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लोकसभा चुनाव 2019: भिवानी-महेंद्रगढ़ से पहली बार मैदान में 2 महिलाएं

इस बार जेजेपी, इनेलो और एलएसपी-बीएसपी गठबंधन ने अहीर वोट पर दांव खेला है और तीनों ने ही यादव उम्मीदवार उतारा है जो महेंद्रगढ़ से ताल्लुक रखते हैं. क्योंकि महेंद्रगढ़ में अहीरवाल समुदाय ज्यादा है और भिवानी-दादरी में जाटों का दबदबा है. इसलिए यहां चुनाव प्रत्याशियों से ज्यादा जिलों के बीच लड़ा जा रहा है.

रोमांचक है जंग
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Published : Apr 20, 2019, 6:19 PM IST

भिवानी-महेंद्रगढ़: ये एक ऐसी लोकसभा सीट है जहां से 2 महिलाएं मैदान में है. इस सीट पर ये पहली बार है जब भिवानी-महेंद्रगढ़ में दो महिलाएं चुनाव मैदान में हैं. कांग्रेस ने यहां से किरण चौधरी की बेटी श्रुति चौधरी को उम्मीदवार बनाया है तो जेजेपी ने अमेरिका से पढ़ाई करके लौटी स्वाति यादव को टिकट दिया है. हालांकि ये सीट 2008 के परिसीमन के बाद वजूद में आई थी. उससे पहले पुरानी भिवानी सीट थी जो 1977 में बनी थी और उस सीट का इतिहास ये है कि यहां सबसे पहले चुनाव में एक महिला उम्मीदवार चंद्रावती ने दिग्गज नेता बंसीलाल को हराया था. चंद्रावती उस वक्त जनता पार्टी का हिस्सा थीं और बंसीलाल कांग्रेसी थे.

क्लिक कर जानिये श्रुति चौधरी ने क्या कहा

भिवानी-दादरी VS महेंद्रगढ़ जिला है चुनाव !

भिवानी-महेंद्रगढ़ से चुनाव लड़ रहे धर्मवीर सिंह भिवानी-दादरी से आते हैं और यहीं से आती हैं श्रुति चौधरी. वहीं जेजेपी उम्मीदवार स्वाति यादव, एलएसपी-बीएसपी उम्मीदवार राव रमेश पायलट और इनेलो उम्मीदवार बलवान सिंह यादव महेंद्रगढ़ से आते हैं. ऐसे में अब इस सीट का चुनाव भिवानी-दादरी जिला बनाम महेंद्रगढ़ जिला हो चला है.अब तक हुए दो चुनावों में इस सीट पर भिवानी-दादरी के ही उम्मीदवार ने जीत दर्ज की है. 2009 में यहां से श्रुति चौधरी जीती थीं तो 2014 में धर्मवीर सिंह ने जीत दर्ज की थी. लेकिन इस बार जेजेपी, इनेलो और एलएसपी-बीएसपी गठबंधन ने अहीर वोट पर दांव खेला है और तीनों ने ही यादव उम्मीदवार उतारा है जो महेंद्रगढ़ से ताल्लुक रखते हैं. क्योंकि महेंद्रगढ़ में अहीरवाल समुदाय ज्यादा है और भिवानी-दादरी में जाटों का दबदबा है. इसलिए यहां चुनाव प्रत्याशियों से ज्यादा जिलों के बीच लड़ा जा रहा है.

क्लिल कर जानिये धर्मवीर सिंह ने क्या कहा

जातीय समीकरण बिगाड़ सकते हैं खेल

भिवानी-महेंद्रगढ़ में जातीय समीकरण ही जीत और हार की दिशा तय करेंगे. यहां कुल 15 लाख 88 हजार मतदाता हैं. जिनमें करीब 4 लाख जाट मतदाता हैं. करीब 3 लाख यादव मतदाता हैं. यहां से दो महिला उम्मीदवार मैदान में हैं जिनकी नजर महिलाओं के वोट पर है.

