अंबाला: साल 2019 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने स्वतंत्रता दिवस पर लाल किले से देश को सिंगल यूज प्लास्टिक से मुक्त बनाने का आह्वान किया. उन्होंने कहा था कि 2 अक्टूबर को गांधी जयंती के दिन से ये अभियान शुरू हो जाएगा. ये अभियान शुरू तो हुआ. लेकिन कागजों में कब सिमट गया पता ही नहीं चला. जिसको देखते हुए अब नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल ने चिंता जताते हुए सख्ती दिखाई है. एनजीटी के आदेश के बाद 1 नवंबर से अंबाला में सिंगल यूज प्लास्टिक पूरी तरह बैन हो जाएगा. ऐसा करने वाला अंबाला हरियाणा के पहला जिला होगा.
बता दें कि पीएम के भाषण के बाद हरियाणा सरकार ने भी सरकारी दफ्तर और कार्यक्रम में सिंगल यूज प्लास्टिक पर रोक लगाने का फैसला किया था. ये भी पूरी तरह से अमल में नहीं लाया जा सका है. हालात ये है कि आज भी देश में धड़ल्ले से सिंगल यूज प्लास्टिक का इस्तेमाल हो रहा है.
500 से 25 हजार रुपये तक होगा जुर्माना
अब अंबाला छावनी नगर परिषद ने सिंगल यूज प्लास्टिक को बैन करने की तैयारी पूरी कर ली है. 1 नवंबर के बाद कोई भी दुकानदार अगर प्लास्टिक का इस्तेमाल करता मिला तो उसपर जुर्माने का 500 रुपये से लेकर 25 हजार रुपये तक प्रावधान है. जिला प्रशासन के इस फैसले से डिस्पोजेबल सामान बेचने वाले दुकानदारों की चिंताएं भी बढ़ गई हैं. दुकानदार मुकेश जैन ने बताया कि प्लास्टिक पर बैन अच्छा कदम है, लेकिन प्रशासन को छोटे दुकानदारों पर नकेल कसने की बजाय सीधा प्लास्टिक, थर्माकोल और डिस्पोजेबल का सामान बनाने वाली फैक्ट्रियों पर बैन लगाना चाहिए.
संख्या नंबर | प्लास्टिक की मात्रा | जुर्माना |
1. | 100 ग्राम तक | 500 रुपये |
2. | 101 से 150 ग्राम | 1500 रुपये |
3. | 501 से 1 किलो | 3000 रुपये |
4. | 1 किलो से 5 किलो | 10 हजार रुपये |
5. | 5 किलो से 10 किलो | 20 हजार रुपये |
6. | 10 किलो से ज्यादा | 25 हजार रुपये |
बता दें कि थर्माकोल और डिस्पोजेबल सामान भी सिंगल यूज प्लास्टिक के तहत आता है. एक दुकानदार मनोज ने कहा कि पहले ही लॉकडाउन की वजह से आर्थिक मंदी से जूझ रहे हैं. प्रशासन के इस फैसले से उनपर दोहरी मार पड़ेगी. वहीं ग्राहक भी दुकानदारों के साथ नजर आए. उन्होंने भी माना कि दुकानदारों पर नहीं बल्कि फैक्ट्रियों पर बैन होना चाहिए. तभी ये मुहिम रंग ला सकती है.
सिंगल यूज प्लास्टिक वो होता है, जिसे सिर्फ एक ही बार इस्तेमाल में लाया जा सकता है. इसको दोबारा रिसाइकिल नहीं किया जा सकता. जिसकी वजह से इससे पर्यावरण को भी काफी नुक्सान पहुंचता है. देखना होगा कि प्रशासन कि ये मुहिम कितनी असरदार साबित होती है.
