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अंबाला: कृषि अध्यादेश के खिलाफ किसानों का 'हल्लाबोल', ट्रैक्टर पर काले झंडे लगाकर प्रदर्शन

केंद्र सरकार के कृषि अध्यादेश के खिलाफ किसानों ने अंबाला में प्रदर्शन किया. किसानों ने जिले के अंदर तीन जगहों जिनमें मुलाना विधानसभा, नारायणगढ़ विधानसभा और अंबाला शहर विधानसभा में ट्रैक्टरों पर काले झंडे लगाकर धरना प्रदर्शन किया.

bhartiya kisaan union protest against agricultural ordinance in ambala
कृषि अध्यादेश के खिलाफ किसानों का 'हल्लाबोल'
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Published : Jul 20, 2020, 3:34 PM IST

अंबाला: हरियाणा के किसान केंद्र सरकार की ओर लाए गए कृषि अध्यादेश का लगातार विरोध कर रहे हैं. सोमवार को कृषि अध्यादेश के खिलाफ प्रदेश भर के किसानों ने भारतीय किसान यूनियन के बैनर तले सड़कों पर उतरकर रोष प्रदर्शन किया. इसी कड़ी में अंबाला में भी किसानों की ओर से प्रदर्शन किया गया.

किसानों ने अंबाला जिले के अंदर तीन जगहों जिनमें मुलाना विधानसभा, नारायणगढ़ विधानसभा और अंबाला शहर विधानसभा में ट्रैक्टरों पर काले झंडे लगाकर धरना प्रदर्शन किया. अंबाला शहर विधानसभा क्षेत्र के बलाना गांव में लगभग 250 से 300 किसानों ने ट्रैक्टरों पर काले झंडे बांध कर केंद्र सरकार की ओर से जारी कृषि अध्यादेश के खिलाफ जमकर रोष प्रदर्शन किया.

कृषि अध्यादेश के खिलाफ किसानों का 'हल्लाबोल'

भारतीय किसान यूनियन के जिला उपप्रधान गुलाब सिंह ने कहा कि जबसे बीजेपी सरकार सत्त्ता में आई है. आए दिन नए-नए कानून पारित कर किसानों को लूटने की कोशिश की जा रही है. उन्होंने कहा कि इस बार जारी किए गए अध्यादेश के खिलाफ हरियाणा और पंजाब के किसान एकजुट हैं और इन अध्यादेशों को लागू नहीं होने देंगे. गुलाब सिंह ने कहा कि सरकार अगर किसान हितैषी होती तो फसलों की एमएसपी को रद्द करना, कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग करना और मंडियों को खत्म करना जैसे किसान विरोधी अध्यादेश जारी नहीं करता.

एक तरफ जहां किसान केंद्र सरकार की ओर से जारी अध्यादेश का विरोध कर रहे हैं. वहीं हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर किसानों से अपील कर चुके हैं कि वो अध्यादेश को लेकर किसी की बातों में ना आएं. रविवार को प्रेस वार्ता के दौरान सीएम ने कहा कि केंद्र सरकार की ओर से लाए गये दो अध्यादेश 'कृषि उपज व्यापार' और 'मूल्य आश्वासन और कृषि सेवाओं पर किसान समझौता' से किसान अपनी उपज की बिक्री मर्जी के अनुसार कहीं भी कर सकता है.

ये भी पढ़िए: 'केंद्र सरकार के नए अध्यादेश को लेकर कुछ लोग किसानों को गुमराह कर रहे हैं'

मुख्यमंत्री ने किसानों से अपील करते हुए कहा कि वो इन अध्यादेशों के विषय में किसी के बहकावे में न आएं. कुछ लोगों की आदत किसानों को गुमराह करने की है. किसान यूनियन के नाम पर भी देश में अलग-अलग प्रदेशों की अलग-अलग तरह की राजनीति है.

अंबाला: हरियाणा के किसान केंद्र सरकार की ओर लाए गए कृषि अध्यादेश का लगातार विरोध कर रहे हैं. सोमवार को कृषि अध्यादेश के खिलाफ प्रदेश भर के किसानों ने भारतीय किसान यूनियन के बैनर तले सड़कों पर उतरकर रोष प्रदर्शन किया. इसी कड़ी में अंबाला में भी किसानों की ओर से प्रदर्शन किया गया.

किसानों ने अंबाला जिले के अंदर तीन जगहों जिनमें मुलाना विधानसभा, नारायणगढ़ विधानसभा और अंबाला शहर विधानसभा में ट्रैक्टरों पर काले झंडे लगाकर धरना प्रदर्शन किया. अंबाला शहर विधानसभा क्षेत्र के बलाना गांव में लगभग 250 से 300 किसानों ने ट्रैक्टरों पर काले झंडे बांध कर केंद्र सरकार की ओर से जारी कृषि अध्यादेश के खिलाफ जमकर रोष प्रदर्शन किया.

कृषि अध्यादेश के खिलाफ किसानों का 'हल्लाबोल'

भारतीय किसान यूनियन के जिला उपप्रधान गुलाब सिंह ने कहा कि जबसे बीजेपी सरकार सत्त्ता में आई है. आए दिन नए-नए कानून पारित कर किसानों को लूटने की कोशिश की जा रही है. उन्होंने कहा कि इस बार जारी किए गए अध्यादेश के खिलाफ हरियाणा और पंजाब के किसान एकजुट हैं और इन अध्यादेशों को लागू नहीं होने देंगे. गुलाब सिंह ने कहा कि सरकार अगर किसान हितैषी होती तो फसलों की एमएसपी को रद्द करना, कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग करना और मंडियों को खत्म करना जैसे किसान विरोधी अध्यादेश जारी नहीं करता.

एक तरफ जहां किसान केंद्र सरकार की ओर से जारी अध्यादेश का विरोध कर रहे हैं. वहीं हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर किसानों से अपील कर चुके हैं कि वो अध्यादेश को लेकर किसी की बातों में ना आएं. रविवार को प्रेस वार्ता के दौरान सीएम ने कहा कि केंद्र सरकार की ओर से लाए गये दो अध्यादेश 'कृषि उपज व्यापार' और 'मूल्य आश्वासन और कृषि सेवाओं पर किसान समझौता' से किसान अपनी उपज की बिक्री मर्जी के अनुसार कहीं भी कर सकता है.

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मुख्यमंत्री ने किसानों से अपील करते हुए कहा कि वो इन अध्यादेशों के विषय में किसी के बहकावे में न आएं. कुछ लोगों की आदत किसानों को गुमराह करने की है. किसान यूनियन के नाम पर भी देश में अलग-अलग प्रदेशों की अलग-अलग तरह की राजनीति है.

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