चंडीगढ़: पिछले साल दिसंबर में तीन राज्यों राजस्थान, मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ के विधानसभा चुनावों में मिले बड़े झटके के बाद बीजेपी सरकार ने सवर्णों को आरक्षण देने का फैसला किया. जिसे पूर्ण बहुमत के साथ मंजूरी मिली.
लंबी बहस के बाद बिल पास
सवर्ण वर्ग के आर्थिक रूप से कमजोर लोगों को शैक्षणिक संस्थानों और सरकारी नौकरी में 10 फीसदी आरक्षण देने के फैसले पर केंद्रीय मंत्रिमंडल ने 7 जनवरी को मुहर लगाई. जिसके बाद आरक्षण व्यवस्था को लागू करने के लिए 8 जनवरी को लोकसभा में संविधान का 124वां संशोधन विधेयक 2019 पेश किया गया था. लंबी बहस के बाद यह विधेयक लोकसभा में पास हो गया.
सवर्ण आरक्षण बिल पर मुहर
उसके अगले दिन राज्यसभा में इस संशोधन विधेयक को पेश किया गया और लंबी बहस के बाद यहां भी पास कर दिया गया. दोनों सदनों से बिल पास होने के बाद मंजूरी के लिए राष्ट्रपति कोविंद के पास भेजा गया. जहां राष्ट्रपति कोविंद ने भी बिल पर हस्ताक्षर कर अपनी मंजूरी दे दी. यह आरक्षण अनुसूचित जाति (एससी), अनुसूचित जनजाति (एसटी) और अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) के लोगों को मिलने वाले 49.5 फीसदी आरक्षण से अलग होगा.
हरियाणा सरकार ने जारी की अधिसूचना
जैसे ही सवर्ण आरक्षण बिल को मंजूरी मिली उसके बाद एक-एक करके कई राज्यों में सवर्ण आरक्षण बिल की नई व्यवस्था को लागू किया गया. इसी कड़ी में हरियाणा सरकार ने भी प्रदेश में आरक्षण लागू करने की अधिसूचना जारी कर दी.
इन लोगों को मिलेगा सवर्ण आरक्षण का लाभ
- 8 लाख से कम की घरेलू वार्षिक आय हो
- 1000 स्क्वायर फ़ीट से कम ज़मीन वाला घर हो
- अधिसूचित नगरपालिकाओं में 100 गज से कम आवासीय स्थान के मालिक हो
- गैर-अधिसूचित नगरपालिकाओं में 200 गज से कम आवासीय स्थान के मालिक हो