भिवानी: भले ही कोरोना बीमारी को लेकर कोई भी कारगर वैक्सीन अभी तक न बनी हो, लेकिन कोरोना बीमारी से ठीक हुए मरीजों की एंटीबॉडीज गंभीर मरीजों को कोरोना से बचा रही है. इसी बात को ध्यान में रखते हुए भिवानी के युवा कल्याण संगठन ने अब कोरोना बीमारी से पीड़ित होकर स्वस्थ हो चुके मरीजों का पंजीकरण प्लाज्मा दान देने के लिए शुरू कर दिया है, ताकि गंभीर मरीजों को एंटीबॉडी प्लाज्मा चढ़ाकर उन्हे स्वस्थ किया जा सके.
संस्था के संरक्षक कमल सिंह ने बताया कि भिवानी जिले में 726 मरीज कोरोना पॉजिटिव हो चुके हैं, जिनमें से 635 मरीज ठीक होकर घर जा चुके हैं. ऐसे स्वस्थ मरीजों में से अब तक 31 मरीजों ने उनकी संस्था को अपना प्लाज्मा दान देने की सहमति दी है.
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उन्होंने बताया कि प्लाज्मा का निर्माण रक्त से होता है. प्लाज्मा निकालने की मशीन शरीर से रक्त निलाककर उसमें से पीले रंग का तरल पदार्थ (प्लाज्मा) को रक्त से अलग करके बचे हुए रक्त को वापस रक्तदाता मनुष्य के शरीर में पहुंचा देती है. इससे प्लाज्मा दानदाता के शरीर में प्लाज्मा की पूर्ति 48 घंटे में हो जाती है.
गौरतलब है कि कोरोना बीमारी की वैक्सीन का मानव शरीर पर परीक्षण भी देश भर में शुरू हो चुका है. जिसके प्रथम चरण का कार्य हरियाणा के रोहतक मेडिकल कॉलेज में किया जा रहा है, जो अब तक सफल रहा है.
वहीं कोरोना से लड़ने के लिए प्लाज्मा थेरेपी अभी तक कारगर साबित हो रही है. जब तक वैक्सीन नहीं बनाई जाती तब तक प्लाज्मा थैरेपी को ही विकल्प के तौर पर देखा जा रहा है. प्लाज्मा थैरेपी की इजाजत केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय से जुड़ी संस्था आईसीएमआई ने भी दे दी है.