अंबाला: बराड़ा में भारतीय किसान यूनियन के बैनर तले हजारों की संख्या में किसानों, आढ़तियों और मजदूरों ने केंद्र सरकार से अध्यादेशों को वापस लेने की अपील करते हुए प्रदर्शन किया. प्रदर्शन के दौरान किसानों ने बराड़ा तहसीलदार को प्रधानमंत्री के नाम ज्ञापन भी सौंपा. ज्ञापन में किसानों ने सरकार से अपील की कि ये अध्यादेश किसान विरोधी हैं. इसलिए इन्हें वापस लिए जाएं.
इस संबंध में किसान यूनियन नेता बलदेव सिंह ने बताया कि इन अध्यादेशों के लागू होने से न तो किसान बचेगा और ना ही आढ़ती. इसलिए सरकार को इस अध्यादेश को वापस लेना चाहिए, ताकि किसान और आढ़ती का 70 साल का पुराना रिश्ता कायम रहे. उन्होंने कहा कि अभी तो यह प्रदर्शन मात्र ट्रेलर है. अगर सरकार ने अध्यादेश वापस नहीं लिए. तो इसके लिए पूरे देश में आंदोलन किया जायेगा.
क्या है मामला ?
गौरतलब है कि केंद्र सरकार ने कृषि से जुड़े तीन अध्यादेश व्यापार और वाणिज्य (संवर्धन और सुविधा) अध्यादेश, मुल्य आश्वासन एवं कृषि सेवा समझौता अध्यादेश और आवश्यक वस्तु अधिनियम (संशोधन )अध्यादेश पारित किए हैं. इन अध्यादेशों के खिलाफ पंजाब और हरियाणा में किसान प्रदर्शन कर रहे हैं.
क्या है इन अध्यादेशों में ?
व्यापार और वाणिज्य (संवर्धन और सुविधा) अध्यादेश: इस अध्यादेश में किसानों को देश में कहीं भी अपनी फसल बेचने की सुविधा मिलेगी. किसानों की फसल को कोई भी कंपनी या व्यक्ति खरीद सकता है. वहीं इस अध्यादेश में किसानों को तीन दिन के अंदर पैसे मिलने की बात कही गई है.
इस अध्यादेश की सबसे बड़ी बात तो ये है कि अगर किसान और व्यापारी में कोई विवाद होगा तो उसका निपटारा जिला स्तरीय प्रशासनिक अधिकारियों द्वारा तीस दिनों के भीतर किया जाएगा. इस विवाद को न्यायालय में चुनौती नहीं दी जा सकती है. जिससे किसानों को डर है कि कंपनियों के दबाव में आकर सरकार उनके साथ विश्वासघात ना कर दे. इस बात को लेकर किसान डरे हुए हैं.
मुल्य आश्वासन एवं कृषि सेवा समझौता अध्यादेश: इस अध्यादेश के तहत सरकार कॉन्ट्रैक्ट खेती को बढ़ावा देने की बात कही है. कॉन्ट्रैक्ट खेती में खेती बड़ी बड़ी कंपनियां करेंगी. जिससे किसान अपने ही खेतों में मजदूर बनकर रह जाएगें. जिसके विरोध में किसान सड़क पर प्रदर्शन कर रहे हैं.
आवश्यक वस्तु अधिनियम (संशोधन )अध्यादेश: देश में कालाबाजारी को रोकने के लिए साल 1955 में आवश्यक वस्तु अधिनियम बनाया गया था. इस अधिनियम के तहत कोई भी व्यक्ति एक निश्चित मात्रा से अधिक खाद्य वस्तुओं का भंडारण नहीं कर सकता था.
अब केंद्र सरकार द्वारा लागू किए गए नए अध्यादेश में आलू, प्याज और तिलहन जैसे दैनिक उपयोग की वस्तुओं पर लगाई गई रोक को हटा लिया गया है. इस अध्यादेश के माध्यम से लोग इन सामानों की जितनी चाहें स्टॉक जमा कर सकते हैं. किसानों के पास लंबे समय तक भंडारण करने की क्षमता नहीं है. जिससे उनको अपने उत्पादों को कंपनियों को बेचना ही पड़ेगा और कंपनियां जब चाहें इन वस्तुओं का दाम बढ़ा कर लोगों से पैसे ऐंठ सकती हैं.
इन्हीं मुद्दों को लेकर किसान सरकार के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे हैं. अब देखने वाली बात होगी कि सरकार किसानों की बात मानती है या फिर किसान इसी तरह सड़कों पर उतरकर प्रदर्शन करते रहेंगे.
ये भी पढ़ें: पंचकूला में बोले ओपी धनखड़, 'कांग्रेस के लोग अब कांग्रेस पर ही भरोसा नहीं कर पा रहे'