी अब बंद हो चुकी है, ऐसे में वो पैसों में भुगतान नहीं कर सकता.

पति, पत्नी को क्या-क्या देगा ?

याचिकाकर्ता अमित मेहरा ने कहा कि पैसा देने की जगह वो पत्नी को उसके गुजारे के लिए घर का राशन दे सकता है. वो पत्नी को प्रति माह 20 किलो चावल, 5 किलो चीनी, 5 किलो दाल, 15 किलो दूसरे अनाज, 5 किलो देसी घी के अलावा रोजाना दो किलो दूध दे सकता है. हाईकोर्ट में शायद ये ऐसा पहला ही मामला होगा, जहां पैसे के स्थान पर राशन को गुजारा भत्ता के तौर पर देने की पेशकश की गई.

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हाईकोर्ट ने पति की इस शर्त को स्वीकार भी कर लिया. हाईकोर्ट ने आदेश दिया कि पति तीन दिन के भीतर पूरा राशन अपनी पत्नी को दे और गुजारा भत्ते का पिछला भुगतान करे. अगली सुनवाई पर इस बाबत कोर्ट में हलफनामा देकर जानकारी भी दे कि उसने ये सब भुगतान कर दिया है.

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पंजाब हरियाणा हाईकोर्ट में पति-पत्नी के विवाद का ऐसा मामला सामने आया, जिसमें पति ने पत्नी को गुजारा भत्ता देने के बदले अजीबोगरीब शर्त रखी। वहीं जज ने भी अनोखा फैसला सुनकर केस को रोचक बना दिया। दरअसल, पति ने बेरोजगार होने की दलील देते हुए गुजारा भत्ता देने में असमर्थता जताते हुए पत्नी को हर माह दाल, चावल और घी देने की पेशकश कर दी। मामला तब और भी रोचक हो गया, जब जज ने इस शर्त को स्वीकार करते हुए तीन दिन के भीतर पूरा राशन पत्नी को मुहैया कराने के आदेश जारी कर दिए।



मामला भिवानी जिले का है, जहां वैवाहिक विवाद के चलते निचली अदालत ने पति को हर माह पत्नी को तय राशि का भुगतान करने के आदेश दिए थे। इस आदेश के खिलाफ पति ने हाईकोर्ट में याचिका दाखिल कर दी। याचिका पर सुनवाई के दौरान पति ने कहा कि वो कोर्ट द्वारा तय रकम देने में सक्षम नही है। वह जिस कंपनी में काम करता था, वह कंपनी अब बंद हो चुकी है, ऐसे में वह पैसे में भुगतान नहीं कर सकता।



याचिकाकर्ता अमित मेहरा ने कहा कि पैसा देने की जगह वह पत्नी को उसके गुजारे के लिए घर का राशन दे सकता है। वो पत्नी को प्रति माह 20 किलो चावल, 5 किलो चीनी, 5 किलो दाल, 15 किलो अनाज, 5 किलो देसी घी के अलावा रोजाना दो किलो दूध दे सकता है। हाईकोर्ट में शायद यह ऐसा पहला ही मामला होगा, जहां पैसे के स्थान पर राशन को गुजारा भत्ता के तौर पर देने की पेशकश की गई।



हाईकोर्ट ने पति की इस शर्त को स्वीकार भी कर लिया। हाईकोर्ट ने आदेश दिया कि पति तीन दिन के भीतर पूरा राशन अपनी पत्नी को दे व गुजारा भत्ते का पिछला भुगतान करे। अगली सुनवाई पर इस बाबत कोर्ट में हलफनामा देकर जानकारी भी दे कि उसने यह सब भुगतान कर दिया है।


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