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प्रदूषण फैलाने वाली पराली करेगी किसानों का बेड़ा पार! जानें क्या है सरकार का मास्टर प्लान

भिवानी कृषि विज्ञान केंद्र में किसानों को पराली के सही निपटान के बारे में जानकारी दी गई. इसके लिए आधुनिक यंत्रों को किसानों के बीच लाया गया है. आधुनिक कृषि यंत्रों का प्रयोग करके पराली को जलाने की बजाए इसका दूसरे रूप में इस्तेमाल किया जा सकता है.

हरियाणा के किसानों के लिए किसानों के लिए वरदान बनेगी पराली
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Published : Nov 24, 2019, 3:09 PM IST

भिवानीः दिल्ली एनसीआर क्षेत्र में पराली को प्रदूषण फैलाने का सबसे बड़ा कारण माना जा रहा है, लेकिन पराली का सही उपयोग खाद के रूप में भी किया जा सकता है. इसी विषय को लेकर भिवानी कृषि विज्ञान केंद्र में किसानों को पराली के सही निपटान के बारे प्रशिक्षित किया गया और किसानों को पराली निपटान करने वाले यंत्रों का डैमो भी दिया गया. किसानों को बताया गया कि पराली जलाने से खेतों की उर्वरता शक्ति कम होती हैं, जबकि आधुनिक कृषि यंत्रों का प्रयोग करके पराली को जलाने की बजाए इसका खाद के रूप में प्रयोग किया जा सकता हैं.

ये हैं 3 आधुनिक कृषि यंत्र
कृषि विभाग के अधिकारी सहायक कृषि अभियंता नसीब धनखड़ और कृषि यंत्रों की एजेंसी से जुड़े विनीत गर्ग तथा धर्मेंद्र ने बताया कि मलचर, एमबी प्लाओ व एमबी सीडर तीन ऐसे आधुनिक कृषि यंत्र है, जो पराली को बारीक काटकर मिट्टी में दबाने का काम करते हैं. नीचे की उपजाऊ मिट्टी को ऊपर लाने के साथ ही पराली वाले खेत में बगैर किसी दिक्कत के अगली फसल की बिजाई करने मे सक्षम हैं.

प्रदूषण फैलाने वाली पराली करेगी किसानों का बेड़ा पार!

800 रुपये प्रति एकड़ किराया
इन यंत्रों के प्रयोग से पराली प्रदूषण नहीं, बल्कि उपजाऊ खाद के रूप में परिवर्तित हो जाएगी. पराली को जलाने की आवश्यकता नहीं रहेंगी, इसके लिए कोई भी किसान जो इन यंत्रों का प्रयोग करना चाहता है, वो कृषि विभाग द्वारा बनाए गए कस्टमर हायरिंग सैंटर से 800 से एक हजार रूपये प्रति एकड़ के हिसाब से इन यंत्रों को किराये पर लेकर पराली को खाद में परिवर्तित करवा सकता हैं.

parali into compost in bhiwani
आधुनिक मशीनें पराली से बनाएंगी खाद

मोबाइल ऐप से जुड़े कस्टमर हायरिंग
उन्होंने बताया कि केंद्र सरकार द्वारा ऐसे कृषि यंत्रों को आम किसानों तक पहुंचाने के लिए कस्टमर हायरिंग सैंटर बनाए जा रहे हैं. जिनका संचालन किसान समितियों द्वारा किया जा रहा हैं. ये यंत्र इन किसान समितियों को 80 प्रतिशत तक सबिसडी पर उपलब्ध करवाए जा रहे हैं. छोटे किसानों तक इन यंत्रों की पहुंच हो सकें, इसके लिए कस्टमर हायरिंग सैंटर को मोबाईल ऐप से जोड़ा गया हैं.

ये भी पढ़ेंः मंडी में धान की खरीद को लेकर परेशान किसान, अधिकारी झाड़ रहे पल्ला

11 कस्टमर हायरिंग सेंटर
एक कस्टमर हायरिंग को क्षेत्र भी 50 किलोमीटर तक निर्धारित किया गया हैं. अब कोई भी किसान अपने नजदीकी कस्टमर हायरिंग सैंटर से पराली निपटान करने वाले यंत्रों को किराये पर मंगवाकर उनका प्रयोग कर सकता हैं. पिछले साल भिवानी में मात्र तीन कस्टमर हायरिंग सैंटर थे, जबकि इस बार 11 कस्टमर हायरिंग सैंटर बनाए गए गए हैं. विभाग द्वारा पिछले दो दिनों के दौरान 900 के लगभग किसानों को इन सैंटरों से जोड़ा जा चुका हैं.

parali into compost in bhiwani
अब पराली जलाने को नहीं मजबूर होंगे किसान

किसानों में खुशी
किसान अजय कुमार ने बताया कि आधुनिक पराली निपटान मशीनों से अब उन्हें अपनी पराली को जलाने की आवश्यकता नहीं पड़ेगी. अब वे अपनी पराली को खाद के रूप में इस्तेमाल करने में सक्षम हो पाएंगे. प्रशासन के इस फैसले से पराली से खाद बनाने से उनके खेल और उपजाऊ होंगे जिसका फायदा सबसे ज्यादा किसानों का है. उन्होंने कहा कि किसान जानबूझकर पराली नहीं जलाता. ये तो उसकी मजबूरी होती है लेकिन अब जब प्रशासन ने नया रास्ता ढूंढ निकाला है तो ऐसे में किसान सबसे ज्यादा खुश है.

