भिवानी: कैरेबियाई सागर का 11 लाख की जनसंख्या वाला क्यूबा आज विश्व में बॉक्सिंग का गढ़ कहलाता है. यहां के मुक्केबाज विश्व में अपने मुक्कों की धूम आज भी कायम किए हुए हैं. क्यूबा के बाद विश्व में दूसरा ऐसा शहर भिवानी है, जहां दो हजार के लगभग मुक्केबाज हर रोज मुक्केबाजी की प्रैक्टिस करते हैं.
भिवानी के लगभग हर घर में मुक्केबाज
इसी के चलते भिवानी को मिनी क्यूबा के नाम से भी जाना जाता है. क्यूबा ऐसा देश है जिसके हर घर में मुक्केबाज पाया जाता है, वहीं भिवानी शहर के भी हर चौथे या पांचवें घर में मुक्केबाज मिलता है. भिवानी का नाम मिनी क्यूबा यूं ही नहीं पड़ा, बल्कि इसके पीछे यहां के मुक्केबाजों की पिछले दो दशक की अथक मेहनत है. जिसके बल पर भिवानी में विजेंद्र सिंह, अखिल, जितेंद्र, दिनेश, मनीष और लुक्का जैसे अंतर्राष्ट्रीय बॉक्सर देश को मिले हैं.
देश के आधे मुक्केबाज भिवानी से
अकेले भिवानी जिले के मुक्केबाजों को 8 अर्जुन अवॉर्ड, एक खेल रत्न पुरस्कार मिल चुका है. हाल ही में भिवानी के मुक्केबाज मनीष कौशिक को राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने अर्जुन अवॉर्ड से सम्मानित किया. देश के 50 प्रतिशत मुक्केबाज भिवानी से ही निकलते हैं. इनसे प्रेरणा लेकर बाकी खिलाड़ी भी भरपूर मेहनत करते हैं.
भिवानी से निकलते हैं ओलंपियन बॉक्सर
वर्ल्ड चैम्पियनशिप की बात करें, तो भारत को अभी तक 6 मेडल मिले हैं, जिनमें तीन अकेले भिवानी के मुक्केबाज विजेंद्र सिंह, विकास कृष्णनन और मनीष कौशिक को मिले हैं. भिवानी जिले से 10 के लगभग ओलम्पियन मुक्केबाज हैं.
भिवानी शहर के मुक्केबाजों ने अपने मुक्के के दम पर पुलिस, भारतीय रेलवे, भारतीय सेना समेत विभिन्न केंद्र और राज्यों में खेल कोटे में रोजगार भी पाया है. भिवानी के मुककेबाज विजेंद्र, विकास कृष्णनन, दिनेश सांगवान, जितेंद्र आज हरियाणा पुलिस में डीएसपी के पद पर हैं. विजेंद्र सिंह तो फिल्म भी कर चुके हैं.
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