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हरियाणा शिक्षा बोर्ड को खत्म कर सीबीएसई से परीक्षा कराये जाने की उठी मांग

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Published : Oct 12, 2020, 12:28 PM IST

हरियाणा में शिक्षा बोर्ड को खत्म कर दिल्ली की तर्ज पर सीबीएसई बोर्ड से परीक्षा करवाए जाने की मांग उठी है. फेडरेशन ऑफ प्राइवेट स्कूल वेलफेयर एसोसिएशन की ओर से ये मांग की गई है.

haryana education board
haryana education board

भिवानी: फेडरेशन ऑफ प्राइवेट स्कूल वेलफेयर एसोसिएशन के प्रदेश अध्यक्ष एवं निसा के राष्ट्रीय अध्यक्ष कुलभूषण शर्मा ने मांग की है कि दिल्ली की तर्ज पर हरियाणा विद्यालय शिक्षा बोर्ड को भंग कर दिया जाए और सभी 12वीं के विद्यालयों को सीबीएसई बोर्ड से एफिलिएशन प्रदान करवा दी जाए.

कुलभूषण शर्मा ने सरकार द्वारा 1000 सरकारी स्कूलों को मॉडल स्कूलों में तब्दील करने व इन्हें सीबीएसई से संबंधता दिलवाने के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर के प्रयासों की सराहना की और कहा कि सीबीएसई बोर्ड में विद्यार्थियों को अधिक अंक दिए जाते हैं और उनकी मूल्यांकन प्रणाली भी राज्य बोर्ड की तुलना में उतनी कठोर नहीं है, जिससे अधिकतर विद्यार्थी अच्छे अंक प्राप्त कर पाते हैं. जिससे उन्हें विश्वविद्यालयों और दूसरे प्रदेशों में भी दाखिला लेने में आसानी होती है.

उन्होंने कहा कि सीबीएसई में इंटरनल असेसमेंट भी 20 अंक की होती है जिससे विद्यार्थी को पास होने के लिए हरियाणा बोर्ड की अपेक्षा कम अंक लेने पड़ते है. बच्चों की पास प्रतिशत भी राज्य बोर्ड की अपेक्षा अधिक होती है. साथ ही उन्होंने ये भी मांग की है कि सिर्फ 1000 मॉडल स्कूलों के बच्चों को ही ये लाभ प्रदान करने से प्रदेश के दूसरे सरकारी व राज्य बोर्ड से सम्बंधित स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चों से ये भेदभाव होगा और नई शिक्षा नीति में 10वीं तक बोर्ड परीक्षा खत्म होने व 1000 मॉडल स्कूलों को सीबीएसई से जुड़ जाने के कारण हरियाणा बोर्ड में नाममात्र के ही विद्यार्थी रह जाएंगे.

ये भी पढ़ें- पर्वतारोही रोहताश खिलेरी ने हिमाचल का माउंट फ्रेंडशिप पर्वत किया फतेह

इस वजह से उन पर आर्थिक बोझ भी पड़ेगा व बोर्ड की कठोर परीक्षा नीति के कारण कम अंक मिलने पर इनमें पढ़ने वाले गरीब छात्र उच्च विश्वविद्यालयों में दाखिला लेने से वंचित रह जाएंगे जो सरासर भेदभावपूर्ण होगा. उन्होंने कहा कि फेडरेशन आपके फैसले का स्वागत करते हुए मांग करती है कि तुरंत प्रभाव से आगामी सत्र से दिल्ली की तर्ज पर राज्य बोर्ड को खत्म कर दिया जाए और केंद्र सरकार से मांग की जाए कि हरियाण के अन्य सरकारी और प्राइवेट स्कूलों को सीबीएसई संबंद्धता प्रदान करने के लिए आदेश जारी किए जाएं, ताकि प्रदेश के सभी गरीब विद्यार्थियों को समान अवसर वाली शिक्षा और परीक्षा प्रणाली उपलब्ध करवाई जा सके.

भिवानी: फेडरेशन ऑफ प्राइवेट स्कूल वेलफेयर एसोसिएशन के प्रदेश अध्यक्ष एवं निसा के राष्ट्रीय अध्यक्ष कुलभूषण शर्मा ने मांग की है कि दिल्ली की तर्ज पर हरियाणा विद्यालय शिक्षा बोर्ड को भंग कर दिया जाए और सभी 12वीं के विद्यालयों को सीबीएसई बोर्ड से एफिलिएशन प्रदान करवा दी जाए.

कुलभूषण शर्मा ने सरकार द्वारा 1000 सरकारी स्कूलों को मॉडल स्कूलों में तब्दील करने व इन्हें सीबीएसई से संबंधता दिलवाने के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर के प्रयासों की सराहना की और कहा कि सीबीएसई बोर्ड में विद्यार्थियों को अधिक अंक दिए जाते हैं और उनकी मूल्यांकन प्रणाली भी राज्य बोर्ड की तुलना में उतनी कठोर नहीं है, जिससे अधिकतर विद्यार्थी अच्छे अंक प्राप्त कर पाते हैं. जिससे उन्हें विश्वविद्यालयों और दूसरे प्रदेशों में भी दाखिला लेने में आसानी होती है.

उन्होंने कहा कि सीबीएसई में इंटरनल असेसमेंट भी 20 अंक की होती है जिससे विद्यार्थी को पास होने के लिए हरियाणा बोर्ड की अपेक्षा कम अंक लेने पड़ते है. बच्चों की पास प्रतिशत भी राज्य बोर्ड की अपेक्षा अधिक होती है. साथ ही उन्होंने ये भी मांग की है कि सिर्फ 1000 मॉडल स्कूलों के बच्चों को ही ये लाभ प्रदान करने से प्रदेश के दूसरे सरकारी व राज्य बोर्ड से सम्बंधित स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चों से ये भेदभाव होगा और नई शिक्षा नीति में 10वीं तक बोर्ड परीक्षा खत्म होने व 1000 मॉडल स्कूलों को सीबीएसई से जुड़ जाने के कारण हरियाणा बोर्ड में नाममात्र के ही विद्यार्थी रह जाएंगे.

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इस वजह से उन पर आर्थिक बोझ भी पड़ेगा व बोर्ड की कठोर परीक्षा नीति के कारण कम अंक मिलने पर इनमें पढ़ने वाले गरीब छात्र उच्च विश्वविद्यालयों में दाखिला लेने से वंचित रह जाएंगे जो सरासर भेदभावपूर्ण होगा. उन्होंने कहा कि फेडरेशन आपके फैसले का स्वागत करते हुए मांग करती है कि तुरंत प्रभाव से आगामी सत्र से दिल्ली की तर्ज पर राज्य बोर्ड को खत्म कर दिया जाए और केंद्र सरकार से मांग की जाए कि हरियाण के अन्य सरकारी और प्राइवेट स्कूलों को सीबीएसई संबंद्धता प्रदान करने के लिए आदेश जारी किए जाएं, ताकि प्रदेश के सभी गरीब विद्यार्थियों को समान अवसर वाली शिक्षा और परीक्षा प्रणाली उपलब्ध करवाई जा सके.

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