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चंद्रयान-2 मिशन को लेकर छात्र-छात्राओं में उत्साह का माहौल - chandrayan2 haryana news

भिवानी चौ. बंसीलाल विश्वविद्यालय के खगोल शास्त्री और जियोग्राफी के अस्सिटेंड प्रो. डॉ. उत्पल कुमार ने चंद्रयान-2 मिशन को लेकर महत्वपूर्ण जानकारी दी.

चंद्रयान-2 मिशन को लेकर छात्र-छात्राओं में उत्साह का माहौल
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Published : Sep 6, 2019, 7:16 PM IST

भिवानी: 7 सितंबर को देर रात 1 बजकर 55 मिनट पर जब चंद्रयान का लेंडर विक्रम चांद की धरती पर कदम रखेगा उसी के साथ भारत एक नया इतिहास रच देगा. भारत का यह दूसरा चंद्र मिशन है जो चांद के उस दक्षिणी ध्रुव क्षेत्र पर प्रकाश डालेगा जहां अभी तक किसी भी देश की नजर नहीं गई है.

चंद्रयान-2 मिशन को लेकर छात्र-छात्राओं में उत्साह का माहौल, कहा-"देश के लिए गर्व की बात"

इसी के बारे में हमें भिवानी चौ. बंसीलाल विश्वविद्यालय के खगोल शास्त्री और जियोग्राफी के अस्सिटेंड प्रो. डॉ. उत्पल कुमार ने और जानकारी दी. उन्होंने बताया कि गुरूत्वाकर्षण नियमों पर आधारित इसरो का चंद्रयान-2 का विक्रम लैंडर बहुत महंगा अभियान है.

उन्होंने कहा कि इस मिशन की सफलता से भविष्य के रिसर्च क्षेत्र में देश के लिए बड़ा कदम साबित होगा. उन्होंने बताया कि चंद्रयान-1 का मिशन चंद्रमा पर पानी खोजना था और यह मिशन चंद्रमा के उत्तरी ध्रुव पर था. लेकिन चंद्रयान-2 का मिशन चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर पहुंचने का है.

ये भी पढ़ें:

अगर भारत को इस मिशन के चलते अबकी बार चांद की सतह पर रिसर्च में हिलीयम-3 की उपस्थिति का पता चलता है तो न्यूक्लीयर ऊर्जा के क्षेत्र में यह एक बेहद अहम कदम होगा.
वहीं विश्वविद्यालय में पढ़ने वाले छात्र-छात्राओं ने कहा कि यह भारत देश के लिए गर्व की बात है कि स्वदेशी तकनीक पर आधारित चंदयान-2 चांद पर उतरेगा और महत्वपूर्ण जानकारियां उपलब्ध करवाएगा.

भिवानी: 7 सितंबर को देर रात 1 बजकर 55 मिनट पर जब चंद्रयान का लेंडर विक्रम चांद की धरती पर कदम रखेगा उसी के साथ भारत एक नया इतिहास रच देगा. भारत का यह दूसरा चंद्र मिशन है जो चांद के उस दक्षिणी ध्रुव क्षेत्र पर प्रकाश डालेगा जहां अभी तक किसी भी देश की नजर नहीं गई है.

चंद्रयान-2 मिशन को लेकर छात्र-छात्राओं में उत्साह का माहौल, कहा-"देश के लिए गर्व की बात"

इसी के बारे में हमें भिवानी चौ. बंसीलाल विश्वविद्यालय के खगोल शास्त्री और जियोग्राफी के अस्सिटेंड प्रो. डॉ. उत्पल कुमार ने और जानकारी दी. उन्होंने बताया कि गुरूत्वाकर्षण नियमों पर आधारित इसरो का चंद्रयान-2 का विक्रम लैंडर बहुत महंगा अभियान है.

