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भिवानी में बैपटिस्ट मिशनरी जमीन मामला: तहसीलदार गिरफ्तार, कई और लोग निशाने पर - भिवानी की ताजा खबर

बैपटिस्ट मिशनरी की करोड़ों रुपये की विवादित भूमि खुद-बुर्द करने के मामले में पुलिस ने बड़ी मछलियों को अब गिरफ्तार करना शुरू कर दिया है. बीती रात मामले के मुख्य आरोपी भिवानी के तहसीलदार रविंद्र मलिक को पुलिस ने गिरफ्तार (Bhiwani Tehsildar arrested) करके विजिलेंस को सौंप दिया है. मामले की गंभीरता को भांपते हुए प्रदेश सरकार ने अब पूरा मामला हरियाणा विजिलेंस को स्थानांतरित कर दिया है.

Tehsildar arrested in Bhiwani
Tehsildar arrested in Bhiwani
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Published : Dec 2, 2022, 6:32 PM IST

भिवानी: बैपटिस्ट मिशनरी जमीन मामले (baptist missionary land case in bhiwani) में विजिलेंस ने कार्रवाी तेज कर दी है. अगस्त माह में स्थानीय हांसी रोड के साथ लगती बैपटिस्ट मिशनरी की जमीन का मामला विवादों में आया था. इस दो एकड़ जमीन की रजिस्ट्री एक व्यक्ति ने दो लोगों के नाम करवाने की प्रक्रिया शुरू की थी. यह रजिस्ट्री पौने दो करोड़ रुपयों में करवाई जा रही थी. जिसकी शिकायत बैपटिस्ट मिशनरी के एक अन्य पक्ष ने पुलिस से की थी. इस दौरान नायब तहसीलदार ने रजिस्ट्री की पूरी प्रक्रिया रोक दी थी और पुलिस ने बाजार भाव की लगभग 100 करोड़ रुपये की जमीन के मामले में तहसीलदार, रजिस्ट्री क्लर्क, पटवारी, नंबरदार सहित 8 लोगों के खिलाफ मामला दर्ज किया था.

जिस प्रकार से इस जमीन का रातोरात इंतकाल रद्द करके दूसरे पक्ष में इंतकाल किया गया, उससे कई अधिकारी भी संदेह के घेरे में आ गए. मामले की गंभीरता को देखते हुए उपायुक्त नरेश नरवाल ने पूरे मामले की जांच अतिरिक्त उपायुक्त राहुल नरवाल को सौंपी. जिसकी रिपोर्ट के आधार पर तहसीलदार भिवानी के खिलाफ विभागीय कार्रवाई हेतु अनुशंसा भी की गई. इस रिपोर्ट पर कार्रवाई करते हुए राजस्व विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव ने गत सप्ताह तहसीलदार को निलंबित भी कर दिया था और प्रशासन द्वारा 4 अन्य कर्मचारियों को भी निलंबित कर दिया गया.

अतिरिक्त उपायुक्त ने अपनी रिपोर्ट में कहा था कि इस जमीन की रजिस्ट्री प्रक्रिया के मामले में सरकारी प्रावधानों की अनदेखी करते हुए अनियमितत्ताएं बरती गई हैं और इस जमीन का संदेहपरस्क स्थितियों में इंतकाल भी दर्ज किया गया है. मामले में विलेख लेखक, नोटरी पब्लिक की भूमिका भी विवादों में है. शुरूआती गिरफ्तारियों के बाद तहसीलदार ने पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय में अग्रिम जमानत की दरखास्त भी लगाई थी, जिसे बाद में खारिज कर दिया गया. सूत्रों के अनुसार इस मामले में कुछ राजनीतिक लोग भी सीधे तौर पर शामिल हैं.

नेताओं की भूमिका की भी निरंतर जांच की मांग उठ रही है. इस भू-घोटाले में भू-माफिया कई अन्य दलालों की भूमिका की भी जांच होनी है. पूरे मामले की गंभीरता का बढ़ते दबाव के चलते प्रदेश सरकार ने दो दिन पहले ही पूरा मामला राज्य चौकसी ब्यूरो को सौंपा है, ताकि घोटाले की परतें खुल सकें. आज गिरफ्तार किए गए तहसीलदार को न्यायालय में पेश किया गया. न्यायालय ने उन्हे 2 दिन की पुलिस रिमांड पर भेजा है. पुलिस अधीक्षक अजीत सिंह ने तहसीलदार रविंद्र मलिक की गिरफ्तार की पुष्ठि करते हुए कहा कि उन्हे भ्रष्टाचार अधिनियम के तहत गिरफ्तार किया गया है.

