भिवानी: हरियाणा में 10वीं और 12वीं बोर्ड के परीक्षाएं चल रही हैं. सभी बच्चे अपनी तैयारियां पूरी करके परीक्षा केंद्रों में पहुंच कर अपना भविष्य लिख रहे हैं. ऐसे में एक बाबा पूरे प्रदेश में चर्चा का विषय बने (Saint gave tenth board examination in Bhiwani) हुए हैं. दरअसल भिवानी में खंड़ेसुरी बाबा मान गिरी महाराज उर्फ संत सुरेंद्र ने गुरुवार को खड़े होकर दसवीं ओपन की परीक्षा दी है. जिसके चलते पूरे प्रदेश में बाबा चर्चा का विषय बने हुए हैं. अभी तक आपने साधु संतों की परीक्षा सुनी होगी पर देखी नहीं होगी. आज हम आपको भिवानी के ऐसे बाबा के बारे में बता रेह है, जो रात को तपस्या करते हैं और दिन में परीक्षा देते हैं.
जैसा कि हम जानते हैं, हरियाणा विद्यालय शिक्षा बोर्ड की 10वीं व 12वीं कक्षाओं की वार्षिक परीक्षाएं चल रही हैं. ये बाबा भी उन्हीं की तैयारी कर रहे हैं. संत सुरेंद्र ने 10वीं की ऑपन परीक्षा के लिए तैयारी तैयारी की है. इन संत का परीक्षा केन्द्र पंडित शीताराम गर्ल सीनियर सेकेंडरी स्कूल में है. स्कूल में तपस्वी संत की परीक्षा को लेकर विशेष व्यवस्था भी की गई है. जिसके लिए संत को लेक्चर स्टैंड उपलब्ध करवाया गया है, जिस पर संत ने खड़े-खड़े परीक्षा (Saint standing Examination in Bhiwani) दी. बता दें कि संत सुरेंद्र ने यह पहली परीक्षा दी है और 26 अप्रैल तक चलने वाली दसवीं की परीक्षा के सभी विषयों के पेपर भी देने वाले हैं.
खड़े होकर क्यों दी परीक्षा- दरअसल खंड़ेसुरी बाबा मान गिरी महाराज मानव कल्याण और नगर की सुख-शांति व समृद्धि के लिए 41 दिनों की खड़ी तपस्या का संकल्प लेकर तप कर रहे हैं. 43 वर्षीय संत सुरेंद्र अनाज मंडी के सामने पंचमुखी हनुमान मंदिर में 14 मार्च से 41 दिनों की खड़ी तपस्या कर रहे हैं. इसी बीच उनकी दसवीं ओपन बोर्ड की परीक्षा भी आ गई. ऐसे में महाराज ने महम गेट स्थित पंडित सीताराम शास्त्री संस्थान में बने परीक्षा केंद्र के अंदर दसवीं ओपन की परीक्षा दी. महाराज खड़ी तपस्या कर रहे हैं, इसलिए उन्होंने खड़े-खड़े लेक्चर स्टैंड की मदद से परीक्षा दी. इतना ही संत सुरेंद्र ने परीक्षा की तैयारी भी खड़े-खड़े ही की थी.
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बाबा होकर क्यों दे रहे हैं परीक्षा ?- अमूमन सुनने को मिलता है कि बुजुर्ग ने परीक्षा दी या किसी ने सरकारी नौकरी से रिटायर्ड होकर परीक्षा दी. ऐसे में सवाल ये भी उठता है कि आखिर एक संत होकर इन्होंने क्यों ये परीक्षा दी ? दरअसल कई साल पहले बाबा को एक साक्षात्कार में पढ़ाई के बारे में सवाल पूछा गया था. जिससे उनका मन व्यथित हो गया और उन्होंने पढ़ाई करने का निश्चय कर लिया. इसलिए उन्होंने दसवीं ओपन की परीक्षा का आवेदन किया और अब परीक्षा दे रहे हैं. बाबा ने बताया कि वे पास होने के लिए नहीं, बल्कि मेरिट में आने के लिए परीक्षा दे रहे हैं.
युवाओं के लिए संदेश- इस परीक्षा के माध्यम से बाबा युवाओं को संदेश देना चाहते हैं कि कोरोना के दौरान काफी अर्से से स्कूल बंद रहे, बच्चे घर बैठे ऑनलाइन पढ़ाई भी करते रहे. ऐसे में बच्चों का मन पढ़ाई से भटक गया. जिसके चलते बाबा ने युवाओं को संदेश देने के बारे में सोचा और परीक्षा की तैयारी में जुट गए. बाबा ने कहा कि युवाओं को सोचना चाहिए कि जब एक बाबा इस उम्र में आकर भी पढ़ाई कर रहा है, तो उन्हें अपने बेहतर भविष्य के लिए अच्छी तरह पूरी मेहनत से पढ़ाई करनी चाहिए. बच्चों के अंदर पढ़ाई की जिज्ञासा बढ़े, यह संदेश देना इस परीक्षा का मकसद है.
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बाबा ने बताया कि संत महात्मा के लिए ज्यादातर समय आध्यात्मिक ज्ञान देने व लेने में बीतता है और हमारी किताबी ज्ञान में ज्यादा रुचि नहीं रहती. वे आत्मा और परमात्मा के बीच के भेद को मानव तक पहुंचाने में ही अपने को एकीकार किए रहते हैं. ऐसे में किताबी ज्ञान ग्रहण करना उनके लिए एक अलग ही महत्व रखता है. वहीं परीक्षा केंद्र में स्कूल प्राचार्य डॉ. कांता गौड़ ने बताया कि परीक्षा देने आए एक बाबा ने लेक्चर स्टैंड का अनुरोध किया था, जिसे परीक्षा केंद्र अधीक्षक की अनुमति के बाद उपलब्ध कराया गया है.
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