भिवानीः दिल्ली एनसीआर क्षेत्र में पराली को प्रदूषण फैलाने का सबसे बड़ा कारण माना जा रहा है, लेकिन पराली का सही उपयोग खाद के रूप में भी किया जा सकता है. इसी विषय को लेकर भिवानी कृषि विज्ञान केंद्र में किसानों को पराली के सही निपटान के बारे प्रशिक्षित किया गया और किसानों को पराली निपटान करने वाले यंत्रों का डैमो भी दिया गया. किसानों को बताया गया कि पराली जलाने से खेतों की उर्वरता शक्ति कम होती हैं, जबकि आधुनिक कृषि यंत्रों का प्रयोग करके पराली को जलाने की बजाए इसका खाद के रूप में प्रयोग किया जा सकता हैं.

ये हैं 3 आधुनिक कृषि यंत्र
कृषि विभाग के अधिकारी सहायक कृषि अभियंता नसीब धनखड़ और कृषि यंत्रों की एजेंसी से जुड़े विनीत गर्ग तथा धर्मेंद्र ने बताया कि मलचर, एमबी प्लाओ व एमबी सीडर तीन ऐसे आधुनिक कृषि यंत्र है, जो पराली को बारीक काटकर मिट्टी में दबाने का काम करते हैं. नीचे की उपजाऊ मिट्टी को ऊपर लाने के साथ ही पराली वाले खेत में बगैर किसी दिक्कत के अगली फसल की बिजाई करने मे सक्षम हैं.

प्रदूषण फैलाने वाली पराली करेगी किसानों का बेड़ा पार!

800 रुपये प्रति एकड़ किराया
इन यंत्रों के प्रयोग से पराली प्रदूषण नहीं, बल्कि उपजाऊ खाद के रूप में परिवर्तित हो जाएगी. पराली को जलाने की आवश्यकता नहीं रहेंगी, इसके लिए कोई भी किसान जो इन यंत्रों का प्रयोग करना चाहता है, वो कृषि विभाग द्वारा बनाए गए कस्टमर हायरिंग सैंटर से 800 से एक हजार रूपये प्रति एकड़ के हिसाब से इन यंत्रों को किराये पर लेकर पराली को खाद में परिवर्तित करवा सकता हैं.

parali into compost in bhiwani
आधुनिक मशीनें पराली से बनाएंगी खाद

मोबाइल ऐप से जुड़े कस्टमर हायरिंग
उन्होंने बताया कि केंद्र सरकार द्वारा ऐसे कृषि यंत्रों को आम किसानों तक पहुंचाने के लिए कस्टमर हायरिंग सैंटर बनाए जा रहे हैं. जिनका संचालन किसान समितियों द्वारा किया जा रहा हैं. ये यंत्र इन किसान समितियों को 80 प्रतिशत तक सबिसडी पर उपलब्ध करवाए जा रहे हैं. छोटे किसानों तक इन यंत्रों की पहुंच हो सकें, इसके लिए कस्टमर हायरिंग सैंटर को मोबाईल ऐप से जोड़ा गया हैं.

ये भी पढ़ेंः मंडी में धान की खरीद को लेकर परेशान किसान, अधिकारी झाड़ रहे पल्ला

11 कस्टमर हायरिंग सेंटर
एक कस्टमर हायरिंग को क्षेत्र भी 50 किलोमीटर तक निर्धारित किया गया हैं. अब कोई भी किसान अपने नजदीकी कस्टमर हायरिंग सैंटर से पराली निपटान करने वाले यंत्रों को किराये पर मंगवाकर उनका प्रयोग कर सकता हैं. पिछले साल भिवानी में मात्र तीन कस्टमर हायरिंग सैंटर थे, जबकि इस बार 11 कस्टमर हायरिंग सैंटर बनाए गए गए हैं. विभाग द्वारा पिछले दो दिनों के दौरान 900 के लगभग किसानों को इन सैंटरों से जोड़ा जा चुका हैं.

parali into compost in bhiwani
अब पराली जलाने को नहीं मजबूर होंगे किसान

किसानों में खुशी
किसान अजय कुमार ने बताया कि आधुनिक पराली निपटान मशीनों से अब उन्हें अपनी पराली को जलाने की आवश्यकता नहीं पड़ेगी. अब वे अपनी पराली को खाद के रूप में इस्तेमाल करने में सक्षम हो पाएंगे. प्रशासन के इस फैसले से पराली से खाद बनाने से उनके खेल और उपजाऊ होंगे जिसका फायदा सबसे ज्यादा किसानों का है. उन्होंने कहा कि किसान जानबूझकर पराली नहीं जलाता. ये तो उसकी मजबूरी होती है लेकिन अब जब प्रशासन ने नया रास्ता ढूंढ निकाला है तो ऐसे में किसान सबसे ज्यादा खुश है.

