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भिवानी में महिला दिवस पर दिखी अनुठी पहल, बुजुर्ग महिलाओं को खेला फुटबॉल मैच

मिनी ब्राजील कहे जाने वाले जिले के अलखपुरा गांव में अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस पर अनुठी पहल दिखाई दी. यहां की फुटबॉल कोच ने गांव की बेटियों की मां व दादियों को फुटबॉल मैदान में उतारा और फिर मैदान में धमाल मचाते हुए दादियों ने भी एक के बाद एक गोल दागे.

बुजु्र्ग महिलाओं ने खेला फुटबॉल
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Published : Mar 9, 2019, 9:26 AM IST

भिवानी: अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस पर पूरी दुनिया में अलग-अलग तरीके से इस दिन को मनाया गया. भारत में भी कई जगह पिंक मैराथन जैसी पहल की गई. लेकिन भिवानी में इस दिवस को सबसे अनुठे तरीके से मनाया गया. अलखपुरा गांव में एक फुटबॉल मैच का आयोजन किया और गांव की बुजुर्ग महिलाओं को मैच में खिलाया गया. महिलाओं को तैयार करने के लिए पहले रोमांचक खेल करवाए और बॉल का बेलेंस बनवाया गया, फिर थकान उतारने के लिए नाच-गाना करवाया गया.

बता दें कि 8 मार्च को अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस होता है और महिला दिवस को यादगार बनाने के लिए गांव अलखपुरा में इस दिवस को सबसे अनुठे रूप से मनाया गया. गौरतलब है कि इस गांव के हर घर की बेटी फुटबॉल खेलती है. ये बेटियां अंतराष्ट्रीय स्तर पर अपनी पहचान बनाकर कई बार देश का नाम रोशन कर चुकी हैं.

इस अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस को अनुठे रूप से मनाने का बीडा गांव की फुटबॉल कोच सोनिका बिजारणिया ने उठाया. अपनी बेटियों व पौतियों के मैदान में उतरी इन महिलाओं ने बताया कि आज उन्हे उनका बचपन याद आ गया. कुछ महिलाओं ने बताया कि उन्हे लगता था कि बेटियां बड़ी आसानी से खेलती है और मौज मारती है, लेकिन आज पता चला कि कितनी मेहनत करनी पड़ती है.कुछ महिलाओं ने बताया कि उन्हे उनके मां-बाप ने कभी खेलने का मौका नहीं दिया, लेकिन अब वो अपनी बेटियों व पौतियों को इससे वंचित नहीं रहने देंगी. वहीं कुछ महिलाओं ने हर मां-बाप से अपील की कि वो अपनी बेटियों को खिलाएं और आगे बढाएं.

बुजु्र्ग महिलाओं ने खेला फुटबॉल

वही कोच सोनिका बिजराणिया ने बताया कि अलखपुरा गांव के हर घर की बेटी यहां फुटबॉल खेलती है. बावजूद इसके अक्सर मां-बाप अपनी बेटियों की बजाय बेटों के खानपान, खेल व पढ़ाई पर ज्यादा ध्याद देते हैं. उन्होंने बताया कि इस प्रतियोगिता का उद्देश्य उनकी बेटियों की हिम्मत और मेहनत को आगे बढाने का था.

भिवानी: अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस पर पूरी दुनिया में अलग-अलग तरीके से इस दिन को मनाया गया. भारत में भी कई जगह पिंक मैराथन जैसी पहल की गई. लेकिन भिवानी में इस दिवस को सबसे अनुठे तरीके से मनाया गया. अलखपुरा गांव में एक फुटबॉल मैच का आयोजन किया और गांव की बुजुर्ग महिलाओं को मैच में खिलाया गया. महिलाओं को तैयार करने के लिए पहले रोमांचक खेल करवाए और बॉल का बेलेंस बनवाया गया, फिर थकान उतारने के लिए नाच-गाना करवाया गया.

बता दें कि 8 मार्च को अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस होता है और महिला दिवस को यादगार बनाने के लिए गांव अलखपुरा में इस दिवस को सबसे अनुठे रूप से मनाया गया. गौरतलब है कि इस गांव के हर घर की बेटी फुटबॉल खेलती है. ये बेटियां अंतराष्ट्रीय स्तर पर अपनी पहचान बनाकर कई बार देश का नाम रोशन कर चुकी हैं.

