भिवानीः दिल्ली एनसीआर क्षेत्र में पराली को प्रदूषण फैलाने का सबसे बड़ा कारण माना जा रहा है, लेकिन पराली का सही उपयोग खाद के रूप में भी किया जा सकता है. इसी विषय को लेकर भिवानी कृषि विज्ञान केंद्र में किसानों को पराली के सही निपटान के बारे प्रशिक्षित किया गया और किसानों को पराली निपटान करने वाले यंत्रों का डैमो भी दिया गया. किसानों को बताया गया कि पराली जलाने से खेतों की उर्वरता शक्ति कम होती हैं, जबकि आधुनिक कृषि यंत्रों का प्रयोग करके पराली को जलाने की बजाए इसका खाद के रूप में प्रयोग किया जा सकता हैं.
ये हैं 3 आधुनिक कृषि यंत्र
कृषि विभाग के अधिकारी सहायक कृषि अभियंता नसीब धनखड़ और कृषि यंत्रों की एजेंसी से जुड़े विनीत गर्ग तथा धर्मेंद्र ने बताया कि मलचर, एमबी प्लाओ व एमबी सीडर तीन ऐसे आधुनिक कृषि यंत्र है, जो पराली को बारीक काटकर मिट्टी में दबाने का काम करते हैं. नीचे की उपजाऊ मिट्टी को ऊपर लाने के साथ ही पराली वाले खेत में बगैर किसी दिक्कत के अगली फसल की बिजाई करने मे सक्षम हैं.
800 रुपये प्रति एकड़ किराया
इन यंत्रों के प्रयोग से पराली प्रदूषण नहीं, बल्कि उपजाऊ खाद के रूप में परिवर्तित हो जाएगी. पराली को जलाने की आवश्यकता नहीं रहेंगी, इसके लिए कोई भी किसान जो इन यंत्रों का प्रयोग करना चाहता है, वो कृषि विभाग द्वारा बनाए गए कस्टमर हायरिंग सैंटर से 800 से एक हजार रूपये प्रति एकड़ के हिसाब से इन यंत्रों को किराये पर लेकर पराली को खाद में परिवर्तित करवा सकता हैं.
मोबाइल ऐप से जुड़े कस्टमर हायरिंग
उन्होंने बताया कि केंद्र सरकार द्वारा ऐसे कृषि यंत्रों को आम किसानों तक पहुंचाने के लिए कस्टमर हायरिंग सैंटर बनाए जा रहे हैं. जिनका संचालन किसान समितियों द्वारा किया जा रहा हैं. ये यंत्र इन किसान समितियों को 80 प्रतिशत तक सबिसडी पर उपलब्ध करवाए जा रहे हैं. छोटे किसानों तक इन यंत्रों की पहुंच हो सकें, इसके लिए कस्टमर हायरिंग सैंटर को मोबाईल ऐप से जोड़ा गया हैं.
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11 कस्टमर हायरिंग सेंटर
एक कस्टमर हायरिंग को क्षेत्र भी 50 किलोमीटर तक निर्धारित किया गया हैं. अब कोई भी किसान अपने नजदीकी कस्टमर हायरिंग सैंटर से पराली निपटान करने वाले यंत्रों को किराये पर मंगवाकर उनका प्रयोग कर सकता हैं. पिछले साल भिवानी में मात्र तीन कस्टमर हायरिंग सैंटर थे, जबकि इस बार 11 कस्टमर हायरिंग सैंटर बनाए गए गए हैं. विभाग द्वारा पिछले दो दिनों के दौरान 900 के लगभग किसानों को इन सैंटरों से जोड़ा जा चुका हैं.
किसानों में खुशी
किसान अजय कुमार ने बताया कि आधुनिक पराली निपटान मशीनों से अब उन्हें अपनी पराली को जलाने की आवश्यकता नहीं पड़ेगी. अब वे अपनी पराली को खाद के रूप में इस्तेमाल करने में सक्षम हो पाएंगे. प्रशासन के इस फैसले से पराली से खाद बनाने से उनके खेल और उपजाऊ होंगे जिसका फायदा सबसे ज्यादा किसानों का है. उन्होंने कहा कि किसान जानबूझकर पराली नहीं जलाता. ये तो उसकी मजबूरी होती है लेकिन अब जब प्रशासन ने नया रास्ता ढूंढ निकाला है तो ऐसे में किसान सबसे ज्यादा खुश है.