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लॉकडाउन की मार: कबाड़ कारोबारियों के लिए दो जून की रोटी भी मुश्किल

लॉकडाउन के वक्त सभी छोटे-बड़े काम बंद थे. अंबाला के कबाड़ मार्केट पर भी लॉकडाउन का असर पड़ा है. यहां काम करने वाले कर्मचारी से लेकर कारोबारी तक, हर किसी पर लॉकडाउन की मार पड़ी है.

effect of lockdown on scrap business and rag pickers of ambala
लॉकडाउन की मार से नहीं उभर पा रहे स्क्रैप डीलर और कबाड़ी, घर खर्च निकालना हुआ मुश्किल
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Published : Jun 12, 2020, 9:18 PM IST

Updated : Jun 12, 2020, 10:44 PM IST

अंबाला: कोरोना के संक्रमण को फैलने से रोकने के लिए पूरे देश में 24 मार्च को लॉकडाउन किया गया था. हालांकि अब अनलॉक-1 के तहत धीरे-धीरे सभी गतिविधियों को शुरू किया जा रहा है, लेकिन अभी लॉकडाउन की मार से निकलने में देश को लंबा वक्त लगेगा.

लॉकडाउन के वक्त सभी छोटे-बड़े तमाम काम बंद थे. फिर चाहे वो उद्योग हों, दुकानें हों या फिर कंपनियां. हर किसी पर लॉकडाउन की मार पड़ी है. अगर बात कबाड़ व्यापार की करें तो कबाड़ व्यापार पर भी लॉकडाउन का असर पड़ा है. ईटीवी भारत की टीम अंबाला के कबाड़ मार्केट पहुंची और जाना कि कबाड़ व्यापारियों पर इसका कितना असर पड़ा है?

ईटीवी भारत की टीम अंबाला के कबाड़ मार्केट पहुंची और जाना कि कबाड़ व्यापारियों पर लॉकडाउन का कितना असर पड़ा है?

दो वक्त का खाना मिलना भी हुआ मुश्किल

ईटीवी भारत से बातचीत के दौरान कबाड़ी की दुकानों पर काम कर रहे कर्मचारियों ने बताया कि लॉकडाउन से उन पर मुसीबतों का पहाड़ टूट पड़ा है. उन्होंने कहा कि मालिक की ओर से लॉकडाउन के वक्त गुजर बसर करने लायक दिए गए पैसों से उनके घर में दो वक्त का खाना बनता था. इसके इलावा ना तो वो इस दौरान बच्चों के स्कूल की फीस दे पाए और ना ही बीमार पड़ने पर उनके पास डॉक्टर को देखने के लिए पैसे थे.

कर्मचारियों ने कहा कि लॉकडाउन ने उन्हें कर्जदार बना दिया है. पूरा लॉकडाउन उन्होंने कर्ज ले लेकर घर का खर्च चलाया है. कर्मचारियों ने कहा कि हालांकि अब लॉकडाउन में ढील दी गई है, लेकिन उनके पास उतना काम नहीं है जितना पहले था.

अंबाला कबाड़ी व्यापारियों की हालत खस्ता

कबाड़ के व्यापार पर लॉकडाउन का कितना असर पड़ा ये जानने के लिए ईटीवी भारत ने स्क्रैप कारोबारी अमित कुमार से बात की. उन्होंने बताया कि अंबाला में लभगभ 70 से 80 कबाड़ी की दुकानें हैं. इन सभी पर लॉकडाउन का बहुत बुरा असर पड़ा है. जिनका कारोबार थोड़ा बड़ा था वो तो फिलहाल जैसे तैसे गुजारा कर रहे हैं, लेकिन छोटे स्तर पर काम कर रहे लोगों के हालात ठीक नहीं हैं.

अमित कुमार ने बताया कि लॉकडाउन के चलते उनपर आर्थिक दबाव ज्यादा बढ़ गया है. घर और लेबर के घर का खर्च चलाना लॉकडाउन के दौरान मुश्किल था. इसके अलावा उन्होंने बताया कि लॉकडाउन से पहले सारे खर्चे निकालकर वो 30 से 40 हजार प्रति माह बचत कर लेते थे, लेकिन अब ऐसा कुछ नहीं हैं.

