भिवानी: देशभर के 10 लाख के लगभग बैंक कर्मचारी इन दिनों हड़ताल पर हैं. इन बैंक कर्मचारियों की मांग है कि सरकार बैंकों का निजीकरण बंद करें. इसके खिलाफ आवाज लामबंद करते हुए बैंक कर्मचारी नेताओं ने आम जनता पर बैंकों के निजीकरण के प्रभाव को लेकर ईटीवी भारत से विशेष बातचीत की.
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बैंक कर्मचारी यूनियन नेता जगदीश कुमार ने बताया कि बैंकों के निजीकरण से 146 लाख करोड रुपये की लोगों की संपत्ति निजी हाथों में चली जाएगी. न्यूनतम बैलेंस की सीमा बढ़ाई जाएगी, जिसका बोझ ग्राहकों पर पड़ेगा. बैंक के विभिन्न सर्विस चार्ज में बढ़ोतरी होगी. बैंकों के रोजगार के नए अवसर कम होंगे. निजी हाथों में जाने के बाद गांव की शाखाएं बंद होगी और नई शाखाएं नहीं खुल पाएंगीं. 6 लाख करोड़ के बकाया रकम की वसूली निजी हाथों में जाने के बाद नहीं हो पाएगी.
कर्मचारी नेताओं का कहना है कि सरकार द्वारा विभिन्न कल्याणकारी योजनाओं को सरकारी बैंकों के माध्यम से ही लागू किया जाता है. ऐसे में साहूकारों के चक्कर में पडने को प्राइवेट बैंक मजबूर कर देंगे. जबकि सरकारी बैंकों के चलते सस्ती दरों पर लोन वह बचत योजनाएं जनता के लिए उपलब्ध हैं.
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