भिवानी: बीते बजट में केंद्र सरकार द्वारा एमएसएमई को लेकर किए गए प्रावधान किसी भी सूरत में एमएसएमई के हित में नहीं हैं. राष्ट्रीय जन उद्योग व्यापार संगठन के कार्यकारी अध्यक्ष अशोक बुवानीवाला ने यह बयान दिया है. उन्होंने कहा कि इन प्रावधानों से केवल सरकार को लाभ हो रहा है. जबकि लघु एवं सूक्ष्म उद्योग चलाने वाले उद्योगपतियों पर आर्थिक मार पड़ रही है. उन्होंने केंद्र सरकार से इन प्रावधानों में सुधार करने की मांग की है, जिससे छोटे व्यापारियों का काम धंधा अच्छी प्रकार से चल सके.
कार्यकारी अध्यक्ष अशोक बुवानीवाला ने कहा कि केंद्र सरकार ने बजट में एमएसएमई को फायदा देने के लिए कुछ प्रावधानों को शामिल किया था. उन्होंने कहा कि इन प्रावधानों के अनुसार अगर कोई व्यापारी एमएसएमई से सामान खरीदता है तो 31 मार्च से पहले उसे इसका भुगतान करना होगा. व्यापारी के ऐसा नहीं करने पर उसे उस वित्तीय वर्ष में छूट नहीं मिलेगी. इसके साथ ही व्यापारी ने जितनी राशि का सामान खरीदा होगा, आयकर विभाग उस राशि का भुगतान उसकी आय में जोड़ देगा.
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इसके बाद जब भी व्यापारी इसका भुगतान करेगा, तब उसको वह छूट उसके अगले वित्त वर्ष में मिल जाएगी. उन्होंने इन प्रावधानों पर सवाल उठाते हुए कहा कि इनसे एमएसएमई को कोई फायदा होता दिखाई नहीं दे रहा है लेकिन इससे सरकार के करों में बढ़ोतरी हो रही है. बुवानीवाला ने कहा कि यह कर भी काल्पनिक राशि (नोशनल अमाउंट) पर लगाया जा रहा है.
इन प्रावधानों के अनुसार पूरी बकाया राशि को आय मानकर उस पर इनकम टैक्स लगाया जाएगा जो कि व्यापारियों के साथ अन्याय है. उन्होंने व्यापारियों के हित में केंद्र सरकार से एमएसएमई से व्यापार करने में आ रही परेशानियों पर गंभीरता दिखाने की बात कही है. उन्होंने कहा कि वोकल फॉर लोकल की केवल बातें नहीं होनी चाहिए बल्कि स्थानीय छोटे उद्योगों को सरकारी मदद मिलनी चाहिए, जिससे वे आगे बढ़ सके.
इसके लिए सरकार को लघु एवं सूक्ष्म उद्योगों के लिए तलवार की जगह ढाल का काम करना होगा. अगर सरकार ही इन छोटे उद्योगों पर तलवार बनकर काम करेगी तो फिर छोटे उद्योग धीरे- धीरे बंद होते चले जाएंगे. उन्होंने सरकार से बजट के प्रावधानों पर एक बार फिर मंथन कर उचित बदलाव करने की मांग की, जिससे छोटे उद्योगपतियों को राहत और मदद मिल सके.