अंबाला: शुक्रवार को हरियाणा शारीरिक शिक्षक संघर्ष समिति के बैनर तले पीटीआई शिक्षकों ने शहर के बाजारों में जलूस निकाला और हरियाणा के मुख्यमंत्री और गृहमंत्री के खिलाफ नारे लगाए. प्रदर्शन के बाद शारीरिक शिक्षक संघर्ष समिति के अध्यक्ष भूपिंदर सिंह ने सरकार से सभी 1983 पीटीआई को बहाल करने की मांग की.
उन्होंने कहा कि सूबे के 22 जिलों में 1983 पीटीआई शिक्षक क्रमिक अनशन करके रोष प्रकट कर रहे हैं, लेकिन हरियाणा की सरकार हमारी किसी मांग पर ध्यान नहीं दे रही है. इसलिए शुक्रवार को पीटीआई शिक्षक अपनी बात जनता के दरबार में रखने आये हैं. शायद सरकार इसी तरीके से हमारी बात सुनें. उन्होंने कहा कि पीटीआई शिक्षकों ने 10 सालों से अपनी रेग्युलर सेवाएं हरियाणा सरकार को दी है. इसलिए सरकार इन 1983 शिक्षकों की सेवाएं दोबारा बहाल करे.
क्या है पीटीआई शिक्षकों का मामला ?
दरअसल, भूपेंद्र हुड्डा की सरकार में 1983 पीटीआई अध्यापकों की भर्ती की गई थी. जो विद्यार्थी भर्ती परीक्षा में फेल हो गए थे उन्होंने भर्ती में अनियमतिता का आरोप लगाते हुए इसके खिलाफ पंजाब एंड हरियाणा हाई कोर्ट में याचिका दायर की. याचिका में कहा गया था कि सैकड़ों चयनित उम्मीदवारों का शैक्षिक रिकॉर्ड बेहद खराब है. आरोप में ये भी कहा गया था कि 90 फीसदी मेधावी उम्मीदवार मौखिक परीक्षा में असफल रहे. उन्हें 30 में से 10 नंबर भी नहीं आए. इसी के साथ यह भी आरोप लगा था कि इंटरव्यू के लिए तय किए गए 25 अंक को बदलकर 30 कर दिया गया. इन सबके मद्देनजर 30 सितंबर 2013 को पंजाब एंड हरियाणा हाई कोर्ट ने पीटीआई भर्ती को रद्द कर दिया था. इसके खिलाफ चयनित पीटीआई शिक्षकों ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी.
सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले की सुनवाई करते हुए आठ अप्रैल को अपना फैसला सुनाया. सुप्रीम कोर्ट ने फैसला दिया कि साल 2010 में पीटीआई भर्ती में नियमों का उल्लंघन किया गया था. इसलिए सुप्रीम कोर्ट ने हाई कोर्ट के फैसले को बरकरार रखा. इसके बाद खट्टर सरकार ने 2010 में नियुक्ति सभी पीटीआई अध्यापकों की नियुक्ति को अवैध करार देते हुए इसे रद्द कर दिया. इसके बाद से ही पीटीआई अध्यापक लगातार सरकार पर नियुक्ति का दबाव बना रहे हैं.
बर्खास्त किए गए पीटीआई अध्यापकों का कहना है कि सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में कहीं भी नियुक्त किए गए पीटीआई अध्यापकों को गलत नहीं माना. पीटीआई अध्यापकों का कहना है कि सरकार की गलती की सजा उनको नहीं मिलनी चाहिए. इसलिए हरियाणा सरकार उन्हें दोबारा नियुक्त करे.
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