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भिवानी में किसानों की खराब कपास की फसल का किया जा रहा है सर्वे

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Published : Aug 31, 2020, 1:58 PM IST

भिवानी में कपास की खराब फसल का सर्वे किया जा रहा है. टीम खेतों में जाकर ना सिर्फ कपास की फसल दे रही है बल्कि किसानों को जरूरी टिप्स भी दिए जा रहे हैं.

survey of cotton crop of farmers in bhiwani
भिवानी में किसानों की खराब कपास की फसल का किया जा रहा है सर्वे

भिवानी: किसानों की खराब हुई कपास की फसल का सर्वे किया जा रहा है. ये सर्वे केंद्रीय कपास अनुसंधान संस्थान सिरसा की ओर से किया जा रहा है. सर्वे के बाद रिपोर्ट सरकार को सौंपी जाएगी, जिसके बाद किसानों को मुआवजा दिया जाएगा.

सर्वे कर रही एक टीम भिवानी भी पहुंची. जिनकी ओर से जिले के बागनवाला, झावरी, सरल, मिरान, देवावास, ईशरवाल, बुशान सहित कई गांवो में जाकर कपास की फसल का निरीक्षण किया गया. इस दौरान टीम ने संबंधित गांवों के किसानों के साथ विस्तार से बातचीत की और फसल के बचाव को लेकर दवाइयों के छिड़काव के बारे में भी जानकारी दी.

भिवानी में किसानों की खराब कपास की फसल का किया जा रहा है सर्वे

अनुसंधान संस्थान के संयुक्त निदेशक ने बताया कि सफेद मक्खी, पैराविल्ट और उखेडा जैसे रोगों के कारण किसानों की फसल खराब हो रही है. सफेद मक्खी के नियंत्रण के लिए ओबेरोन 240 मिलीलीटर प्रति एकड़ की दर से स्प्रे करें. सफेद मक्खी के कारण अगर पत्ते काले पड़ गए हैं तो कॉपर ऑक्सिक्लोराइड 600 ग्राम के साथ 12 ग्राम स्ट्रेप्टॉइक्लीन प्रति एकड़ की दर से छिड़काव करें.

ये भी पढ़िए: हरियाणा में अनलॉक-4 की गाइडलाइंस जारी, जानें क्या खुलेगा और क्या रहेगा बंद

उन्होंने कहा कि इस वर्ष अगस्त में लगभग एक महीने के लंबे अंतराल के बाद बारिश हुई है, जब इस तरह से लंबे सूखे अंतराल पर बारिश होती है तो पौधे की जड़ों में ईथीलीन गैस बनती है, जिससे 2 से 3 दिन में पूरा पौधा सूख जाता है. उन्होंने बताया कि अगर किसान इस रोग के प्रारंभिक लक्ष्ण नजर आते ही 24 घंटे के अंदर-अंदर कोबाल्ट क्लोराइड दवा का एक ग्राम प्रति एकड़ 100 लीटर पानी में मिलाकर छिड़काव कर देंॉ तो 90 से 95 प्रतिशत तक रिकवरी हो जाती है.

भिवानी: किसानों की खराब हुई कपास की फसल का सर्वे किया जा रहा है. ये सर्वे केंद्रीय कपास अनुसंधान संस्थान सिरसा की ओर से किया जा रहा है. सर्वे के बाद रिपोर्ट सरकार को सौंपी जाएगी, जिसके बाद किसानों को मुआवजा दिया जाएगा.

सर्वे कर रही एक टीम भिवानी भी पहुंची. जिनकी ओर से जिले के बागनवाला, झावरी, सरल, मिरान, देवावास, ईशरवाल, बुशान सहित कई गांवो में जाकर कपास की फसल का निरीक्षण किया गया. इस दौरान टीम ने संबंधित गांवों के किसानों के साथ विस्तार से बातचीत की और फसल के बचाव को लेकर दवाइयों के छिड़काव के बारे में भी जानकारी दी.

भिवानी में किसानों की खराब कपास की फसल का किया जा रहा है सर्वे

अनुसंधान संस्थान के संयुक्त निदेशक ने बताया कि सफेद मक्खी, पैराविल्ट और उखेडा जैसे रोगों के कारण किसानों की फसल खराब हो रही है. सफेद मक्खी के नियंत्रण के लिए ओबेरोन 240 मिलीलीटर प्रति एकड़ की दर से स्प्रे करें. सफेद मक्खी के कारण अगर पत्ते काले पड़ गए हैं तो कॉपर ऑक्सिक्लोराइड 600 ग्राम के साथ 12 ग्राम स्ट्रेप्टॉइक्लीन प्रति एकड़ की दर से छिड़काव करें.

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उन्होंने कहा कि इस वर्ष अगस्त में लगभग एक महीने के लंबे अंतराल के बाद बारिश हुई है, जब इस तरह से लंबे सूखे अंतराल पर बारिश होती है तो पौधे की जड़ों में ईथीलीन गैस बनती है, जिससे 2 से 3 दिन में पूरा पौधा सूख जाता है. उन्होंने बताया कि अगर किसान इस रोग के प्रारंभिक लक्ष्ण नजर आते ही 24 घंटे के अंदर-अंदर कोबाल्ट क्लोराइड दवा का एक ग्राम प्रति एकड़ 100 लीटर पानी में मिलाकर छिड़काव कर देंॉ तो 90 से 95 प्रतिशत तक रिकवरी हो जाती है.

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