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आज भी जिंदा है ईमानदारी, कैश से भरा पर्स लौटाकर इस शख्स ने निभाई नैतिक जिम्मेदारी - भिवानी खोया पर्स लौटाया

भिवानी के रहने वाले धर्मेश ने ईमानदारी का परिचय देते हुए रुपयों से भरा पर्स उसके मालिक को लौटाया है. एक हफ्ते बाद पर्स के मालिक पता लग पाया. पर्स में 10 हजार रुपये कैश और कुछ जरूरी दस्तावेज थे.

lost purse return bhiwani
आज भी जिंदा है ईमानदारी, कैश से भरा पर्स लौटाकर भिवानी के शख्स ने निभाई नैतिक जिम्मेदारी
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Published : May 20, 2021, 10:15 PM IST

भिवानी: एक ओर जहां इस महामारी के दौर में कुछ लोग ऐसे हैं, 'जो राम-राम जपना, पराया माल अपना' को चरितार्थ करते हुए लोगों की मजबूरी का फायदा उठाने से नहीं चूक रहे. वहीं कुछ ऐसे लोग भी हैं जो दूसरे की धन-संपत्ति को छूने तक को पाप समझते हैं. ऐसा ही एक वाक्या देखने को मिला है भिवानी में.

दरअसल, बरवाला के पंघाल गांव निवासी सुरेंद्र तोशाम क्षेत्र में किसी कार्य से आया हुआ था. यहां उसका पर्स गिर गया, जिसमें 10 हजार रुपये और कुछ जरूरी कागजात थे. बाद में ये पर्स गांव बजीणा निवासी और भिवानी धर्मेश टेक्सटाइल में असिस्टेंट मैनेजर के रूप में कार्यरत अनिल प्रजापति को मिला.

ये भी पढ़िए: हरियाणा के पिछड़े जिले की कहानी: ना स्मार्टफोन है, ना कम्प्यूटर, कैसे करें कोरोना वैक्सीन के लिए रजिस्ट्रेशन

धर्मेश ने पर्स अपने पास ना रखते हुए उसे लौटाने का मन बना लिया, लेकिन ये काम इतना आसान नहीं था क्योंकि पर्स में सिवाय गांव के नाम को छोड़कर सुरेंद्र का और कोई संपर्क सूत्र नहीं था. इसके बाद एक सप्ताह की कड़ी मेहनत के बाद धर्मेश ने सुरेंद्र से संपर्क किया गया और उन्हें ये पर्स लौटा दिया.

भिवानी: एक ओर जहां इस महामारी के दौर में कुछ लोग ऐसे हैं, 'जो राम-राम जपना, पराया माल अपना' को चरितार्थ करते हुए लोगों की मजबूरी का फायदा उठाने से नहीं चूक रहे. वहीं कुछ ऐसे लोग भी हैं जो दूसरे की धन-संपत्ति को छूने तक को पाप समझते हैं. ऐसा ही एक वाक्या देखने को मिला है भिवानी में.

दरअसल, बरवाला के पंघाल गांव निवासी सुरेंद्र तोशाम क्षेत्र में किसी कार्य से आया हुआ था. यहां उसका पर्स गिर गया, जिसमें 10 हजार रुपये और कुछ जरूरी कागजात थे. बाद में ये पर्स गांव बजीणा निवासी और भिवानी धर्मेश टेक्सटाइल में असिस्टेंट मैनेजर के रूप में कार्यरत अनिल प्रजापति को मिला.

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धर्मेश ने पर्स अपने पास ना रखते हुए उसे लौटाने का मन बना लिया, लेकिन ये काम इतना आसान नहीं था क्योंकि पर्स में सिवाय गांव के नाम को छोड़कर सुरेंद्र का और कोई संपर्क सूत्र नहीं था. इसके बाद एक सप्ताह की कड़ी मेहनत के बाद धर्मेश ने सुरेंद्र से संपर्क किया गया और उन्हें ये पर्स लौटा दिया.

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