ये भी पढ़िए: क्या नूंह के गांवों से पलायन कर रहे हैं हिंदू? देखिए ईटीवी भारत की आंखे खोलने वाली पड़ताल

अमित कुमार ने कहा कि लॉकडाउन में छूट मिलने से कबाड़ कारोबार को ज्यादा फर्क नहीं पड़ा है, क्योंकि अभी भी ट्रांसपोर्ट बंद है. ऐसे में कबाड़ का व्यापार दूसरे राज्यों से नहीं हो पा रहा है और ना ही नया सामान खरीदा जा रहा है. इसके साथ ही अभी लेबर की भी दिक्कत है.

अंबाला: कोरोना के संक्रमण को फैलने से रोकने के लिए पूरे देश में 24 मार्च को लॉकडाउन किया गया था. हालांकि अब अनलॉक-1 के तहत धीरे-धीरे सभी गतिविधियों को शुरू किया जा रहा है, लेकिन अभी लॉकडाउन की मार से निकलने में देश को लंबा वक्त लगेगा.

लॉकडाउन के वक्त सभी छोटे-बड़े तमाम काम बंद थे. फिर चाहे वो उद्योग हों, दुकानें हों या फिर कंपनियां. हर किसी पर लॉकडाउन की मार पड़ी है. अगर बात कबाड़ व्यापार की करें तो कबाड़ व्यापार पर भी लॉकडाउन का असर पड़ा है. ईटीवी भारत की टीम अंबाला के कबाड़ मार्केट पहुंची और जाना कि कबाड़ व्यापारियों पर इसका कितना असर पड़ा है?

ईटीवी भारत की टीम अंबाला के कबाड़ मार्केट पहुंची और जाना कि कबाड़ व्यापारियों पर लॉकडाउन का कितना असर पड़ा है?

दो वक्त का खाना मिलना भी हुआ मुश्किल

ईटीवी भारत से बातचीत के दौरान कबाड़ी की दुकानों पर काम कर रहे कर्मचारियों ने बताया कि लॉकडाउन से उन पर मुसीबतों का पहाड़ टूट पड़ा है. उन्होंने कहा कि मालिक की ओर से लॉकडाउन के वक्त गुजर बसर करने लायक दिए गए पैसों से उनके घर में दो वक्त का खाना बनता था. इसके इलावा ना तो वो इस दौरान बच्चों के स्कूल की फीस दे पाए और ना ही बीमार पड़ने पर उनके पास डॉक्टर को देखने के लिए पैसे थे.

कर्मचारियों ने कहा कि लॉकडाउन ने उन्हें कर्जदार बना दिया है. पूरा लॉकडाउन उन्होंने कर्ज ले लेकर घर का खर्च चलाया है. कर्मचारियों ने कहा कि हालांकि अब लॉकडाउन में ढील दी गई है, लेकिन उनके पास उतना काम नहीं है जितना पहले था.

अंबाला कबाड़ी व्यापारियों की हालत खस्ता

कबाड़ के व्यापार पर लॉकडाउन का कितना असर पड़ा ये जानने के लिए ईटीवी भारत ने स्क्रैप कारोबारी अमित कुमार से बात की. उन्होंने बताया कि अंबाला में लभगभ 70 से 80 कबाड़ी की दुकानें हैं. इन सभी पर लॉकडाउन का बहुत बुरा असर पड़ा है. जिनका कारोबार थोड़ा बड़ा था वो तो फिलहाल जैसे तैसे गुजारा कर रहे हैं, लेकिन छोटे स्तर पर काम कर रहे लोगों के हालात ठीक नहीं हैं.

अमित कुमार ने बताया कि लॉकडाउन के चलते उनपर आर्थिक दबाव ज्यादा बढ़ गया है. घर और लेबर के घर का खर्च चलाना लॉकडाउन के दौरान मुश्किल था. इसके अलावा उन्होंने बताया कि लॉकडाउन से पहले सारे खर्चे निकालकर वो 30 से 40 हजार प्रति माह बचत कर लेते थे, लेकिन अब ऐसा कुछ नहीं हैं.

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अमित कुमार ने कहा कि लॉकडाउन में छूट मिलने से कबाड़ कारोबार को ज्यादा फर्क नहीं पड़ा है, क्योंकि अभी भी ट्रांसपोर्ट बंद है. ऐसे में कबाड़ का व्यापार दूसरे राज्यों से नहीं हो पा रहा है और ना ही नया सामान खरीदा जा रहा है. इसके साथ ही अभी लेबर की भी दिक्कत है.

Last Updated : Jun 12, 2020, 10:44 PM IST
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