भिवानी: हरियाणा में मिड मील वर्कर्स लगातार अपनी मांगों को लेकर प्रदर्शन कर रहे हैं. भिवानी में सेंटर ऑफ इंडियन ट्रेड यूनियन (सीटू) और यूनियन नेताओं का कहना है कि अगर उनकी मां गे नहीं मानी जाती हैं तो वह 5 अप्रेल को दिल्ली मजदूर किसान संघर्ष रैली तहसीलदार को मुख्यमंत्री के नाम नोटिस देने को मजबूर होंगे.
वर्कर्स की क्या मांगे हैं: मिड डे मील वर्कर्स यूनियन हरियाणा के आह्वान पर 4 माह से बकाया मानदेय, न्यूनतम वेतन 26 हजार रुपये लागू करने, मिड डे मील वर्कर्स को पक्का करने, पीएफ, ईएसआई, बोनस लागू करने, रिटारमेंट की उम्र 65 वर्ष करने और रिटारमेंट बेनीफिट लागू करने सहित 12 महीने का मानदेय लागू करने आदि मांगे हैं. जिसको लेकर आज भिवानी में स्थानीय सुरेन्द्र मेमोरियल पार्क से उपायुक्त कार्यालय तक जोरदार प्रदर्शन किया.
सेंटर ऑफ इंडियन ट्रेड यूनियन (सीटू) ने कहा कि समाज के सबसे गरीब हिस्से से आने वाले मिड-डे मील वर्कर को कमर तोड़ महंगाई होने के बावजूद 7 हजार रुपये मानदेय में गुजारा करना पड़ रहा है. वो भी 6-6 माह तक की वेतन ना मिले तो इनकी क्या हालत होती होगी. इसके बावजूद भी जन विरोधी भाजपा सरकार इन गरीब महिलाओं का शोषण कर रही है. 45वें श्रम सम्मेलन की सिफारिशों को लागू नहीं किया जा रहा है जो मिड डे मील वर्कर्स के कर्मचारी बनाने, न्यूनतम वेतन लागू करने और समाजिक सुरक्षा प्रदान करने की बात करता है.
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सेंटर ऑफ इंडियन ट्रेड यूनियन ने कहा कि एक तरफ कुपोषण बढ़ रहा है. मोदी सरकार ने बजट में परियोजनाओं के बजट में कोई बढ़ोत्तरी नहीं की है बल्कि खाद्य सब्सडी में कटौती की है, जिससे साफ पता चलता है कि यह मजदूर, कर्मचारी व आम जनता विरोधी बजट है.