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1 रुपये में कर्मचारी करते हैं पोस्टमॉर्टम का काम, शराब पीकर करना पड़ता है काम

भिवानी के सिविल अस्पताल में विनोद और रामसिंह पिछले 20 से 25 साल से पोस्टमॉर्टम करने का काम कर रहे हैं. दोनों ही चतुर्थ श्रेणी के कर्मचारी हैं, जो डॉक्टर के कहने पर बॉडी से विसरा निकालते हैं, लेकिन सुनकर आपको भी अजीब लगेगा कि इस काम के लिए उन्हें तनख्वाह के अलावा सिर्फ एक रुपये मिलते हैं, जबकि डॉक्टरों को इस काम के लिए हजार और हेलपर्स को पोस्टमार्टम करने के 500 रुपये मिलते हैं.

workers do postmortem only in 1 rupees in bhiwani
1 रुपये में कर्मचारी करते हैं पोस्टमार्टम
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Published : Dec 4, 2019, 1:47 PM IST

Updated : Dec 4, 2019, 2:52 PM IST

भिवानी: पोस्टमार्टम करने के लिए दिलबड़ा होना चाहिए. इतना आसान नहीं होता है अपने हाथों से दूसरे के शव की काट छांट करना. बहुत मुश्किल होता है सड़े-गले शव की चीर फाड़ कर शख्स की मौत के कारणों का पता लगाना. इसके लिए कर्मचारियों को शराब पीकर पोस्टमॉर्टम करना पड़ता है.

1 रुपये में कर्मचारी करते हैं पोस्टमार्टम
भिवानी के सिविल अस्पताल में विनोद और रामसिंह पिछले 20 से 25 साल से पोस्टमार्टम करने का काम कर रहे हैं. दोनों ही चतुर्थ श्रेणी के कर्मचारी हैं जो डॉक्टर के कहने पर बॉडी से विसरा निकालते हैं, लेकिन सुनकर आपको भी अजीब लगेगा कि इस काम के लिए उन्हें तनख्वाह के अलावा सिर्फ एक रुपये मिलते हैं, जबकि डॉक्टरों को इस काम के लिए हजार और हेलपर्स को पोस्टमार्टम करने के 500 रुपये मिलते हैं.

क्लिक कर देखें रिपोर्ट

शराब पीकर करना पड़ता है पोस्टमॉर्टम
कर्मचारियों ने बताया कि पोस्टमॉर्टम करने में उन्हें काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है. अस्पताल में फ्रीजर नहीं है. जिस वजह से बॉडी कुछ ही वक्त में खराब हो जाती है. कई बार तो बॉडी की हालत इतनी खराब होती है कि उसमें कीड़े लग जाते हैं. इसके बाद भी उन्हें उस बॉडी का पोस्टमार्टम करना पड़ता है. ऐसे में वो ना चाहते हुए भी शराब पीकर बॉडी से विसरा निकालते हैं.

शव देखने के बाद नहीं आती है नींद-कर्मचारी
जबकि कई बार तो हालत ऐसी हो जाती है कि बॉडी देखने के बाद उन्हें रात को नींद नहीं आती है. जिस वजह से रात को भी उन्हें शराब पीकर ही सोना पड़ता है. कर्मचारियों ने कहा कि वो चाहते हैं कि पोस्टमार्टम के बदले मिलने वाले 1 रुपये को सरकार बढ़ाए.

ये भी पढ़िए: 'मिनी क्यूबा' के मुक्केबाजों को मदद की दरकार, बोले-सरकार साथ दे तो लगा देंगे मेडल की झड़ी

वहीं जब इस बारे में भिवानी के पीएमओ डॉ. रणदीप पुनिया ने कहा कि सरकार की ओर से मेहनताना फिक्स किया गया है. उन्होंने बताया कि प्रत्येक पोस्टमार्टम के लिए तीन व्यक्तियों की टीम बनाई जाती है. जिसमें एक डॉक्टर जिसे 1 हजार रुपए, फर्मासिस्ट को 500 रुपए और चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी को एक रुपये मेहनताना के तौर पर दिए जाते है. उन्होंने बताया कि चतुर्थ श्रेणी कर्मचारियों ने मेहनताना बढ़वाने के लिए कोई मांग पत्र उन्हें नहीं सौंपा है. अगर वो ऐसा करेंगे तो वो इस बारे में अपने अधिकारियों से बात करेंगे.

