फरीदाबाद- पार्टियों को समझ लेना चाहिए कि अब चुनाव में कोई भी नेता नहीं चलेगा. इसका सबसे बड़ा उदाहरण फरीदाबाद की जनता ने 2014 में दिया था. 2014 के लोकसभा चुनाव में फरीदाबाद से कुल 22 प्रत्यशी मैदान में थे. जिनमें 22 प्रत्याशी ऐसे थे जिन्हें नोटा से भी कम वोट मिले थे.
यहां फुल था नोटा का कोटा !
फरीदाबाद लोकसभा क्षेत्र में 3328 लोगों ने नोटा को वोट दिया था. अगर पूरे प्रदेश की बात की जाये तो 34 हजार 256 लोगों ने नोटा का इस्तेमाल किया था.
इन प्रत्याशियों के मिले नोटा से कम वोट
फरीदाबाद से प्रत्याशी कलचंद को 967, कुसुम कुमारी को 620, खुशदिल सहगल को 685, खेमी ठाकुर को 1940, चौधरी ध्यानचंद को 711, दीपक गौड़ को 479, निर्मला को 976, मोहम्मद मुकीम को 1735, रविंद्र भाटी को 1689, सुखवीर को 1084, हामिद खान को 2761, डॉ. क्षेत्रपाल सिंह 1942, धर्मेंद्र को 665, नानक चंद को 2550, मनधीर सिंह मान को 644, मुकेश कुमार सिंह को 442, राजेंद्र को 410, लक्ष्मण को 456, ललित मित्तल को 420, विजय राज को 407, सुशीला को 524 और संजय मौर्य को कुल 1104 वोट मिले थे.
शहरी मतदाताओं को भाया नोटा !
फरीदाबाद लोकसभा क्षेत्र के बड़खल विधानसभा क्षेत्र में सबसे अधिक मतदाताओं ने नोटा का इस्तेमाल किया था. ये पूरी तरह से शहरी क्षेत्र है और यहां 752 लोगों ने नोटा का बटन दबाया था. सबसे कम नोटा का इस्तेमाल हथीन विधानसभा क्षेत्र में हुआ था. यहां कुल 121 लोगों ने नोटा का बटन दबाया था. ग्रामीण क्षेत्र के विधानसभा क्षेत्रों में नोटा का कम इस्तेमाल हुआ था, जबकि शहरी क्षेत्र के विधानसभा क्षेत्रों में अधिक मतदाताओं ने नोटा का इस्तेमाल किया था.
नोटा क्या है ?
फर्ज कीजिए आपको किसी पार्टी का कोई उम्मीदवार पसंद न हो और आप उनमें से किसी को भी अपना वोट देना नहीं चाहते हैं तो फिर आप क्या करेंगे. इसलिए निर्वाचन आयोग ने ऐसी व्यवस्था की कि वोटिंग प्रणाली में एक ऐसा तंत्र विकसित किया जाए ताकि ये दर्ज हो सके कि कितने फीसदी लोगों ने किसी को भी वोट देना उचित नहीं समझा है. यानी अब चुनाव में आपके पास एक और विकल्प होता है कि आप इनमें से कोई नहीं का भी बटन दबा सकते हैं. यानी आपको इनमें से कोई भी उम्मीदवार पसंद नहीं है. ईवीम मशीन में NONE OF THE ABOVE यानी NOTA का गुलाबी बटन होता है.