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तोपखाना इलाके में मालिकाना हक को लेकर हुआ विरोध-प्रदर्शन, पढ़िए क्या है मामला?

मंगलवार को अंबाला कैंट के तोपखाना की जमीन के मालिकाना हक को लेकर स्थानीय निवासियों ने विरोध-प्रदर्शन किया. गुस्साए निवासियों ने डीसी को ज्ञापन सौंपा और मांगों को पूरा करने की बात रखी. साथ ही मांगे पूरी न होने पर बड़े आंदोलन की चेतावनी दी.

विरोध प्रदर्शन
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Published : Jul 23, 2019, 10:21 PM IST

अंबाला: अंबाला कैंट के तोपखाना की जमीन के मालिकाना हक को लेकर लंबे अर्से से संघर्षरत्त इलाके के हजारों लोग डीसी कार्यालय पहुंचे, जहां उन्होंने सरकार और प्रशासन के खिलाफ जमकर नारेबाजी की.

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तोपखाना निवासी मालिकाना हक जनसभा के अध्यक्ष शैलेंद्र की अगुवाई में डीसी कार्यालय पहुंचे थे, जहां शैलेंद्र ने बताया कि वह करीब पांच महीने से जमीन के मालिकाना हक के लिए आंदोलन कर रहे हैं, लेकिन सरकार ने अभी तक मामले में कोई सुध नहीं ली, जिस कारण इलाके के सभी लोग रोष प्रदर्शन करने डीसी कार्यालय पहुंचे.

बता दें कि बीते साल केंद्र सरकार की ओर से इलाके की 261 एकड़ जमीन राज्य सरकार को देने की बात चली थी, जिसके बदले में प्रदेश सरकार ने रक्षा मंत्रालय को इस जमीन के कलेक्टर रेट के हिसाब से अदायगी करनी थी, लेकिन यह मामला बीच अधर में ही लटक गया. जिसके बाद लोगों में आशियाना उजड़ने का डर पैदा हो गया. जिसको लेकर स्थानीय निवासियों ने अपनी जमीन के हक को लेकर डीसी अंबाला को ज्ञापन सौंपा.

कहां है जमीन और क्या है मामला?
168 एकड़ ये जमीन भूमि तोपखाना परेड में है, जबकि बची हुई जमीन दुधला मंडी, गुलाब मंडल में है. ये जमीन लीज पर है, जहां दशकों से बसे लोग खेती कर रहे हैं. ये भूमि ब्रिटिश हुकूमत के समय 1941 में लीज पर दी गई थी. इसके बाद डीईओ अंबाला द्वारा मई 1975 के बाद लीज को एक्सटेंड नहीं किया गया. लीज एक्सटेंड नहीं होने के बावजूद लोग यहां बसे थे.

अंबाला: अंबाला कैंट के तोपखाना की जमीन के मालिकाना हक को लेकर लंबे अर्से से संघर्षरत्त इलाके के हजारों लोग डीसी कार्यालय पहुंचे, जहां उन्होंने सरकार और प्रशासन के खिलाफ जमकर नारेबाजी की.

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तोपखाना निवासी मालिकाना हक जनसभा के अध्यक्ष शैलेंद्र की अगुवाई में डीसी कार्यालय पहुंचे थे, जहां शैलेंद्र ने बताया कि वह करीब पांच महीने से जमीन के मालिकाना हक के लिए आंदोलन कर रहे हैं, लेकिन सरकार ने अभी तक मामले में कोई सुध नहीं ली, जिस कारण इलाके के सभी लोग रोष प्रदर्शन करने डीसी कार्यालय पहुंचे.

बता दें कि बीते साल केंद्र सरकार की ओर से इलाके की 261 एकड़ जमीन राज्य सरकार को देने की बात चली थी, जिसके बदले में प्रदेश सरकार ने रक्षा मंत्रालय को इस जमीन के कलेक्टर रेट के हिसाब से अदायगी करनी थी, लेकिन यह मामला बीच अधर में ही लटक गया. जिसके बाद लोगों में आशियाना उजड़ने का डर पैदा हो गया. जिसको लेकर स्थानीय निवासियों ने अपनी जमीन के हक को लेकर डीसी अंबाला को ज्ञापन सौंपा.

