भिवानी: फर्जी दस्तावेजों के सहारे बच्चों को दाखिला दिलाने वालों की अब खैर नहीं होगी, क्योंकि अब आर्थिक रूप से पिछड़ेपन के अंतर्गत निजी स्कूलों में नियम 134ए के तहत अपने बच्चों को दाखिला दिलाने वालों के दस्तावेजों की जांच होगी.
134-ए में अनियमितताओं के बाद लिया गया बड़ा फैसला
स्वास्थ्य शिक्षा सहयोग संगठन के प्रदेश अध्यक्ष बृजपाल परमार ने नियम 134ए में गरीब बच्चों के दाखिला के दौरान अनियमितताएं बरते जाने संबंधी शिकायतें मौलिक शिक्षा निदेशालय को दी थी. शिकायत में ये भी हवाला दिया गया था कि कई अभिभावकों ने तो फर्जी दस्तावेजों के सहारे बच्चों को नियम 134ए के तहत दाखिला दिलाया दिया, जिसकी फिजिकल वेरिफिकेशन कराए जाने की भी मांग उठाई गई थी.
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मौलक शिक्षा निदेशालय द्वारा वर्तमान शैक्षशिक सत्र 2019-20 के तहत करीब सवा लाख आर्थिक पिछड़ेपन के अंतर्गत आने वाले अभिभावकों के बच्चों को दाखिला 134ए के तहत दिया हुआ है. जबकि प्रदेशभर में करीब पौने तीन लाख वैकेंसी थी, मगर सभी सीटों पर गरीब बच्चों के दाखिले नहीं हो पाए थे.
जिन सीटों पर निजी स्कूलों में दाखिले किए गए उनमें भी कुछ अभिभावकों ने फर्जी यानी झूठी जानकारी देकर बच्चों को निजी स्कूलों में दाखिला दिला दिया. स्वास्थ्य शिक्षा सहयोग संगठन के समक्ष ऐसी कई शिकायतें आई, जिसके बाद इस संबंध में मौलिक शिक्षा निदेशालय को शिकायतें भेजकर अवगत कराया गया.
अब अभिभावकों द्वारा दिए गए दस्तावेजों की होगी जांच
अब मौलिक शिक्षा निदेशालय ने प्रदेश के सभी जिला शिक्षा अधिकारियों और जिला मौलिक शिक्षा अधिकारियों को पत्र जारी कर निजी स्कूलों में नियम 134ए के तहत दाखिला पाने वाले बच्चों के अभिभावकों द्वारा उपलब्ध कराए गए दस्तावेजों की जांच के आदेश दिए हैं.
'गरीब का हक किसी को मारने नहीं देंगे'
शिकायतकर्ता बृजपाल परमार ने बताया कि उनका संगठन गरीब बच्चों की शिक्षा और उनका हक दिलाने के लिए काम कर रहा है. किसी भी अपात्र द्वारा पात्र बच्चे की हकमारी नहीं करने दी जाएगी.