भिवानी: फसलों में परंपरागत यूरिया की जगह नैन यूरिया (Nano Urea in Agriculture) के इस्तेमाल को लेकर हरियाणा सरकार जागरुकता कार्यक्रम चला रही है. इसी के तहत इफको के जरिए सरसों की फसल पर नैनो यूरिया लिक्विड का छिड़काव करवाया जा रहा है. इस बारे में इफको के उप निदेशक डॉक्टर आत्माराम गोदारा ने इफको द्वारा नैनो यूरिया की खोज को एक क्रांतिकारी कदम बताया. उन्होंने बताया कि इसका प्रयोग फसलों पर स्प्रे के रूप में किया जाता है, इसलिए इसकी प्रयोग क्षमता परंपरागत यूरिया से अधिक है. पौधे, पत्तों व तने के माध्यम से इसको अवशोषित कर लेते हैं.
गोदारा ने कहा कि यूरिया की तरह नैनो यूरिया भूमिगत जल, जमीन व वातावरण को प्रदूषित नहीं करता है. उन्होंने किसानों को सही मात्रा में सही समय पर इसका प्रयोग करने की सलाह दी. उन्होंने मिट्टी परीक्षण आधार पर उर्वरक प्रयोग करने और जमीन का स्वास्थ्य सही बनाए रखने के लिए देशी खाद जैसे गोबर, हरी खाद, जैविक खाद, वर्मी कंपोस्ट आदि का प्रयोग करने का सुझाव दिया. उन्होंने बताया कि इफको एवं केमकौ के सहयोग से 500 एकड़ सरसों में अनुदानित दरों पर नैनो यूरिया तरल का छिड़काव करवाया जाएगा.
किसान से एक एकड़ मेंं नैनो यूरिया तरल के ड्रोन से छिड़काव के 250 रुपए वसूल किए जाएंगे, जबकि कुल लागत 575 रुपए होती है. बाकी का खर्चा इफको व कैमको द्वारा वहन किया जाएगा. इस दौरान इफको के मुख्य क्षेत्र प्रबंधक कृष्ण कुमार राणा ने बताया कि नैनो यूरिया आधुनिक खेती की आवश्यकता है. 500 एमएल नैनो यूरिया की एक बोतल 45 किलोग्राम यूरिया के बोरे के बराबर कार्य करती है. इसकी प्रयोग क्षमता 80 से 90 प्रतिशत तक है, जबकि यूरिया की प्रयोग क्षमता 30 से 35 प्रतिशत तक.
भारतीय किसान उर्वरक सहकारी संघ (इफको) पारंपरिक यूरिया के बजाय एक सस्ता और बेहतरीन विकल्प नैनो यूरिया (nano urea in agriculture) अब किसानों के लिए लेकर आया है. नैनो यूरिया लिक्विड होता है और बोतल में आता है. नैनो यूरिया बोरी वाले यूरिया से बेहतर, सस्ता और मिट्टी के लिए भी अच्छा होता है. एक कट्टे की जगह आधा लीटर नैनो यूरिया का बोतल काफी होता है.
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