भिवानी: पोस्टमार्टम करने के लिए दिलबड़ा होना चाहिए. इतना आसान नहीं होता है अपने हाथों से दूसरे के शव की काट छांट करना. बहुत मुश्किल होता है सड़े-गले शव की चीर फाड़ कर शख्स की मौत के कारणों का पता लगाना. इसके लिए कर्मचारियों को शराब पीकर पोस्टमॉर्टम करना पड़ता है.

1 रुपये में कर्मचारी करते हैं पोस्टमार्टम
भिवानी के सिविल अस्पताल में विनोद और रामसिंह पिछले 20 से 25 साल से पोस्टमार्टम करने का काम कर रहे हैं. दोनों ही चतुर्थ श्रेणी के कर्मचारी हैं जो डॉक्टर के कहने पर बॉडी से विसरा निकालते हैं, लेकिन सुनकर आपको भी अजीब लगेगा कि इस काम के लिए उन्हें तनख्वाह के अलावा सिर्फ एक रुपये मिलते हैं, जबकि डॉक्टरों को इस काम के लिए हजार और हेलपर्स को पोस्टमार्टम करने के 500 रुपये मिलते हैं.

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शराब पीकर करना पड़ता है पोस्टमॉर्टम
कर्मचारियों ने बताया कि पोस्टमॉर्टम करने में उन्हें काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है. अस्पताल में फ्रीजर नहीं है. जिस वजह से बॉडी कुछ ही वक्त में खराब हो जाती है. कई बार तो बॉडी की हालत इतनी खराब होती है कि उसमें कीड़े लग जाते हैं. इसके बाद भी उन्हें उस बॉडी का पोस्टमार्टम करना पड़ता है. ऐसे में वो ना चाहते हुए भी शराब पीकर बॉडी से विसरा निकालते हैं.

शव देखने के बाद नहीं आती है नींद-कर्मचारी
जबकि कई बार तो हालत ऐसी हो जाती है कि बॉडी देखने के बाद उन्हें रात को नींद नहीं आती है. जिस वजह से रात को भी उन्हें शराब पीकर ही सोना पड़ता है. कर्मचारियों ने कहा कि वो चाहते हैं कि पोस्टमार्टम के बदले मिलने वाले 1 रुपये को सरकार बढ़ाए.

ये भी पढ़िए: 'मिनी क्यूबा' के मुक्केबाजों को मदद की दरकार, बोले-सरकार साथ दे तो लगा देंगे मेडल की झड़ी

वहीं जब इस बारे में भिवानी के पीएमओ डॉ. रणदीप पुनिया ने कहा कि सरकार की ओर से मेहनताना फिक्स किया गया है. उन्होंने बताया कि प्रत्येक पोस्टमार्टम के लिए तीन व्यक्तियों की टीम बनाई जाती है. जिसमें एक डॉक्टर जिसे 1 हजार रुपए, फर्मासिस्ट को 500 रुपए और चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी को एक रुपये मेहनताना के तौर पर दिए जाते है. उन्होंने बताया कि चतुर्थ श्रेणी कर्मचारियों ने मेहनताना बढ़वाने के लिए कोई मांग पत्र उन्हें नहीं सौंपा है. अगर वो ऐसा करेंगे तो वो इस बारे में अपने अधिकारियों से बात करेंगे.