Intro:रिपोर्ट इन्द्रवेश भिवानी
दिनांक 14 नवंबर।
अब पराली नहंी फैलाएंगी प्रदूषण, बनाएगी खाद
केंद्र सरकार की मदद से कृषि विभाग हुआ सक्रिय
आधुनिक कृषि यंत्र पराली को काटकर जमीन में दबा बनाएंगी खाद
किसान 800 से हजार रूपये में किराए पर ले रहे हैं कृषि यंत्र
कस्टमर हायरिंग सैंटर में 80 प्रतिशत तक सब्सिडी पर उपलब्ध हो रही है मशीनें : कृषि वैज्ञानिक
आज दिल्ली एनसीआर क्षेत्र में भले ही पराली प्रदूषण फैलाने का सबसे बड़ा कारण हो, परन्तु पराली का सही उपयोग खाद के रूप में किया जा सकता है। इसी विषय को लेकर भिवानी कृषि विज्ञान केंद्र में किसानों को पराली के सही निपटान के बारे प्रशिक्षित किया गया तथा किसानों को पराली निपटान करने वाले यंत्रों का डैमो भी दिया गया। किसानों को बताया गया कि पराली जलाने से खेतों की उर्वरता शक्ति कम होती हैं, जबकि आधुनिक कृषि यंत्रों का प्रयोग करके पराली को जलाने की बजाए इसका खाद के रूप में प्रयोग किया जा सकता हैं।
इस बारे में जानकारी देते हुए कृषि विभाग के अधिकारी सहायक कृषि अभियंता नसीब धनखड़ व कृषि यंत्रों की एजेंसी से जुड़े विनीत गर्ग तथा धर्मेेंद्र ने बताया कि मलचर, एमबी प्लाओ व एमबी सीडर तीन ऐसे आधुनिक कृषि यंत्र है, जो पराली को बारीक काटकर मिट्टी में दबाने का काम करते हैं तथा नीचे की उपजाऊ मिट्टी को ऊपर लाने के साथ ही पराली वाले खेत में बगैर किसी दिक्कत के अगली फसल की बिजाई करने मे सक्षम हैं। इन यंत्रों के प्रयोग से पराली प्रदूषण नहीं, बल्कि उपजाऊ खाद के रूप में परिवर्तित हो जाएगी तथा पराली को जलाने की आवश्यकता नहीं रहेंगी, इसके लिए कोई भी किसान जो इन यंत्रों का प्रयोग करना चाहता है, वह कृषि विभाग द्वारा बनाए गए कस्मर हायरिंग सैंटर से 800 से एक हजार रूपये प्रति एकड़ के हिसाब से इन यंत्रों को किराये पर लेकर पराली को खाद में परिवर्तित करवा सकता हैं।
Body:उन्होंने बताया कि केंद्र सरकार द्वारा ऐसे कृषि यंत्रों को आम किसानों तक पहुंचाने के लिए कस्टमर हायरिंग सैंटर बनाए जा रहे हैं। जिनका संचालन किसान समितियोंं द्वारा किया जा रहा हैं। ये यंत्र इन किसान समितियों को 80 प्रतिशत तक सबिसड़ी पर उपलब्ध करवाए जा रहे हैं। छोटे किसानों तक इन यंत्रों की पहुंच हो सकें, इसके लिए कस्टमर हायरिंग सैंटर को मोबाईल ऐप से जोड़ा गया हैं तथा एक कस्टमर हायरिंग को क्षेत्र भी 50 किलोमीटर तक निर्धारित किया गया हैं। अब कोई भी किसान अपने नजदीकी कस्टमर हायरिंग सैंटर से पराली निपटान करने वाले यंत्रों को किराये पर मंगवाकर उनका प्रयोग कर सकता हैं। पिछले वर्ष भिवानी मेंमात्र तीन कस्टमर हायरिंग सैंटर थे, जबकि इस बार 11 कस्टमर हायरिंग सैंटर बनाए गए गए हैं। विभाग द्वारा पिछले दो दिनों के दौरान 900 के लगभग किसानों को इन सैंटरों से जोड़ा जा चुका हैं।
Conclusion: किसान अजय कुमार ने बताया कि आधुनिक पराली निपटान मशीनों से अब उन्हेअपनी पराली को जलाने की आवश्यकता नही पड़ेगी, बल्कि वे अपनी पराली को अब खाद के रूप में इस्तेमाल करने में सक्षम हो पाएंगे।
बाईट : अजय कुमार किसान, कृषि यंत्रों की एजेंसी से जुड़े विनीत गर्ग तथा धर्मेेंद्र व सहायक कृषि अभियंता नसीब धनखड़।
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