इस अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस को अनुठे रूप से मनाने का बीडा गांव की फुटबॉल कोच सोनिका बिजारणिया ने उठाया. अपनी बेटियों व पौतियों के मैदान में उतरी इन महिलाओं ने बताया कि आज उन्हे उनका बचपन याद आ गया. कुछ महिलाओं ने बताया कि उन्हे लगता था कि बेटियां बड़ी आसानी से खेलती है और मौज मारती है, लेकिन आज पता चला कि कितनी मेहनत करनी पड़ती है.कुछ महिलाओं ने बताया कि उन्हे उनके मां-बाप ने कभी खेलने का मौका नहीं दिया, लेकिन अब वो अपनी बेटियों व पौतियों को इससे वंचित नहीं रहने देंगी. वहीं कुछ महिलाओं ने हर मां-बाप से अपील की कि वो अपनी बेटियों को खिलाएं और आगे बढाएं.

बुजु्र्ग महिलाओं ने खेला फुटबॉल

वही कोच सोनिका बिजराणिया ने बताया कि अलखपुरा गांव के हर घर की बेटी यहां फुटबॉल खेलती है. बावजूद इसके अक्सर मां-बाप अपनी बेटियों की बजाय बेटों के खानपान, खेल व पढ़ाई पर ज्यादा ध्याद देते हैं. उन्होंने बताया कि इस प्रतियोगिता का उद्देश्य उनकी बेटियों की हिम्मत और मेहनत को आगे बढाने का था.

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FILE NAME : HAR_BHIWANI_INDERVES_ 08MAR_FOOTBALL
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रिपोर्ट इन्द्रवेश दुहन भिवानी
दिनांक 8 मार्च।
मिनी ब्राजील की राष्ट्रीय व अंतर्राष्ट्रीय फुटबॉल खिलाडिय़ों की दादियों ने दागे गोल
चूल्हे चौके तक सीमित मां व दादियों ने मैदान में मचाया धमाल
बचपन में हमें भी खेलने का मौका मिलता तो होती कामयाब : महिलाएं
केवल बेटों को दुध-घी देने वाली महिलाएं समझे बेटियों की भी अहमियत : कोच
     मिनी ब्राजील कहे जाने वाले भिवानी के अलखपुरा गांव में अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस पर अनुठी अलख जगाई गई। यहां की फुटबॉल कोच ने गांव की बेटियों की मां व दादियों को फुटबॉल मैदान में उतारा गया। मैदान में धमाल मचाते हुए दादियों ने भी एक के बाद एक गोल दागे। बुजुर्ग महिलाओं को मैच के लिए तैयार करने के लिए पहले रोमांचक खेल करवाए और बॉल का बेलेंस बनवाया। फिर थकान उतारने के लिए नाच-गाना करवाया गया।
    बता दें कि 8 मार्च को अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस होता है। महिला दिवस को यादगार बनाने के लिए गांव अलखपुरा में अनुठे रूप से मनाया गया। गौरतलब है कि इस गांव के हर घर की हर बेटी फुटबॉल खेलती। ये बेटियां अंतराष्ट्रीय स्तर पर अपनी पहचान बनाकर कई बार देश का नाम रोशन कर चुकी हैं  इस अंतराष्ट्रीय महिला दिवस को अनुठे रूप से मनाने की अलख जताते हुए अलखपुरा गांव में बतौर फुटबॉल कोच सोनिका बिजारणिया ने ये बीड़ा उठाया। इसके लिए यहां खेलने वाली बेटियों की मां व दादियों को ना केवल मैदान तक लाया गया, बल्कि उन्हे अन्य खेलों के साथ फुटबॉल भी खिलाया गया। 
    अपनी बेटियों व पौतियों के मैदान में उतरी इन महिलाओं ने बताया कि आज उन्हे उनका बचपन याद आ गया। कुछ महिलाओं ने बताया कि उन्हे लगता थी कि बेटियां बड़ी आसानी से खेलती है और मौज मारती है, लेकिन आज पता चला कि कितनी मेहनत करनी पड़ती है और उपर से फिर हार का भी डर रहता है। कुछ महिलाओं ने बताया कि उन्हे उनके मां-बाप ने कभी खेलने का मौका नहीं दिया, लेकिन अब वो अपनी बेटियों व पौतियों को इससे वंचित नहीं रहने देंगी। वहीं कुछ महिलाओं ने हर मां-बाप से अपील की कि वो अपनी बेटियों को खिलाएं और आगे बढाएं। इस दौरान इन महिलाओं के चेहरों पर खेलने की खुशी खुब झलक रही थी।
    वही कोच सोनिका बिजराणिया ने बताया कि अलखपुरा गांव के हर घर की बेटी यहां फुटबॉल खेलती है। बावजूद इसके अक्सर मां-बाप अपनी बेटियों की बजाय बेटों के खानपान, खेल व पढ़ाई पर ज्यादा ध्याद देते हैं। उन्होंने बताया कि इस प्रतियोगिता का उद्देश्य उनकी बेटियों की हिम्मत व मेहनत दिखाने और उन्हे आगे बढाने के लिए किया गया था।

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