भिवानीः रोहनात गांव को स्वतंत्रता सेनानी गांव घोषित करने के लिए धरना (Dharna in rohnat village) दे रहे ग्रामीण संतलाल की मौत को 4 दिन बीत गए हैं लेकिन अभी तक उनका अंतिम संस्कार ग्रामीणों ने नहीं (Santlal rites not perform in Rohnat) किया है. ग्रामीण मृतक के परिजनों को 1 करोड़ की आर्थिक सहायता व एक सदस्य को सरकारी नौकरी देने की मांग पर अड़े हैं. प्रशासनिक अधिकारियों और ग्रामीणों के बीच कई बार बातचीत भी हो चुकी है लेकिन कोई बात नहीं बनी है. धरना दे रहे 59 वर्षीय संतलाल की 17 अगस्त को हार्ट फेल होने से मौत हो गई थी. ग्रामीणों ने शव धरनास्थल पर ही डी-फ्रिज में रख रखा है.
रोहनात को स्वतंत्रता सेनानी गांव (Rohnat freedom fighter village) घोषित करने की मांग को लेकर 10 अगस्त से ग्रामीण धरना दे रहे हैं. ग्रामीण ने बताया कि अंग्रेजों की हुकूमत के खिलाफ सबसे पहले जब 1857 की क्रांति शुरू हुई तो गांव के लोगों ने जंग में बढ़ चढ़ कर भाग लिया. जिसके विरोध में अंग्रेजों ने गांव के लोगों को बुलडोजर से कुचला और क्रांतिकारियों को तोपों से उड़ाया गया. ब्रिटिश सरकार के जुल्म यहीं खत्म नहीं हुए और अंग्रेजों ने गांव की 20 हजार 656 बीगा जमीन को 8100 रूपये में नीलाम (Rohnat land auctioned by Britishers) कर दी. आज गांव में अंतिम संस्कार के लिए भी जमीन नहीं है.
संयुक्त पंजाब के समय तत्कालीन सीएम प्रताप सिंह कैरों ने रोहणात गांव को शहीद का दर्जा देने व साढ़े 12 एकड़ के 57 प्लॉट हिसार के बीहड़ में देने की घोषणा की थी लेकिन 1966 में हरियाणा बना और घोषणा अधूरी रह गई. आजादी के बाद कभी गांव में तिरंगा नहीं फहराया गया लेकिन सीएम मनोहर लाल साल 2018 में आयोजित शहीदी दिवस पर रोहणात गांव आए और तिरंगा फहरा कर गांव की मांगें पूरी करने क वादा किया. लेकिन मुख्यमंत्री के वादे भी चार साल से अधूरे हैं. अधूरे वादों को पूरा करवाने के लिए ग्रामीणों ने आज़ादी के अमृत महोत्सव में धरना शुरू किया है.
ग्रामीण सरकार से तीन मांगे कर रहे हैं जिनमें गांव को स्वतंत्रता सेनानी गांव घोषित करने, मुख्यमंत्री की घोषणाएं पूरी करने व अंग्रेजों द्वार निलाम की गई जमीनें वापिस देने का मांग है. ग्रामीणों ने कहा है कि जब तक उनकी मांगें पूरी नहीं होंगी तब तक न शव का अंतिम संस्कार होगा और न धरना उठाया जाएगा.