भिवानी: जिले में केंद्र सरकार द्वारा पारित कृषि से जुड़े तीन अध्यादेशों के विरोध में किसान संगठनों ने जेल भरो आंदोलन किया. इस दौरान किसान नेताओं ने कहा कि इन अध्यादेशों को कॉरपोरेट घरानों के लिए लाया गया है. जो की किसान, व्यापारी और मजदूरों के लिए बहुत खतरनाक है. भिवानी में किसान, व्यापारी सहित विभिन्न कर्मचारी व राजनैतिक संगठनों ने सड़कों पर उतरकर प्रदर्शन किया और अपनी गिरफ्तारी दी. हालांकि अधिकारियों ने उन्हें तुरंत रिहा भी कर दिया.
गौरतलब है कि केंद्र सरकार द्वारा पारित कृषि अध्यादेशों के खिलाफ पूरे देश में किसान प्रदर्शन कर रहे हैं. किसानों का कहना है कि इस अध्यादेश के चलते किसान मजदूर बन जाएंगे और कॉरपोरेट घराने किसान.
किसान नेता ओमप्रकाश ने बताया कि ये अध्यादेश बहुत खतरनाक हैं, क्योंकि असल में ये अध्यादेश नहीं बल्कि केन्द्र सरकार ने कॉरपोरेट घरानों को ईस्ट इंडिया कंपनी का लाईसेंस दिया है. जिससे किसान, व्यापारी व मजदूर बर्बाद हो जाएगा. सरकार द्वारा इन अध्यादेशों को किसान हित में कहने के सवाल पर किसान नेता ने बताया कि जिस प्रकार सरकार ने कोरोना योद्धाओं के लिए थाली और ताली बजवाई पर उन्हे वेतन नहीं दिया. उसी प्रकार इन अध्यादेशों को किसान हित में बताकर गुमराह किया जा रहा है.
उन्होंने कहा कि भले ही सरकार और सरकार के मंत्री इन अध्यादेशों को किसान हित में बता रहे हैं, लेकिन किसान व व्यापारी इनका शुरू से विरोध कर रहे हैं. जेल भरो आंदोलन तो शुरुआत है. जब तक सरकार इन अध्यादेशों को वापस नहीं लेती तब तक वो आंदोलन करेंगे.
क्या है इन तीन अध्यादेशों में?
गौरतलब है कि केंद्र सरकार ने कृषि से जुड़े तीन अध्यादेश व्यापार और वाणिज्य (संवर्धन और सुविधा) अध्यादेश, मुल्य आश्वासन एवं कृषि सेवा समझौता अध्यादेश और आवश्यक वस्तु अधिनियम (संशोधन )अध्यादेश पारित किए हैं.
व्यापार और वाणिज्य (संवर्धन और सुविधा) अध्यादेश: इस अध्यादेश में किसानों को देश में कहीं भी अपनी फसल बेचने की सुविधा मिलेगी. किसानों की फसल को कोई भी कंपनी या व्यक्ति खरीद सकता है. वहीं इस अध्यादेश में किसानों को तीन दिन के अंदर पैसे मिलने की बात कही गई है.इस अध्यादेश की सबसे बड़ी बात तो ये है कि अगर किसान और व्यापारी में कोई विवाद होगा तो उसका निपटारा जिला स्तरीय प्रशासनिक अधिकारियों द्वारा तीस दिनों के भीतर किया जाएगा. इस विवाद को न्यायालय में चुनौती नहीं दी जा सकती है. जिससे किसानों को डर है कि कंपनियों के दबाव में आकर सरकार उनके साथ विश्वासघात ना कर दे. इस बात को लेकर किसान डरे हुए हैं.
मुल्य आश्वासन एवं कृषि सेवा समझौता अध्यादेश: इस अध्यादेश के तहत सरकार ने कॉन्ट्रैक्ट खेती को बढ़ावा देने की बात कही है. कॉन्ट्रैक्ट खेती में खेती बड़ी-बड़ी कंपनियां करेंगी. जिससे किसान अपने ही खेतों में मजदूर बनकर रह जाएंगे. जिसके विरोध में किसान सड़क पर प्रदर्शन कर रहे हैं.
आवश्यक वस्तु अधिनियम (संशोधन )अध्यादेश: देश में कालाबाजारी को रोकने के लिए साल 1955 में आवश्यक वस्तु अधिनियम बनाया गया था. इस अधिनियम के तहत कोई भी व्यक्ति एक निश्चित मात्रा से अधिक खाद्य वस्तुओं का भंडारण नहीं कर सकता था.अब केंद्र सरकार द्वारा लागू किए गए नए अध्यादेश में आलू, प्याज और तिलहन जैसे दैनिक उपयोग की वस्तुओं पर लगाई गई रोक को हटा लिया गया है. इस अध्यादेश के माध्यम से लोग इन सामानों की जितनी चाहें स्टॉक जमा कर सकते हैं. किसानों के पास लंबे समय तक भंडारण करने की क्षमता नहीं है. जिससे उनको अपने उत्पादों को कंपनियों को बेचना ही पड़ेगा और कंपनियां जब चाहें इन वस्तुओं का दाम बढ़ा कर लोगों से पैसे ऐंठ सकती हैं.इन्हीं मुद्दों को लेकर किसान सरकार के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे हैं. अब देखने वाली बात होगी कि सरकार किसानों की बात मानती है या फिर किसान इसी तरह सड़कों पर उतरकर प्रदर्शन करते रहेंगे.
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