ये भी पढ़ें- भिवानी में अवैध खनन और अवैध कालोनियों की जांच करेंगी विजिलेंस कमेटी

भिवानी: बैपटिस्ट मिशनरी जमीन मामले (baptist missionary land case in bhiwani) में विजिलेंस ने कार्रवाी तेज कर दी है. अगस्त माह में स्थानीय हांसी रोड के साथ लगती बैपटिस्ट मिशनरी की जमीन का मामला विवादों में आया था. इस दो एकड़ जमीन की रजिस्ट्री एक व्यक्ति ने दो लोगों के नाम करवाने की प्रक्रिया शुरू की थी. यह रजिस्ट्री पौने दो करोड़ रुपयों में करवाई जा रही थी. जिसकी शिकायत बैपटिस्ट मिशनरी के एक अन्य पक्ष ने पुलिस से की थी. इस दौरान नायब तहसीलदार ने रजिस्ट्री की पूरी प्रक्रिया रोक दी थी और पुलिस ने बाजार भाव की लगभग 100 करोड़ रुपये की जमीन के मामले में तहसीलदार, रजिस्ट्री क्लर्क, पटवारी, नंबरदार सहित 8 लोगों के खिलाफ मामला दर्ज किया था.

जिस प्रकार से इस जमीन का रातोरात इंतकाल रद्द करके दूसरे पक्ष में इंतकाल किया गया, उससे कई अधिकारी भी संदेह के घेरे में आ गए. मामले की गंभीरता को देखते हुए उपायुक्त नरेश नरवाल ने पूरे मामले की जांच अतिरिक्त उपायुक्त राहुल नरवाल को सौंपी. जिसकी रिपोर्ट के आधार पर तहसीलदार भिवानी के खिलाफ विभागीय कार्रवाई हेतु अनुशंसा भी की गई. इस रिपोर्ट पर कार्रवाई करते हुए राजस्व विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव ने गत सप्ताह तहसीलदार को निलंबित भी कर दिया था और प्रशासन द्वारा 4 अन्य कर्मचारियों को भी निलंबित कर दिया गया.

अतिरिक्त उपायुक्त ने अपनी रिपोर्ट में कहा था कि इस जमीन की रजिस्ट्री प्रक्रिया के मामले में सरकारी प्रावधानों की अनदेखी करते हुए अनियमितत्ताएं बरती गई हैं और इस जमीन का संदेहपरस्क स्थितियों में इंतकाल भी दर्ज किया गया है. मामले में विलेख लेखक, नोटरी पब्लिक की भूमिका भी विवादों में है. शुरूआती गिरफ्तारियों के बाद तहसीलदार ने पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय में अग्रिम जमानत की दरखास्त भी लगाई थी, जिसे बाद में खारिज कर दिया गया. सूत्रों के अनुसार इस मामले में कुछ राजनीतिक लोग भी सीधे तौर पर शामिल हैं.

नेताओं की भूमिका की भी निरंतर जांच की मांग उठ रही है. इस भू-घोटाले में भू-माफिया कई अन्य दलालों की भूमिका की भी जांच होनी है. पूरे मामले की गंभीरता का बढ़ते दबाव के चलते प्रदेश सरकार ने दो दिन पहले ही पूरा मामला राज्य चौकसी ब्यूरो को सौंपा है, ताकि घोटाले की परतें खुल सकें. आज गिरफ्तार किए गए तहसीलदार को न्यायालय में पेश किया गया. न्यायालय ने उन्हे 2 दिन की पुलिस रिमांड पर भेजा है. पुलिस अधीक्षक अजीत सिंह ने तहसीलदार रविंद्र मलिक की गिरफ्तार की पुष्ठि करते हुए कहा कि उन्हे भ्रष्टाचार अधिनियम के तहत गिरफ्तार किया गया है.

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