भिवानी: पोस्टमार्टम करने के लिए दिलबड़ा होना चाहिए. इतना आसान नहीं होता है अपने हाथों से दूसरे के शव की काट छांट करना. बहुत मुश्किल होता है सड़े-गले शव की चीर फाड़ कर शख्स की मौत के कारणों का पता लगाना. इसके लिए कर्मचारियों को शराब पीकर पोस्टमॉर्टम करना पड़ता है.
1 रुपये में कर्मचारी करते हैं पोस्टमार्टम
भिवानी के सिविल अस्पताल में विनोद और रामसिंह पिछले 20 से 25 साल से पोस्टमार्टम करने का काम कर रहे हैं. दोनों ही चतुर्थ श्रेणी के कर्मचारी हैं जो डॉक्टर के कहने पर बॉडी से विसरा निकालते हैं, लेकिन सुनकर आपको भी अजीब लगेगा कि इस काम के लिए उन्हें तनख्वाह के अलावा सिर्फ एक रुपये मिलते हैं, जबकि डॉक्टरों को इस काम के लिए हजार और हेलपर्स को पोस्टमार्टम करने के 500 रुपये मिलते हैं.
शराब पीकर करना पड़ता है पोस्टमॉर्टम
कर्मचारियों ने बताया कि पोस्टमॉर्टम करने में उन्हें काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है. अस्पताल में फ्रीजर नहीं है. जिस वजह से बॉडी कुछ ही वक्त में खराब हो जाती है. कई बार तो बॉडी की हालत इतनी खराब होती है कि उसमें कीड़े लग जाते हैं. इसके बाद भी उन्हें उस बॉडी का पोस्टमार्टम करना पड़ता है. ऐसे में वो ना चाहते हुए भी शराब पीकर बॉडी से विसरा निकालते हैं.
शव देखने के बाद नहीं आती है नींद-कर्मचारी
जबकि कई बार तो हालत ऐसी हो जाती है कि बॉडी देखने के बाद उन्हें रात को नींद नहीं आती है. जिस वजह से रात को भी उन्हें शराब पीकर ही सोना पड़ता है. कर्मचारियों ने कहा कि वो चाहते हैं कि पोस्टमार्टम के बदले मिलने वाले 1 रुपये को सरकार बढ़ाए.
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वहीं जब इस बारे में भिवानी के पीएमओ डॉ. रणदीप पुनिया ने कहा कि सरकार की ओर से मेहनताना फिक्स किया गया है. उन्होंने बताया कि प्रत्येक पोस्टमार्टम के लिए तीन व्यक्तियों की टीम बनाई जाती है. जिसमें एक डॉक्टर जिसे 1 हजार रुपए, फर्मासिस्ट को 500 रुपए और चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी को एक रुपये मेहनताना के तौर पर दिए जाते है. उन्होंने बताया कि चतुर्थ श्रेणी कर्मचारियों ने मेहनताना बढ़वाने के लिए कोई मांग पत्र उन्हें नहीं सौंपा है. अगर वो ऐसा करेंगे तो वो इस बारे में अपने अधिकारियों से बात करेंगे.