भिवानी-महेंद्रगढ़: ये एक ऐसी लोकसभा सीट है जहां से 2 महिलाएं मैदान में है. इस सीट पर ये पहली बार है जब भिवानी-महेंद्रगढ़ में दो महिलाएं चुनाव मैदान में हैं. कांग्रेस ने यहां से किरण चौधरी की बेटी श्रुति चौधरी को उम्मीदवार बनाया है तो जेजेपी ने अमेरिका से पढ़ाई करके लौटी स्वाति यादव को टिकट दिया है. हालांकि ये सीट 2008 के परिसीमन के बाद वजूद में आई थी. उससे पहले पुरानी भिवानी सीट थी जो 1977 में बनी थी और उस सीट का इतिहास ये है कि यहां सबसे पहले चुनाव में एक महिला उम्मीदवार चंद्रावती ने दिग्गज नेता बंसीलाल को हराया था. चंद्रावती उस वक्त जनता पार्टी का हिस्सा थीं और बंसीलाल कांग्रेसी थे.

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भिवानी-दादरी VS महेंद्रगढ़ जिला है चुनाव !

भिवानी-महेंद्रगढ़ से चुनाव लड़ रहे धर्मवीर सिंह भिवानी-दादरी से आते हैं और यहीं से आती हैं श्रुति चौधरी. वहीं जेजेपी उम्मीदवार स्वाति यादव, एलएसपी-बीएसपी उम्मीदवार राव रमेश पायलट और इनेलो उम्मीदवार बलवान सिंह यादव महेंद्रगढ़ से आते हैं. ऐसे में अब इस सीट का चुनाव भिवानी-दादरी जिला बनाम महेंद्रगढ़ जिला हो चला है.अब तक हुए दो चुनावों में इस सीट पर भिवानी-दादरी के ही उम्मीदवार ने जीत दर्ज की है. 2009 में यहां से श्रुति चौधरी जीती थीं तो 2014 में धर्मवीर सिंह ने जीत दर्ज की थी. लेकिन इस बार जेजेपी, इनेलो और एलएसपी-बीएसपी गठबंधन ने अहीर वोट पर दांव खेला है और तीनों ने ही यादव उम्मीदवार उतारा है जो महेंद्रगढ़ से ताल्लुक रखते हैं. क्योंकि महेंद्रगढ़ में अहीरवाल समुदाय ज्यादा है और भिवानी-दादरी में जाटों का दबदबा है. इसलिए यहां चुनाव प्रत्याशियों से ज्यादा जिलों के बीच लड़ा जा रहा है.

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जातीय समीकरण बिगाड़ सकते हैं खेल

भिवानी-महेंद्रगढ़ में जातीय समीकरण ही जीत और हार की दिशा तय करेंगे. यहां कुल 15 लाख 88 हजार मतदाता हैं. जिनमें करीब 4 लाख जाट मतदाता हैं. करीब 3 लाख यादव मतदाता हैं. यहां से दो महिला उम्मीदवार मैदान में हैं जिनकी नजर महिलाओं के वोट पर है.

