भिवानी: भाकियू के प्रदेश अध्यक्ष गुरनाम सिंह चढूनी (Farmer leader Gurnam Singh Chandhuni) ने एक बार फिर से सरकार पर निशाना साधा है. भारतीय किसान यूनियन के प्रदेश अध्यक्ष गुरनाम सिंह चढ़ूनी ने कहा कि सरकार की मंशा सही नहीं है. देश में कोई कानून नहीं, केवल कॉरपोरेट व बाहुबलियों का कब्जा है. जिससे किसान सहित देश की आधी आबादी के पास जीने के संसाधन खत्म हो रहे हैं और लखीमपुर खीरी के बाद सिद्धू मूसेवाला का हत्याकांड हुआ है.
उन्होंने कहा कि एक साल से लंबे समय तक चले किसान आंदोलन को कोई भूला नहीं है. खासकर इस आंदोलन को स्थापित करने के लिए किसानों से सरकार ने जो वायदे किये थे, वो पूरे ना होने से उनमें रोष है. ऐसे में भारतीय किसान यूनियन के प्रदेश अध्यक्ष गुरनाम चढूनी पहले से बड़ा आंदोलन खड़ा करने के लिए फिर से किसानों को एकजुट करने में लगे हैं. उनका दावा है कि इस बार कई और वर्गों को भी आंदोलन से जोड़ा जाएगा.
मीडिया से मुखातिब होते हुए गुरनाम चढूनी ने आरोप लगाया कि सरकार की मंशा सही ना होने से किसानों से किए वायदे पूरे नहीं हुए. उन्होंने कहा कि एमएसपी का कानून ना बनने से बीते 15 सालों में देश के किसानों को 45 करोड़ रूपये का घाटा हुआ है. उन्होंने कहा कि देश में कोई कानून नहीं है. कॉरपोरेट जगत पूरे देश के कारोबार को हड़पना चाहता हैं. अब सरकार पंचायती जमीन भी कॉरपोरेट को लीज पर देना चाहती है, जिससे छोटे किसान खत्म हों जाएंगे और सायलो गोदामों के बनने से मंडी व आढ़ती खत्म हो जाएंगे.
चढूनी ने कहा कि इस व्यवस्था को बदलने के लिए इस बार पहले से बड़ा आंदोलन खड़ा किया जाएगा. उन्होंने कहा कि इसके लिए इस बार बेरोजग़ारों, निजी क्षेत्र में काम करने वालों, ठेका प्रथा पर नौकरी करने वालों व मजदूरों को साथ लिया जाएगा. उदयपुर में हुए कांग्रेस के चिंतन शिविर को लेकर भी चढूनी ने कटाक्ष किया और कहा कि कांग्रेस किसानों को लेकर चिंता नहीं कर रही, बल्कि वोट की राजनीति कर रही है.
कांग्रेस को किसानों की चिंता होती तो वो अपनी सरकार के होते एमएसपी (MSP law) का क़ानून बना सकती थी और स्वामीनाथन रिपोर्ट ( Implementation of Swaminathan report) लागू कर सकती थी. पंजाब के मशहूर गायक सिद्धू मूसेवाला की हत्या पर चढूनी ने कहा कि देश में बाहुबलियों का बोलबाला है. पहले लखीमपुर व अब सिद्धू की हत्या इसका नतीजा है. उन्होंने कहा कि सिद्धू मूसेवाला हत्यकांड की जांच सीबीआई से हो और ये मामला फास्ट ट्रैक कोर्ट में चले. गुरनाम चढूनी ने भाजपा व कांग्रेस दोनों को किसान विरोधी बताया है और फिर से पहले से बड़ा आंदोलन खड़ा करने के संकेत दिये हैं.
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