भिवानी: हरियाणा के कृषि मंत्री जेपी दलाल ने अपने विवादित बयान पर सफाई दी है. जेपी दलाल ने कहा कि उन्होंने ऐसा कोई बयान नहीं दिया, जो किसान विरोधी हो. उन्होंने तो ऐसे लोगों के बारे में कहा था, जो बेवजह आंदोलन का हिस्सा बनकर आंदोलन के उद्देश्य को भ्रमित कर देते हैं. कृषि मंत्री ने कहा कि उनके बयान को सही से सुना जाए, तो उसमें उन्होंने किसानों का नाम भी नहीं लिया है.
उन्होंने महज ये कहा था कि कुछ पांच-सात लोग ऐसे धरने पर बैठ जाते हैं, जो घरबारी नहीं होते हैं. वो सरकार और समाज विरोधी होते हैं. उनका मकसद केवल आंदोलन को हाईजैक कर नफरत का जहर फैलाना होता है. उन्होंने कहा कि मैंने जिन असामाजिक तत्वों का जिक्र किया है, वो कृषि कानूनों के खिलाफ किसान आंदोलन में भी सक्रिय रहे थे. ऐसे लोगों ने ही पश्चिम बंगाल की बेटी के साथ दरिंदगी की थी, जो आंदोलन में भाग लेने आई थी.
उन्होंने कहा कि बेटी के साथ ऐसा व्यवहार करने वाले भी वही असामाजिक लोग ही थे, वे किसान नहीं थे. उन्होंने कहा कि मैं खुद एक किसान के बेटा हूं. मैंने खेती की है. मैं किसानों के दुख दर्द और परेशानियों से अच्छी तरह से वाकिफ हूं. किसान हमारे माई बाप हैं. मैं देश के अन्नदाता के खिलाफ बोलना तो दूर, किसान के खिलाफ एक शब्द बोलने की भी नहीं सोच सकता. हम किसानों के आगे हमेशा सिर झुका कर चलते हैं.
उन्होंने कहा कि उनकी कलम हमेशा किसान हित में चली है और आगे चलती रहेगी. कृषि मंत्री ने कहा कि कुछ राजनीतिक आकांक्षा रखने वाले उनके विरोधी उनके बयान को गलत ढंग से प्रचारित करने का प्रयास कर रहे हैं. जो कि स्वच्छ राजनीति का हिस्सा नहीं है. आज जो लोग किसान हितैषी होने का आवरण ओढ़कर राजनीति कर रहे हैं, ऐसे लोगों को अपने शासन को याद करना चाहिए, जिन्होंने किसानों की मांग पर उनको गोलियों से भूनने का काम किया था.
जींद का कंडेला कांड, गुलकनी कांड के अलावा हिसार का मैयड़ कांड को किसान आज भी नहीं भूल पाए हैं. जबकि, बीजेपी सरकार में आज तक जितने भी किसान आंदोलन हुए हैं, उनमें बातचीत के जरिए ही हल निकाला है. ऐसे लोगों को शर्म आनी चाहिए कि वो किस मुंह से किसानों की भलाई की सोच की बात कर रहे हैं.
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