Intro:भिवानी-महेंद्रगढ़ संसदीय क्षेत्र :-
भिवानी-दादरी बनाम महेंद्रगढ़ जिला बना राजनीति का अखाड़ा
: जातीय समीकरण बदलेंगे हार-जीत की दिशा, दो महिलाओं के बीच पहली बार मुकाबला
प्रदीप साहू
चरखी दादरी : भिवानी-महेंद्रगढ़ लोकसभा क्षेत्र से सभी राजनीतिक पार्टियों ने अपने प्रत्याशी मैदान में उतार दिए हैं। इस संसदीय क्षेत्र में भिवानी-दादरी जिले से भाजपा के धर्मबीर व कांग्रेस से श्रुति चौधरी मैदान में हैं। वहीं महेंद्रगढ़ जिले से जजपा की स्वाति यादव, एलएसपी-बसपा से राव रमेश पायलट व इनेलो ने बलवान सिंह यादव मैदान में उतारे गए हैं। ऐसे में अब यह सीट भिवानी-दादरी जिला बनाम महेंद्रगढ़ जिला राजनीति का अखाड़ा बन गया है। यहां से पहली बार दो महिलाएं भी आमने-सामने होंगी। इस सीट से जातीय समीकरण हार-जीत की दिशा बदलेंगे। Body:जाट और यादव बाहुल्य वोटरों वाली भिवानी-महेंद्रगढ़ सीट पर इस बार गैर यादव और गैर जाट मतदाता भी निर्णायक भूमिका में दिखाई देंगे। भिवानी व दादरी जिला (जो भिवानी का पुराना क्षेत्र रहा है) से भाजपा व कांग्रेस के प्रत्याशी अपना भाग्य अजमा रहे हैं। वहीं महेंद्रगढ़ जिले से तीन प्रत्याशी मैदान में हैं। वर्ष 2009 से परिसीमन में आई भिवानी-महेंद्रगढ़ संसदीय सीट से अब तक हुए चुनावों में भिवानी-दादरी जिले के प्रत्याशी ने जीत दर्ज की है। इस बार जहां इनेलो, जजपा व एलएसपी ने अपना टारगेट महेंद्रगढ़ जिला को बनाकर अहीरवाल क्षेत्र में चौधर लाने का नारा दिया है वहीं भाजपा व कांग्रेस द्वारा अपनी जीत पक्की करने के लिए लगातार फील्ड में मेहनत कर रहे हैं। 2009 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस से श्रुति चौधरी ने जीत दर्ज की थी और 2014 के चुनाव में भाजपा के धर्मबीर सिंह जीते। ये दोनों ही भिवानी-दादरी जिले से हैं। अब तक दो बार हुए चुनावों में महेंद्रगढ़ के वोटरों का मिजाज ही जीत दिलवाने में अहम भूमिका निभाता रहा है। इस बार महेंद्रगढ़ जिले से तीन पार्टियों के प्रत्याशी मैदान में हैं। ऐसे में इस बार भिवानी-दादरी जिला बनाम महेंद्रगढ़ जिला के बीच मुकाबला होने के आसार हैं।
इस क्षेत्र से जातीय समीकरण ही जीत की दिशा बदल सकते हैं। भिवानी-महेंद्रगढ़ लोकसभा क्षेत्र में कुल 15 लाख 88 हजार मतदाता हैं। जिनमें करीब 4 लाख जाट मतदाता हैं तो तीन लाख यादव मतदाता हैं। इसके अलावा गैर यादव और गैर जाट मतदाताओं की संख्या भी इनके बराबर हैं। इस क्षेत्र से कुल वोटरों में करीब आधी संख्या महिला वोटरों की है। दो महिला प्रत्याशी मैदान में उतरी हैं और उनकी नजर महिला वोटरों पर है। कुल मिलाकर यह क्षेत्र अब भिवानी-दादरी बनाम महेंद्रगढ़ जिला का राजनीति अखाड़ा बन गया है। देखना होगा कि इस राजनीति अखाड़े में कौन सी पार्टी और कौन सा जिला गढ़ जीतने में कामयाब होगा। Conclusion:बाक्स:-
वर्ष 2009 में आस्तित्व में आया भिवानी-महेंद्रगढ़ लोकसभा
2008 से पहले भिवानी और महेंद्रगढ़ दो अलग-अलग लोकसभा सीटें थीं, लेकिन 2008 में हुए परीसिमन में कुछ इलाकों को काटकर अलग कर दिया गया और बाकी बचे इलाकों को मिलाकर एक नई सीट (भिवानी-महेंद्रगढ़) का गठन कर दिया गया। 1952 से लेकर 2008 तक इस सीट का कोई अस्तित्व नहीं था। पहली बार 2009 के चुनावों में यह सीट वजूद में आई थी।
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