कहां है जमीन और क्या है मामला?
168 एकड़ ये जमीन भूमि तोपखाना परेड में है, जबकि बची हुई जमीन दुधला मंडी, गुलाब मंडल में है. ये जमीन लीज पर है, जहां दशकों से बसे लोग खेती कर रहे हैं. ये भूमि ब्रिटिश हुकूमत के समय 1941 में लीज पर दी गई थी. इसके बाद डीईओ अंबाला द्वारा मई 1975 के बाद लीज को एक्सटेंड नहीं किया गया. लीज एक्सटेंड नहीं होने के बावजूद लोग यहां बसे थे.

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अंबाला कैंट के तोपखाना की जमीन के मालिकाना हक को लेकर लंबे अर्से से संघर्षरत्त इलाके के हजारों लोग डीसी कार्यालय पहुंचे, जहां उन्होंने सरकार व प्रशासन के खिलाफ जमकर नारेबाजी करते हुए अधनग्र होकर प्रदर्शन करने की चेतावनी भी दी। बतादें कि तोपखाना निवासी मालिकाना हक जनसभा के अध्यक्ष शैलेद्र की अगुवार्ई में डीसी कार्यालय पहुंचे थे, जहां शैलेंद्र ने बताया कि वह करीब पांच माह से जमीन के मालिकाना हक के लिए आंदोलन कर रहे हैं, लेकिन सरकार ने अभी तक मामले में कोई सुध नहीं ली, जिस कारण इलाके के सभी लोग रोष स्वरूप डीसी कार्यालय प्रदर्शन करने पहुंचे।
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बता दें कि गत वर्ष सरकार की ओर से इलाके की 261 एकड़ जमीन राज्य सरकार को देने की बात चली थी, जिसके बदले में प्रदेश सरकार ने रक्षा मंत्रालय को इस जमीन के कलेक्टर रेट के हिसाब से अदायगी करनी थी, लेकिन यह मामला बीच अधर में ही लटक गया। जिसके बाद लोगों के समक्ष अपना आश्यिाना उजडऩे का डर पैदा हो गया। जिसको लेकर स्थानीय निवासियों ने अपनी जमीन के हक को लेकर डीसी अंबाला को ज्ञापन सौंपा व इस संबंध में आरटीआई लगाकर जानकारी मांगी, लेकिन मामले में जानकारी नहीं मिली तो स्थानीय निवासियों ने डीसी कार्यालय आकर जमकर प्रदर्शन किया। यह जमीन 168 एकड़ भूमि तोपखाना परेड में है, जबकि शेष भूमि दुधला मंडी, गुलाब मंडल में है। यह लीज भूमि है, जहां दशकों से बसे लोग खेती कर रहे हैं। यह भूमि ब्रिटिश हुकूमत के समय 1941 में लीज पर दी गई थी। इसके बाद डीईओ अंबाला द्वारा मई 1975 के बाद लीज को एक्सटेंड नहीं किया गया। लीज एक्सटेंड नहीं होने के बावजूद लोग यहां बसे थे।

शैलेंद्र ने बताया कि एरिया में करीब 1500 परिवार बसते हैं जिसमें करीब 12 हजार लोग रहते हैं।


तोपखाना की जमीन के मालिकाना हक को लेकर स्थानीय निवासी लंबे अर्से से संघर्ष कर रहे हैं। इसको लेकर डीसी को भी ज्ञापन सौंपा और  आरटीआई भी लगाई, लेकिन कोई जानकारी नहीं मिली तो मजबूरन डीसी कार्यालय में प्रदर्शन करना पड़ा।
------- शैलेंद्र कुमार, अध्यक्ष, मालिकाना हक जनसभा


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