हमें खुद जिम्मेदार बनना होगा
प्लास्टिक के कचरे की समस्या से निजात पाने के लिए प्लास्टिक थैलियों के विकल्प के रूप में जूट से बने थैलों का इस्तेमाल ज्याता से ज्यादा किया जाना चाहिए. साथ ही प्लास्टिक कचरे का समुचित इस्तेमाल किया जाना चाहिए. हालांकि देश में सड़क बनाने और भवन निर्माण की सामाग्री बनाने में इस्तेमाल शुरू हो चुका है, लेकिन सिंगल हैंड प्लास्टिक से निजात तभी मिल सकता है जब देश का हर नागरिक अपनी जिम्मेदारी समझ कर प्लास्टिक के वैकल्पिक चीजों का इस्तेमाल करके ना सिर्फ अपने देश को बल्कि पूरी दुनिया को प्लास्टिक प्रकोप से बचा सकता है.
कितनी खतरनाक है सिंगल हैंड प्लास्टिक?
इस तरह की प्लास्टिक के अंदर जो कैमिकल होते हैं, उनका इंसान और पर्यावरण के स्वास्थ्य पर काफी बुरा असर पड़ता है. प्लास्टिक की वजह से मिट्टी का कटाव काफी होता है. इसके अंदर का केमिकल बारिश के पानी के साथ जलाशयों में जाता है, जो काफी खतरनाक है.
⦁ दुनिया भर में हर मिनट लोग करीब 10 लाख प्लास्टिक की बोतल खरीदते हैं.
⦁ जितनी प्लास्टिक इस्तेमाल होती है, उनका 91 फीसदी करीब रिसाइकल नहीं होता.
⦁ एक अनुमान के मुताबिक, हर साल दुनिया भर में करीब 40 हजार करोड़ प्लास्टिक की थैलियों का इस्तेमाल होता है. उनमें से सिर्फ 1 फीसदी थैलियों की रिसाइक्लिंग होती है.
⦁ हर दिन दुनिया भर में करीब 5 लाख स्ट्रॉ का इस्तेमाल होता है.
⦁ हर दिन करीब 500 अरब प्लास्टिक के प्याले का इस्तेमाल होता है.
⦁ एक रिपोर्ट के मुताबिक, हर साल करीब 11 लाख समुद्री पक्षियों और जानवरों की प्लास्टिक की वजह से मौत होती है.
⦁ इसके अलावा 90 फीसदी पक्षियों और मछलियों के पेट में प्लास्टिक पाई गई. दरअसल प्लास्टिक छोटे-छोटे टुकड़ों में टूटकर समुद्र के अंदर रहती है. जब समुद्र के अंदर भोजन की तलाश में मछलियां और अन्य समुद्री जानवर जाते हैं तो वे गलती से इसका सेवन कर जाते हैं. एक रिसर्च के मुताबिक, करीब 700 समुद्री जीव प्लास्टिक प्रदूषण के कारण लुप्त होने की कगार पर हैं.
⦁ एक शोध में यह सामने आया कि एक इंसान औसतन हर साल 70 हजार माइक्रोप्लास्टिक का सेवन कर जाता है.
क्या है प्लास्टिक के विकल्प
⦁ प्लास्टिक स्ट्रॉ की जगह पेपर के बने स्ट्रॉ का इस्तेमाल किया जा सकता है या पूरी तरह से स्ट्रॉ से परहेज किया जा सकता है.
⦁ प्लास्टिक की पानी के बोतलों की जगह शीशा, धातु, कॉपर और सेरामिक की बनी बोतलों का इस्तेमाल करें. ये मार्केट में आसानी से उपलब्ध हैं.
⦁ प्लास्टिक के कप की जगह दोबारा इस्तेमाल होने वाले कप लेकर अपने साथ जाएं. आप पेपर की प्याली भी इस्तेमाल कर सकते हैं.
⦁ प्लास्टिक की थैली की जगह जूट की बनी थैली या कागज की बनी थैली का इस्तेमाल कर सकते हैं.
⦁ प्लास्टिक की चाकू, चम्मच के स्थान पर आप स्टेनलेस स्टेल की चाकू इस्तेमाल कर सकते हैं. लकड़ी के चम्मच भी मार्केट में उपलब्ध हैं, उनको इस्तेमाल कर सकते हैं.