Intro:रिपोर्ट इन्द्रवेश भिवानी
दिनांक 3 दिसंबर।
एक रूपये ने बनाया शराबी
पोस्टमार्टम करने वाले चिकित्सकों के हैल्परो को बॉडी से विसरा निकालने के मिलता है एक रूपया
डॉक्टर व फार्मासिस्ट को मिलते है क्रमश एक हजार व पॉच सौ रुपए
एक रुपए ने बना दिया शराबी, सुनने में चाहे बेशक यह बात आपको अटपटी लगे, लेकिन यह सच्चाई है कि हरियाणा में पोस्टमार्टम करने वाले चिकित्सकों के हैल्परो को बॉडी से विसरा निकालने के उसे काटने की कीमत मात्र एक रुपया ही मिलती है। हालांकि डॉक्टर व फार्मासिस्ट को क्रमश एक हजार व पॉच सौ रुपए ही मिलते है। हैल्पेर को बॉडी काटने के लिए काफी परेशानियों का सामना करना पड़ता है। यह कार्य चतुर्थ Ÿोणी कर्मचारियों का होता है। कर्मचारी को कई बार गली सड़ी लाश व दुर्घटना में मृत हुए व्यक्ति की लाश को भी काटना पड़ता है। चतुर्थ Ÿोणी कर्मचारियों का कहना है कि लाशों को काटने के बाद उन्हें रात को नींद नहीं आती। उन्हे सोने के लिए शराब का सेवन करना पड़ता है। अगर शराबन पीये तो वे रात भर सो नहीं सकते। उन्होंने बताया कि एक लाश को काटने का मेहनताना उन्हें मात्र एक रूपया ही मिलता है वह भी कई वर्षो से नहीं मिल रहा है।
Body: भिवानी के सिविल हस्पताल में चतुर्थ Ÿोणी कर्मचारी पोस्टमार्टम के चिकित्सक की देखरेख में लाश को काटने का कार्य करते है। ये लोग प्रतिदिन पोस्टमार्टम करने वाले डाक्टर के कहने पर लाश को काटते है तथा विसरा निकलवाते है या यूं भी कहा जाए की इनके बिना पोस्टमार्टम किया जाना ही संभव नहीं है। फिर भी इन लोगों को पोस्टमार्टम का मेहनताना केवल 1 रुपया ही मिलता है। यह तनख्वाह से अलग होता है।
भिवानी के अस्पताल में विनोद सरकारी नौकरी पर है उसे पोस्टमार्टम के लिए एक रुपया मिलता है जोकि रामसिंह कच्चा कर्मचारी है उसे तो यह भी नहीं पता कि उसे कितने पैसे मिलेगें। मिलेंगेें या नही क्योंकि ठेकेदार ने उसे यह बताया ही नहीं है। राम सिंह भी उतना नहीं काम करता है जितना विनोद करता है। विनोद को तो पोस्टमार्टम के लिए डॉक्टर के साथ कार्य करने के लिए एक रुपया मेहनताना मिलता है, जो कि विनोद को तो जानकारी ही नहीं है कि उसे कुछ मिलेगा भी नहीं खैर सरकार को इस ओर संज्ञान लेना चाहिए।
विनोद व रामसिंह का कहना है कि उन दोनों को प्रतिदिन लाशों को काटना पड़ता है। कई लाशों में तो इतनी ज्यादा बदबू होती हे कि पास रुकना ही मुश्किल होता है ऐसे में उन्हें शराब पीकर ही उन लाशों को काटना पड़ता है। उन्होंने यह भी बताया कि रात के समय वे सो भी नहीं पाते। जिस कारण सोने के लिए भी उन्हें शराब का नशा करना पड़ता है नहीं तो उन्हें आंखे बंद करते ही वही लाशे दिखाई देती है।
Conclusion: वही इस बारे में भिवानी के पीएमओ डॉ रणदीप पुनिया का कहना है कि सरकार की ओर से मेहनताना फिक्स किया गया है। उन्होंने बताया कि प्रत्येक पोस्टमार्टम के लिए तीन व्यक्तियों की टीम बनाई जाती है। जिसमें एक डाक्टर जिसे 1 हजार रुपए, फर्मासिस्ट को 500 रुपए तो चतुर्थ Ÿोणी कर्मचारी को एक रुपए मेहनताना के तौर पर दिए जाते है। उन्होंने बताया कि चतुर्थ Ÿोणी कर्मचारियों ने मेहनताना बढ़वाने के लिए कोई मांग पत्र भी आज तक उन्हें नहीं सोैपा है।
बाईट : रामसिंह व विनोद, चतुर्थ Ÿोणी कर्मचारी एवं पीएमओ डॉ. रणदीप पुनिया।
Last Updated : Dec 4, 2019, 2:52 PM IST
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