उन्होंने कहा कि इस मिशन की सफलता से भविष्य के रिसर्च क्षेत्र में देश के लिए बड़ा कदम साबित होगा. उन्होंने बताया कि चंद्रयान-1 का मिशन चंद्रमा पर पानी खोजना था और यह मिशन चंद्रमा के उत्तरी ध्रुव पर था. लेकिन चंद्रयान-2 का मिशन चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर पहुंचने का है.

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अगर भारत को इस मिशन के चलते अबकी बार चांद की सतह पर रिसर्च में हिलीयम-3 की उपस्थिति का पता चलता है तो न्यूक्लीयर ऊर्जा के क्षेत्र में यह एक बेहद अहम कदम होगा.
वहीं विश्वविद्यालय में पढ़ने वाले छात्र-छात्राओं ने कहा कि यह भारत देश के लिए गर्व की बात है कि स्वदेशी तकनीक पर आधारित चंदयान-2 चांद पर उतरेगा और महत्वपूर्ण जानकारियां उपलब्ध करवाएगा.

Intro:रिपोर्ट इन्द्रवेश दुहन भिवानी
दिनांक 6 सितंबर।
चंद्रमा-2 आज रात 2 बजे बाद उतरेगा वास्तविक चांद पर
चौ. बंसीलाल विश्वविद्यालय के खगोली शास्त्री ने कहा
चांद के दक्षिणी धु्रव पर उतरने वाला विश्व का पहला अभियान
भारतीय आंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो द्वारा तैयार किया गया चंद्रयान-2 आज वास्तविक चंद्रमा तक पहुंचेगा। जिस पर विश्व भर के लोगों की नजर टिकी हुई हंै। आज शुक्रवार रात लगभग दो बजे इसरो का चंद्रयान-2 का लैंडर विक्रम चंदा मामा चांद की सतह पर उतरेगा। जिसके बाद भारत विश्व में इस प्रकार की कामयाबी हासिल करने वाला चौथा देश बन जाएगा।
Body: भिवानी चौ. बंसीलाल विश्वविद्यालय के खगोल शास्त्री व जोगरोफी के अस्सिटेंड प्रो. डॉ. उत्पल कुमार ने बताया कि गुरूत्वाकर्षण नियमों प्रभावित इसरो का चंद्रयान-2 का विक्रम लैंडर बहुत महंगा अभियान है। जिसकी सफलता संचार भविष्य के रिसर्च क्षेत्र में देश के लिए बड़ा कदम साबित होगा। उन्होंने बताया कि यह भारत के इसरो के इतिहास में बहुत बड़ी सफलता होगी, जब विक्रम लैंडर चांद पर उतरेगा। उन्होंने बताया कि चंद्रयान-1 भारत ने छोड़ा था, जिसके बाद चांद पान पानी होने का पता चला था। परन्तु चंद्रयान-2 पूर्णतया: भारतीय तकनीक है। यदि अबकी बार चांद की सतह पर रिसर्च में हिलीयम-3 की उपस्थिति का चंद्रयान-2 के माध्यम से पता चलता है तो न्यूक्लीयर पॉवर के क्षेत्र में एक बड़ा कदम होगा। Conclusion:उनका कहना था कि अब तक जितने भी चंद्रयान विमान चंद्रमा पर उतरे है, वे सभी उतरी धु्रव पर उतरे है। जबकि दक्षिणी ध्रव पर उतरने वाले यह भारत का पहला अभियान होगा। जिसके माध्यम से चंद्रमा के बारे में नई जानकारियंा प्राप्त होंगी। वही विश्वविद्यालय में पढऩे वाले छात्र-छात्राओं ने कहा कि यह भारत देश के लिए गर्व की बात है कि स्वदेशी तकनीक पर आधारित चंदयान-2 चांद पर उतरेगा तथा महत्वपूर्ण जानकारियां उपलब्ध करवाएगा। यह खगोल शास्त्र के क्षत्र में भारत की बड़ी उपलब्धि होगी।
बाईट : पवन कुमार अस्सिटेंड प्रोफेसर एवं डॉ. उत्पल कुमार।
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